विवादास्पद खबरों की पृष्ठभूमि पर श्रीलंका के प्रधानमंत्री विक्रमसिंह भारत में दाखिल

नई दिल्ली – श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमासिंघे भारत के दौरे पर आए हैं। इस भेंट से पहले श्रीलंका ने गृह निर्माण का लगभग ३० करोड़ डॉलर्स लागत क प्रकल्प चीन से निकाल कर भारत को सौंपने का निर्णय घोषित किया है। इसकी वजह से भारत के साथ संबंधों को लेकर भारत श्रीलंका के राष्ट्राध्यक्ष मैथ्रिपाला सिरीसेना एवं प्रधानमंत्री रानिल विक्रमासिंघे में तीव्र मतभेद होने की खबरें आ रही है। भारत की गुप्तचर संस्था अपनी हत्या करने की तैयारी में होने की बात सिरिसेना ने कही थी, ऐसे दावे प्रसिद्ध हुए थे। पर राष्ट्राध्यक्ष सिरिसेना ने भारत के प्रधानमंत्री से फोन पर चर्चा करके यह बात निराधार होने का खुलासा किया था।

श्रीलंका के प्रधानमंत्री, भारत में दाखिल, रानिल विक्रमासिंघे, नरेंद्र मोदी, विवाद, भारत, चीन

भारत एवं श्रीलंका के संबंध निर्णायक स्तर पर होते समय प्रधानमंत्री विक्रमासिंघे इनका यह भारत दौरा अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दौरे से पहले कई नाट्यमय घटनाएं हुई है। उसके अनुसार राष्ट्राध्यक्ष सिरीसेना ने भारत की गुप्तचर संस्था अपनी हत्या करने की तैयारी में होने की बात कही है, ऐसी खबरें प्रसिद्ध हुई थी। श्रीलंकन माध्यमों में एक गटने यह खबर प्रसिद्ध करके खलबली फैलाई थी। इसकी वजह से दोनों देशों में बहुत बड़ा विवाद निर्माण होने से पहले श्रीलंका के राष्ट्रपति सिरीसेना ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर चर्चा की है। यह बात निराधार होने के खुलासे के बाद इसके पीछे षडयंत्र होने की बात उस समय राष्ट्राध्यक्ष सिरिसेना ने कही है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष सिरीसेना इनके खुलासे के बाद केवल कुछ ही घंटों में श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे भारत दौरे पर आए है। उनके इस भेंट से पहले पूर्व तैयारी करने के लिए श्रीलंकन सरकार ने कई आक्रामक निर्णय लेने की बात दिखाई दे रही है। इसकी वजह से पहले चीन को दिए लगभग ३० करोड़ डॉलर्स लागत का गृह निर्माण प्रकल्प भारत को सौंपने का निर्णय का समावेश है। इस प्रकल्प के अनुसार भारत श्रीलंका के जाफना प्रांत में ४० हजार नए घर निर्माण करने वाला है। इससे पहले भी भारत ने श्रीलंका में गृहयुद्ध में बहुत बड़ी हानि सहन करनेवाले तमिलवंशियो के लिए जाफना में घर निर्माण किए थे।

भारत जाफना में यह प्रकल्प कार्यान्वित करते समय दो महीनों पहले श्रीलंका ने इस जगह पर चीन को घर निर्माण करने का ठेका दिया था। इस पर भारत ने नाराजगी व्यक्त की थी। पर अब यह प्रकल्प श्रीलंका की सरकार ने भारत को सौंपने पर दोनों देशों में संबंध अधिक दृढ़ होने की बात दिखाई दे रही है। दौरान भारत के साथ संबंधों को लेकर श्रीलंका के राष्ट्राध्यक्ष एवं प्रधानमंत्री एक दूसरों के सामने खड़े होने की खबर प्रसिद्ध हुई है। श्रीलंका की कोलंबो बंदरगाह में ईस्ट कंटेनर टर्मिनल में भारत निवेश करने के लिए उत्सुक होकर, यह कॉन्ट्रैक्ट श्रीलंकन यंत्रणा को ही मिले ऐसा राष्ट्राध्यक्ष सिरिसेना का कहना है।

पर यह कॉन्ट्रैक्ट भारत को ही मिले ऐसा विक्रमसिंघे का आग्रह होकर इसपर उनका राष्ट्राध्यक्ष सिरीसेना से विवाद होने की खबरें आ रही है। श्रीलंकन कैबिनेट की बैठक में यह विवाद होने के दावे माध्यमों ने किये है। इस पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे इनके भारत भेंट का महत्व अधिक बढ़ता दिखाई दे रहा है। इससे पहले श्रीलंका में सत्ता पर आए हुए राष्ट्राध्यक्ष राजपक्षे इनके सरकार द्वारा चीन की तरफ झुकाव देकर, अपने देश पर चीन का प्रभाव बड़ी तादाद में बढ़ाया था। इसकी वजह से हंबनटोटा बंदरगाह चीन के हवाले करने की नौबत श्रीलंका के सामने खडी हुई थी। पर राष्ट्राध्यक्ष सिरीसेना इनकी सरकार सत्ता पर आने के बाद परिस्थिति बदल रही है और यह सरकार चीन समर्थक धारणा में बदलाव करते दिखाई दे रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.