रशिया और अमरीका के संबंध बैर से बढ़कर संघर्ष तक जा पहुँचे है – रशिया के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष मेदवेदेव्ह का बयान

मास्को – ‘बीते कुछ वर्षों से रशिया और अमरीका के संबंध बैर से बढकर संघर्ष तक जा पहुँचे हैं। दोनों देश फिर एक बार शीतयुद्ध के दौर में पहुँचे हैं’, ऐसा इशारा रशिया के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष और रशियन सुरक्षा संबंधित परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने दिया है।

us-russia-relationsअगले दिनों में दोनों देशों को टकराव से रोकना हो तो सीधे बातचीत करने की आवश्‍यकता है, ऐसा निवेदन मेदवेदेव ने किया। मेदवेदेव, रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन के विश्‍वसनीय सहयोगी के तौर पर पहचाने जाते हैं। इस वजह से मेदवेदेव के ज़रिये रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने अमरीका को यह इशारा देकर बातचीत की आवश्‍यकता पर जोर दिया हुआ दिख रहा है।

कुछ दिन पहले अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बातचीत की थी। इस दौरान उन्होंने बातचीत का भी प्रस्ताव रखा था। लेकिन, उससे पहले बायडेन ने रशियन राजनीतिक अफसरों को देश से बाहर निकालकर रशिया पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया था। इस वजह से उनके बातचीत के प्रस्ताव पर रशियन राष्ट्राध्यक्ष का सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त होने की संभावना खत्म हुई थी। लेकिन, अब रशिया ने भी अमरीका के राजनीतिक अफसरों को देश से निकालकर अमरीका को प्रत्युत्तर दिया हैं। इसके बाद दोनों देशों की बातचीत मुमकिन होगी, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं। अमरिकी माध्यमों ने इससे अनुरूप दावे भी किए हैं। इस पृष्ठभूमि पर मेदवेदेव का इशारा ध्यान आकर्षित करता है।

रशियन वृत्तसंस्था को दिए साक्षात्कार के दौरान मेदवेदेव ने अमरीका ने रशिया पर लगाए प्रतिबंधों की आलोचना की। ‘प्रतिबंधों का दबाव, धमकियाँ, संघर्ष, किसी की स्वार्थ से भरी आत्मरक्षा ऐसे मुद्दें विश्‍व को हमेशा के लिए अस्थिरता की ओर धकेल रहे हैं’, ऐसा आरोप मेदवेदेव ने लगाया। युक्रैन और नॉर्डस्ट्रीम-२ पाईपलाइन के मुद्दे पर अमरीका की भूमिका रशिया को परेशान करने के लिए संगठित मुहिम होने का आरोप मेदवेदेव ने लगाया।

us-russia-relations‘चार दशक पहले अमरीका और सोवियत रशिया सिर्फ धमकियाँ और निर्णायक इशारे नहीं दे रहे थे बल्की, दोनों देशों के बीच बातचीत भी हो रही थी। लेकिन, फिलहाल उस तरह की बातचीत होती हुई दिखाई नहीं दे रही है। क्योंकि, अमरीका की मौजूदा विदेश नीति अस्थिर बनी हुई है। अंदरुनि स्थिति और जागतिक नेता के तौर पर अमरीका की पश्‍चिमी देशों में बिगड़ी हुई प्रतिमा इसके लिए ज़िम्मेदार हैं’, ऐसी आलोचना मेदवेदेव ने की।

इसके साथ ही शीतयुद्ध के दौर में भी अमरीका ने इटली और तुर्की में बेलेस्टिक मिसाइल तैनात किए थे और इसके बाद सोवियत रशिया ने भी अमरीका के खिलाफ क्यूबा में बैलेस्टिक मिसाइल तैनात रखे थे, इसकी याद रशिया के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष ने ताज़ा की।

इसके आगे अमरीका और रशिया के बीच संघर्ष ना भड़के, ऐसी इच्छा हो तो बायडेन प्रशासन सीधे बातचीत करने का विकल्प चुने, यह निवेदन मेदवेदेव ने किया है। फोन पर होनेवाली बातचीत से कुछ भी हासिल नहीं होता, ऐसी फटकार भी मेदवेदेव ने इस दौरान लगाई।

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