पड़ोसी देशों में होनेवाले आतंकवादियों के आश्रयस्थान नष्ट होने के बाद ही अफगानिस्तान में शांति होगी – सुरक्षा परिषद में भारत के विदेश मंत्री का पाकिस्तान पर प्रहार

सुरक्षा परिषदसंयुक्त राष्ट्रसंघ – अफगानिस्तान में मचा आतंकवाद और खूनखराबा, इसके लिए पाकिस्तान में होनेवाले आतंकवादियों के ‘सुरक्षित स्वर्ग’ कारणीभूत हैं, ऐसा भारत में डटकर कहा। ठेंठ नामोल्लेख न करते हुए भारत के विदेश मंत्री ने, संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान पर यह प्रहार किया। उसी समय, अफगानिस्तान की व्यापारी यातायात रोककर पाकिस्तान इस देश की आर्थिक घेराबंदी कर रहा है, इस बात पर भी विदेश मंत्री जयशंकर ने सुरक्षा परिषद का गौर फरमाया।

संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में ‘युएन असिस्टन्स मिशन इन अफगानिस्तान-युएनएएमए’ पर चर्चा जारी थी। उस समय भारत की विदेश मंत्री ने, अफगानिस्तान में मचे हिंसाचार और अस्थिरता का केंद्र पाकिस्तान में होनेवाले आतंकवादियों के सुरक्षित स्वर्ग में है, यह स्पष्ट किया। नामोल्लेख टालकर जयशंकर ने, पाकिस्तान अपनी सीमा में से अफगानिस्तान में ‘आतंकवाद की निर्यात’ कर रहा होने का आरोप किया। इस कारण अगर अफगानिस्तान में कायमस्वरूपी शांति स्थापित करनी हो, तो सीमा के उस पार के आतंकवादियों के सुरक्षित आश्रय स्थान नष्ट करने ही पड़ेंगे। साथ ही, किसी भी प्रकार का आतंकवाद बर्दाश्त न करने की नीति अपनानी होगी और उसमें सीमा के उस पार से आतंकवाद का भी समावेश है, ऐसा जयशंकर ने स्पष्ट रूप में जताया।

अफगानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल अन्य देशों के विरोध में आतंकवादी कारनामों के लिए नहीं किया जाना चाहिए। इसके लिए जो आतंकवादियों को पैसा तथा अन्य प्रकार की सहायता प्रदान कर रहे हैं, उन्हें इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराना ही होगा। अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान के संदर्भ में अपनी विभिन्न संस्थाओं के जरिए, इसके लिए आवश्यक उत्तरदायित्व दिखाना ही होगा’, ऐसी उम्मीद भारत के विदेश मंत्री ने व्यक्त की है। उसी के साथ, अफगानिस्तान के आर्थिक विकास के मार्ग में पाकिस्तान यह बहुत बड़ा रोड़ा बना है, इस पर भी विदेश मंत्री जयशंकर ने गौर फरमाया।

अफगानिस्तान को बंदरगाह उपलब्ध नहीं है। इस कारण व्यापारी यातायात के लिए अफगानिस्तान पाकिस्तान के बंदरगाहों पर निर्भर है। साथ ही, सड़कों के जरिए होनेवाला अफगानिस्तान का व्यापार भी पाकिस्तान ने रोक कर रखा है। अगर अफगानिस्तान का आर्थिक विकास चाहिए, तो यह घेराबंदी तोड़नी ज़रूरी है, इसका एहसास विदेश मंत्री जयशंकर ने करा दिया। फिलहाल अफगानिस्तान में लष्कर और तालिबान का घमासान संघर्ष जारी है। इस कारण बातचीत के जरिए अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने की संभावना खारिज हुई है। लेकिन अफगानियों ने ही शुरू की हुई और उन्हीं का नियंत्रण होनेवाली शांति प्रक्रिया ही अफगानिस्तान में वास्तविक अर्थ से शांति और स्थिरता स्थापित करेगी, ऐसा भरोसा जयशंकर ने व्यक्त किया। पाकिस्तान जैसा देश इस शांति प्रक्रिया में रोड़ा अटका रहा होने का दोषारोपण इसके जरिए भारत के विदेश मंत्री ने किया है।

इससे पहले भी , अफगानिस्तान की समस्या का मूल पाकिस्तान में होने की बात भारत ने बार-बार जताई थी। अफगानिस्तान की सरकार इसके लिए पाकिस्तान की कड़ी आलोचना कर रही है। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री हनीफ अत्मर ने दोषारोपण किया है कि पाकिस्तान में से भारत में आतंकवादी कारनामे करनेवाले ‘लश्कर-ए-तोयबा’ तथा अन्य आतंकवादी संगठनों को तालिबान सहायता कर रहा है। यह सब कुछ पाकिस्तान के समर्थन के बिना संभव नहीं, ऐसे संकेत अफगानी सरकार से दिए जा रहे हैं। भारत तालिबान के साथ चर्चा कर रहा होने की खबरें आ रही हैं; ऐसे में अफगानिस्तान की सरकार द्वारा तालिबान पर किए जानेवाले आरोप गौरतलब साबित होते हैं।

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