विदेशमंत्रियों की चर्चा के बाद भी भारत-चीन सीमा पर तनाव कायम

नई दिल्ली – भारतीय सेना किसी भी स्थिति का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार है, इन शब्दों में रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत ने देश को आश्‍वस्त किया। संसद की सुरक्षा संबंधित समिती के सामने बोलते हुए जनरल रावत ने यह भरोसा दिलाया। किसी भी स्थिति में चीन को सीमा पर स्थिति में बदलाव करने का अवसर नहीं दिया जाएगा। अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए भारत कोई भी किमत चुकाने के लिए तैयार है, ऐसा संदेश रक्षाबलपमुख जनरल रावत, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और विदेशमंत्री एस.जयशंकर से चीन को दिया जा रहा है। मास्को में चीन के साथ हुई द्विपक्षिय चर्चा के दौरान भी जयशंकर ने चीन के विदेशमंत्री को तीखे बोल सुनाए होने की बात सामने आयी है। भारत द्विपक्षिय समझौतों का भंग कर रहा है यह आरोप कर रहे चीन ने लद्दाख की सीमा क्षेत्र में ५० हज़ार सैनिकों की तैनाती किस कारण की है? भारतीय विदेशंमत्री जयशंकर ने किए इस सवाल पर चीन के विदेशमंत्री के पास जवाब नहीं था। इस चर्चा के बाद जारी किए गए संयुक्त निवेदन में सीमा विवाद का हल बातचीत से निकालने का ऐलान करने के बाद भी चीन के विदेश मंत्रालय ने स्वतंत्र निवेदन जारी करके हमें भारत के साथ अच्छे संबंध रखने में रूचि ना होने की बात दिखाई दी है।

तनाव

गुरूवार के दिन मास्को में भारत और चीन के विदेशमंत्रियों की द्विपक्षिय चर्चा हुई। इस चर्चा के बाद संयुक्त निवेदन जारी करके पांच मुद्दों पर अपनी सहमति होने का ऐलान किया गया था। इसमें सीमा पर बना तनाव कम करना, इसके लिए द्विपक्षिय चर्चा जारी रखना और एक-दूसरे का विश्‍वास दृढ़ करने के लिए कदम उठाने के मुद्दों का समावेश है। लेकिन, इस संयुक्त निवेदन से ज्यादा कुछ निष्पन्न नहीं होगा, यह बात भारत के पूर्व अधिकारी कह रहे हैं। चीन सिर्फ समय की बर्बादी करने के लिए चर्चा का इस्तेमाल कर रहा है। असल में लद्दाख की सीमा पर चीन अधिक से अधिक फौज़ भेजकर अपनी स्थिति मज़बूत करने की कोशिश कर रहा है, इस ओर भारत के पूर्व लष्करी एवं गुप्तचर विभाग के अधिकारियों ने ध्यान आकर्षित किया। विदेशमंत्री जयशंकर और विदेशमंत्री वैंगई का संयुक्त निवेदन जारी होने से पहले चीन के विदेश मंत्रालय ने स्वतंत्र निवेदन जारी किया था और इसमें भारत के खिलाफ़ स्वर लगाया गया है। इस निवेदन में लद्दाख की सीमा पर बने तनाव का ठिकरा भारत के मत्थे फोड़ा गया है।

विदेशमंत्री की द्विपक्षिय चर्चा में चीन ने भारत को पुख्ता इशारे देने का दावा चीनी एवं पाकिस्तानी माध्यम कर रहे हैं। लेकिन, असल में भारत के विदेशमंत्री ने लद्दाख की सीमा पर ५० हज़ार से अधिक सैनिक तनात करनेवाले चीन को इस तैनाती पर सवाल करके मुश्‍किलों में फंसाया। भारत नहीं बल्कि चीन ही दोनों देशों के बीच हुए समझौतों का उल्लंघन कर रहा है, इस पर जयशंकर ने ध्यान केंद्रीत किया। अगले कुछ घंटों में ही चीन ने भारत के साथ जारी सीमा विवाद का हल निकालने के लिए वह उत्सुक ना होने की बात दिखाई है। लद्दाख की सीमा पर अधिक सेना भेजकर एवं प्रगत हथियार तैनात करके चीन लगातार भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। भारत ने सेना पीछे नहीं हटाई तो युद्ध होकर ही रहेगा और सभी मोर्चों पर चीन से पिछड़े हुए भारत की स्थिति पत्थर पर पड़े अंड़े की तरह होगी, ऐसी बयानबाजी चीन के सरकारी मुखपत्र ने की है।

इसी के साथ भारतीय माध्यम प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर जारी गतिविधियों की गुमराह करनेवाली जानकारी साझा कर रहे हैं और चीनी सेना कमज़ोर होने का भ्रम निर्माण कर रहे हैं, ऐसी शिकायत चीन के ग्लोबल टाईम्स ने की है। लेकिन, जैसे ही युद्ध की शरूआत होगी वैसे ही भारत को स्थिति का एहसास होगा, यह इशारा चीन के इस सरकारी अख़बार ने दिया है। इसी बीच ग्लोबल टाईम्स का इस्तेमाल करके चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत भारत पर मानसिक दबाव बढ़ाने के प्रयोग करने की कोशिश कर रही है। लेकिन, भारत चीन के दबाव का शिकार नहीं होगा, किसी भी मोर्चे पर चीन से मुकाबला करने के लिए भारतीय रक्षाबलों ने पूरी तैयारी की है, ऐसा कहकर भारत के रक्षाबलप्रमुख ने चीन को और एक इशारा दिया। कुछ दिन पहले चीन के खिलाफ़ लष्करी कार्रवाई हो सकती है, यह इशारा जनरल रावत ने दिया था। इसके बाद भारतीय सैनिकों ने ‘काला टॉप’ और ‘रेजौंग ला’ की पहाड़ियों पर कब्ज़ा किया। अब सीधे लद्दाख की सीमा पर ‘फिंगर ४’ तक भारतीय सेना आगे बढ़ने की बात स्पष्ट हुई है। बड़ी मात्रा में तैनाती बढ़ाने के बावजूद चीन की सेना को इस क्षेत्र में भारतीय सैनिकों को रोकना संभव ना होने के रपट प्राप्त हो रहे हैं।

भारतीय सेना को इशारे और धमकियां दे रहे ग्लोबल टाईम्स में ही कुछ सप्ताह पहले छपे एक लेख में पर्वतीय क्षेत्र के युद्ध कौशल में भारतीय सेना सबसे बेहतर होने की बात स्वीकारी गई थी। गलवान वैली में हुआ संघर्ष एवं २९-३० अगस्त की रात पैन्गॉन्ग त्सो के दक्षिणी ओर हुए संघर्ष में चीनी सेना ने भारतीय सेना का साहस और कुशलता का अच्छा अनुभव किया है। इसकी वजह से चीनी सेना की पीछेहट हुई है, इस बात पर पूरे विश्‍व का ध्यान केंद्रीत हुआ है और इसकी वजह से खोई हुई प्रतिष्ठा वापस पाने के लिए चीन प्रतिदिन बड़ी कोशिशें कर रहा है। लेकिन, इस संघर्ष में चीन के हाथ प्रतिदिन अधिकाधिक नाकामी प्राप्त होने की बात स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रही है और वहां से सम्मान के साथ पीछे कैसे हटें, यही सबसे बड़ा सवाल चीन के सामने खड़ा हुआ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.