अमरीका द्वारा हाँगकाँग के स्टेटस्‌ पर पुनर्विचार करने की चीन को धमकी

वॉशिंग्टन – ‘हाँगकाँग में कार्यरत अमरिकी पत्रकार किसी का भी प्रचार करनेवाले कार्यकर्ता नहीं, बल्कि प्रसार माध्यमों की आज़ादी के समर्थक हैं। उनके काम में अड़ंगा बनाने की एवं हाँगकाँग के अधिकारों पर अतिक्रमण करने की कोशिश ना करें। ऐसा हुआ, तो अमरीका ‘वन कन्ट्री, टू सिस्टिम्स’ नीति समेत हाँगकाँग के स्टेटस्‌ का पुनर्विचार करने के लिए मजबूर होगी, ऐसी कड़ी चेतावनी अमरीका के विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने चीन को दी है।

कोरोना की महामारी की पृष्ठभूमि पर अमरीका ने चीन के विरोध में आक्रामक राजनैतिक युद्ध शुरू किया है। व्यापार, प्रौद्योगिकी (टेक्नॉलॉजी), सायबर हमलें, मानव अधिकार समेत सभी मुद्दों पर राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प और प्रशासन चीन को लगातार लक्ष्य कर रहें हैं। दो दिन पहले ही विदेशमंत्री पोम्पिओ ने सायबर हमलें एवं बौद्धिक सम्पदा की चोरी के मुद्दे पर चीन को फटकार लगाई थी। इसके साथ ही अब हाँगकाँग के मुद्दे पर चीन को चेतावनी देकर अमरीका ने चीन के विरोध में संघर्ष की तीव्रता और भी बढ़ाई हैं।

अमरीका ने हाँगकाँग को विशेष दर्जा दिया है और इसका फ़ायदा चीन की सत्ताधारी हुकूमत द्वारा भी उठाया गया है। अमरीका ने यदि इस दर्जे में बदलाव किया, तो इससे चीन को काफ़ी बड़ा झटका लग सकता है। अमरीका के साथ ही, अन्य देश भी हाँगकाँग के मुद्दे पर चीनविरोधी भूमिका अपनाने की संभावना नकारी नहीं जा सकती। पिछले वर्ष से हाँगकाँग चीनविरोधी जनतंत्रवादी प्रदर्शनों के मुद्दे पर चर्चा में रहा हैं और ऐसे में अब यह नया झटका चीन के लिए और भी मुश्‍किलें बढ़ानेवाला साबित होगा।

अमरिकी विदेशमंत्री पोम्पिओ ने कुछ दिन पहले ही हाँगकाँग के मुद्दे पर विदेश विभाग की रिपोर्ट फिलहाल स्थगित करने के लिए कहा था। चीन की संसद २२ मई के दिन बैठक कर रही है और इसमें हाँगकाँग के मुद्दे पर प्रस्ताव या निर्णय होने की संभावना है। यह बात ध्यान में रखकर हाँगकाँग से संबंधित रिपोर्ट देरी से जारी की जाएगी, यह बात पोम्पिओ ने स्पष्ट की। इस पृष्ठभूमि पर अमरिकी विदेशमंत्री ने हाँगकाँग के दर्जे को लेकर पुनर्विचार करने की दी हुई धमकी ग़ौरतलब साबित हो रही है।

इस बार पोम्पिओ ने जो पत्रकारों का मुद्दा उपस्थित किया, उस मुद्दे पर अमरीका और चीन पहले भी आमने सामने आये थे। राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने इस वर्ष के शुरू में चीन की पाँच बड़ी मीडिया कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए थे। इसके बाद चीन ने अमरिका के दो पत्रकारों को निकाल बाहर किया था और अन्य पत्रकारों के वीज़ा में बढ़ोतरी करने से इन्कार किया था। पोम्पिओ की चेतावनी की वज़ह से यह मुद्दा फिर से गरमाएगा, ऐसें संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

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