पाकिस्तानी सेना में दरार – सेनाप्रमुख बाजवा की सेवा बढाने के लिए वरिष्ठ अफसरों का विरोध

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सेनाप्रमुख का सेवाकाल तीन वर्ष तक बढाने का निर्णय प्रधानमंत्री इम्रान खान की सरकार ने किया था| यह निर्णय रद्द करके जनरल बाजवा को पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने मात्र छह अतिरिक्त महीने सेवा में रहने की अनुमति प्रदान की है| इसके बाद काफी बडा झटका महसुस कर रहे प्रधानमंत्री इम्रान खान ने तीन मंत्रियों की समिती गठित करके जनरल बाजवा की सेवा बढाने की प्रक्रिया कानून के दायरें में पूरी करने की तैयारी की है| साथ ही पाकिस्तान के सात लष्करी अफसरों ने सर्वोच्च न्यायालय से हाथ मिलाकर जनरल बाजवा के सेवा काल बढाने के निर्णय पर अमल करने में बाधा बनाई होने की खबरें प्रसिद्ध हुई है|

पाकिस्तानी सेना में दरार पडने की खबरें इससे पहले भी प्रसिद्ध हुए थे| पिछले कुछ हफ्तों में पाकिस्तान के वरिष्ठ अफसरों पर देशद्रोह के आरोप साबित हुए है और उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी| तभी, जनरल बाजवा अहमदिया पंथ से आते है, यह कहकर उन्हें इतने अहम पद पर रहने का अधिकार नही है, यह दावा करनेवाली याचिका पाकिस्तान के न्यायालय में दायर की गई है| यह सभी मात्र संजोग नही है, बल्कि पाकिस्तानी सेना में हो रही बडी उथल पुथल के संकेत देनेवाली घटनाएं होने की बात स्पष्ट हो रही है|

प्रधानमंत्री इम्रान खान ने सेनाप्रमुख जनरल बाजवा का सेवा काल तीन वर्ष बढाने का ऐलान किया था| पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए यह निर्णय करने का ऐलान सरकार ने किया था| पर, पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय रद्द करके जनरल बाजवा का सेवा काल मात्र छह महिनों के लिए बढाने का निर्णय किया|

इस वजह से कानुनी प्रावधान किए बिना इम्रान खान ने बाजवा के सेवा काल में बढोतरी करने का निर्णय किया था, यह आलोचना विपक्ष एवं माध्यम कर रहे है| इसके साथ ही पाकिस्तान की हंसी उडाई जा रही है, यह दावा विपक्ष के नेता कर रहे है|

किसी निर्णय के लिए आवश्यक संवैधानिक प्रावधान कैसे करने होते है, इसका होश भी पाकिस्तान की सरकार नही रखती| इस वजह से इस सरकार की नाकामी फिर एक बार दुनिया के सामने आ चुकी है, ऐसी कडी आलोचना हो रही है| ऐसे में प्रधानमंत्री इम्रान खान ने अपने तीन मंत्रियों की समिती गठित करके इस मसले का हल निकालने की तैयारी की है| विदेशमंत्री शाह महमूद कुरेशी, रक्षामंत्री परवेझ खटक और नियोजन मंत्री असद उमर इस समिती के सदस्य है और यही तिनों जनरल बाजवा की सेवा बढाने संबंधित निर्णय कानून के दायरे में बिठाने के कोशिश कर रहे है|

पर, पाकिस्तान के सेना अधिकारियों ने ही सर्वोच्च न्यायालय से हाथ मिलाकर जनरल बाजवा के सेवा में बढोतरी करने का निर्णय रोक रखा है, ऐसी खबरे भी सामने आ रही है| इनमें से एक लष्करी अफसर ने कुछ समय तक नई दिल्ली में पाकिस्तान के दूतावास में काम किया है, यह जानकारी भी सामने रखी जा रही है| जनरल बाजवा के सेवाकाल में बढोतरी होने पर पाकिस्तान के कुछ सेना अफसरों में बेचैनी होने की खबरें भी प्राप्त हुई थी| इस बेचैनी का असर पाकिस्तानी सेना में दरार बनने के साथ सामने आ सकता है, यह इशारा भी कुछ लोग दे रहे थे|

जनरल बाजवा के सेवाकाल में बढोतरी करने के निर्णय से हमारी बढोतरी पर रोक लगेगी, यह समझ में आने से कुछ प्रमुख लष्करी अपसरों ने इस निर्णय का विरोध शुरू किया| इस विरोध को छुपाकर रखा गया हो, फिर भी जनरल बाजवा के विरोध में भूतपूर्व लष्करी अफसरों ने दायर की हुई याचिक बहोत कुछ बयान कर रही है, यह दावा भी हो रहा है| साथ ही पाकिस्तान के चरमपंथी विश्‍लेषक अहमदिया पंथ के कुछ लोग वरिष्ठ पद पर कार्यरत होने का दावा करके इन अफसरों से देश की सुरक्षा के लिए बडा खतरा होने का दावा कर रहे है|

इस पृष्ठभूमि पर जनरल बाजवा और उनके विरोध में खडे हुए गुट के बीच शुरू हुआ संघर्ष अगले दिनों में पाकिस्तान में काफी बडी उथल पुथल करवानेवाला साबित हो सकता है|

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