अमरिकी नागरिकों की ‘विसा-फ्री’ यात्रा को युरोपीय संसद का झटका

ब्रुसेल्स, दि. ४ : अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प और उनकी नीतियों की आलोचना करनेवाले युरोप ने अमरीका को नया झटका दिया है| आनेवाले समय में, युरोपीय देशों में यात्रा करनेवाले अमरिकी नागरिकों को अब ‘विसा’ लेना आवश्यक होगा| युरोपीय संसद में हुई बैठक में, अमरिकी नागरिकों को दी गयी ‘विसा-फ्री’ यात्रा की सुविधा रद्द करने का प्रस्ताव मंजूर किया गया| अमरिकी नागरिकों की सुविधा रद्द करना यह महासंघ की ‘ट्रम्प-विरोधी’ नीति का भाग माना जाता है|

‘विसा-फ्री’ यात्राअमरीका और युरोपीय महासंघ के बीच हुए समझौते के अनुसार, दोनो तरफ़ के नागरिकों को ‘विसा-फ्री’ यात्रा की सुविधा दे दी गयी है| लेकिन तीन साल पहले, अमरीका ने युरोप के कुछ देशों के नागरिकों को उपरोक्त सुविधा का लाभ न देने की बात सामने आयी थी| इन देशों में पोलैंड, रोमानिया, बल्गेरिया, क्रोएशिया और सायप्रस शामिल हैं| लेकिन उस समय अमरीका के खिलाफ तत्काल कार्रवाई नहीं की गयी थी|

लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प के चुनाव के बाद, युरोप और अमरीका के बीच के संबंधों में तनाव पैदा होने के संकेत मिल रहे हैं| नाटो, ‘ब्रेक्झिट’, ग्रीस, रशिया तथा निर्वासितों के मसले पर, ट्रम्प द्वारा युरोपीय संघ के विरोध में जानेवाली नीति अपनायी गयी है| ‘ब्रेक्झिट’ का स्वागत करनेवाले अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने, युरोपीय महासंघ के अन्य देश भी उसी तरह बाहर निकलेंगे, ऐसा दावा किया था| निर्वासितों को नकारने की ट्रम्प की नीति मानवी मूल्यों के खिलाफ है, ऐसी नाराज़गी भी युरोपीय नेताओं द्वारा जतायी जा रही है|

‘विसा-फ्री’ यात्राइस पृष्ठभूमि पर, ट्रम्प को विभिन्न स्तरों पर से प्रत्युत्तर देने के लिए युरोपीय संघ के प्रयास शुरू हैं| चीन, कॅनडा और जापान जैसे देशों के साथ सहयोग बढाकर, अमरीका को शिकस्त देने की गतिविधियाँ शुरू हैं| इस पृष्ठभूमि पर, अमरिकी जनता की ‘विसा-फ्री’ यात्रा की सुविधा रद्द कराना, यह प्रातिनिधिक रूप में बड़ा झटका माना जाता है| अमरीका के अलावा ऑस्ट्रेलिया, जापान और कॅनडा जैसे देशों ने भी, युरोप के साथ हुए समझौते का उल्लंघन किया है| लेकिन उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई है|

ट्रम्प सत्ता पर आने के बाद उन्होंने विशेष आदेश जारी करते हुए, सात देशों के नागरिकों पर अमरीका में प्रवेशबंदी लागू की थी| अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष के इस आदेश की तीव्र गुँजें आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुनायी दी थीं| युरोपीय देशों द्वारा भी इसपर तीव्र नाराज़गी जतायी गयी थी|

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