भारतीय रक्षादल का ‘ट्रॉपेक्स’ युद्ध अभ्यास संपन्न

नयी दिल्ली, दि. २६: भारतीय रक्षादल युद्ध के लिए कितना तैयार है, इसका अवलोकन करने के लिए संचालित किया गया ‘ट्रॉपेक्स’ यह एक महिने से जारी युद्धअभ्यास हाल ही में खत्म हुआ| रक्षादल की युद्धसिद्धता और समन्वय का परीक्षण करने के लिए यह अभ्यास संचालित किया गया था| अरबी समुद्र और हिंद महासागर क्षेत्र में संचालित किए गए इस अभ्यास की काफ़ी बड़ी सामरिक अहमियत है, ऐसा जानकारों का कहना है| विशेष बात यह थी कि इसी दौरान चीन ने हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी नौसेना के युद्धअभ्यास को संचालित किया था| यह महज़ संजोग नहीं था, ऐसा जानकारों का कहना है|

‘थिएटर लेव्हल रेडिनेस एण्ड ऑपरेशनल एक्सरसाईझ-ट्रॉपेक्स’ युद्ध अभ्यास में भारतीय नौसेना, वायुसेना और थलसेना के साथ तटरक्षक दल भी शामिल हुआ था| भारत का विमानवाहु युद्धपोत ‘आयएनएस विक्रमादित्य’ के साथ नौसेना के लगभग ४५ युद्धपौत, पाँच पनडुब्बियाँ और ५० लडाकू विमान भी इस युद्धअभ्यास में शामिल हुए थे| इसी के साथ वायुसेना के ‘सु-३०’ और जॅग्वार समेत तकरिबन ३० ऍड्वान्स्ड लडाकू विमान भी इस युद्धअभ्यास में शामिल हुए थे| इसीके साथ तटरक्षक दल की ११ नौकाएँ और सेना की विशेष टुकड़ियाँ भी ‘ट्रॉपेक्स’ में शामिल हुई थीं| इस अभ्यास में रक्षादलों की तैयारी का अवलोकन किया गया| इसीके साथ रक्षादलों में आपसी तालमेल और समन्वय का परीक्षण भी इस वक्त किया गया| संघर्ष के समय यह तालमेल और समन्वय निर्णायक हो सकता है, यह ध्यान में रखते हुए यह परीक्षण किया गया, ऐसा कहा जा रहा है|

नौसेना के युद्धपोतों, पनडुब्बियों और लडाकू विमानों में जो हथियार हैं, उनके लाईव फायरिंग का अभ्यास भी ‘ट्रॉपेक्स’ में किया गया| फिलहाल सागरी क्षेत्र में जो उथलपुथल जारी है, इसकी पृष्ठभूमि पर संचालित किए गए इस अभ्यास की काफी बड़ी अहमियत है, ऐसा दावा सूत्रों के हवाले से किया जा रहा है| भारतीय रक्षादल का यह युद्धाभ्यास जारी था, तभी चीन ने पिछले हफ़्ते हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी नौसेना के युद्धाभ्यास को संचालित किया था| हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का वर्चस्व चीन के लिए काफ़ी खतरनाक है, ऐसा दावा चीन के विश्‍लेषक अक़्सर करते आ रहे हैं|

चीन फिलहाल विश्‍व में दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था है| चीन की समुद्री मार्ग से होनवाली आवाजाही, भारतीय नौसेना का प्रभाव रहनेवाले क्षेत्रों से बड़ी मात्रा में होती है| अपने मालयातायात को रहनेवाले खतरे को मद्देनज़र करते हुए, चीन ने यहाँ के भारत के प्रभाव को चुनौती देनी चाहिए, ऐसा चीन के सामरिक विश्‍लेषक बार बार अपनी सरकार को कह रहे हैं| चीन ने इसके लिए काफी पहले से तैयारी की है और पाकिस्तान से लेकर श्रीलंका तक कई देशों के साथ चीन ने इसके लिए सहयोग भी किया है| पाकिस्तान की ओर से चीन की भारतविरोधी गतिविधियों को पूरा समर्थन प्राप्त हो रहा है; लेकिन श्रीलंका और अन्य देश चीन को भारत के खिलाफ अपेक्षित सहयोग नहीं कर रहे हैं|

इसके लिए चीन ने इन देशों में बड़ी मात्रा में निवेश का लालच इन देशों को दिखाया है| चीन की पनडुब्बी ने पाकिस्तान के कराची और श्रीलंका के कोलंबो बंदरगाह में डेरा ड़ाला था| चीन के युद्धपोत का, भारत के सागरी क्षेत्र के नज़दीक से आवाजाही करना यह आम बात है| इसके ज़रिये भारत के स्वाभाविक प्रभावक्षेत्र को चुनौती देने की तैयारी चीन ने की होकर, चीन की इस कोशिश को भारत की ओर से जवाब अपेक्षित है| ट्रॉपेक्स युद्धाभ्यास को संचालित करने के पीछे यह पृष्ठभूमि है, ऐसा कहा जा रहा है| अपनी नौसेना की ताकत बढ़ाना भारत के लिए अनिवार्य है और इस दिशा से कोशिश जारी है| लेकिन चीन की नौसेना के सामर्थ्य को देखते हुए और चीन को पाकिस्तान जैसे देशों से जो सहयोग प्राप्त हो सकता है, उसे ध्यान में रखते हुए, आनेवाले समय में भारत को अपनी नौसेना की क्षमता तेज़ी से विकसित करनी पड़ेगी| इसके लिए अमरीका से मदत लेने की तैयारी भारत ने की है, लेकिन इस संदर्भ में दोनों देशों के बीच का सहयोग अपेक्षानुसार रफ़्तार नहीं पकड़ रहा है, ऐसा दावा जानकारों की ओर से किया जा रहा है|

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