‘रॉ’ प्रमुख की यात्रा के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री के स्वर में दिखा बदलाव

काठमांडू – नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी.शर्मा ओली ने देशवासियों को विजया दशमी के अवसर पर शुभकामनाएं देते समय पुराने नक्शे का इस्तेमाल किया। इस नक्शे में कालापानी, लिपुलेक को भारत का हिस्सा दिखाया गया है। नेपाल के विपक्षी दलों ने इस पर आश्‍चर्य व्यक्त किया है। भारतीय गुप्तचर संगठन ‘रिसर्च ऐण्ड ऐनालिसिस विंग’ (रॉ) के प्रमुख सामंत गोयल की नेपाल यात्रा का यह असर होने की बात कही जा रही है। इसके ज़रिये नेपाल के प्रधानमंत्री ने चीन को संदेश दिया है, यह दावे किए जा रहे हैं।

nepal-kp-oliनेपाल ने मई में उत्तराखंड़ के कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेक को नेपाल का हिस्सा दिखानेवाला नेपाल का नया राजनीतिक नक्शा प्रसिद्ध किया था। नेपाल की संसद ने भी इस नक्शे को मंजूरी दी थी। इस वजह से नेपाल के प्रधानमंत्री ने विजया दशमी के अवसर पर शुभकामनाएं देते समय नए नक्शे का इस्तेमाल करना आवश्‍यक था, यह नेपाल के विपक्षी नेताओं का कहना था। लेकिन, नेपाल के प्रधानमंत्री ने पुराना नक्शा इस्तेमाल करके भारत के साथ संबंध पूर्ववत बनाने पर जोर दिया है।

अगले महीने के पहले सप्ताह में भारत के सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे नेपाल की यात्रा कर रहे हैं। इससे पहले ‘रॉ’ के प्रमुख गोयल ने नेपाल की यात्रा की। ‘रॉ’ प्रमुख ने प्रधानमंत्री ओली और नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख एवं पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड से भी मुलाकात करने की चर्चा है। इस मुलाकात का ब्यौरा प्रसिद्ध नहीं हुआ है। लेकिन, इसी मुलाकात के कारण नेपाल की भूमिका में बदलाव दिखाई दे रहा है।

पुराने नक्शे का इस्तेमाल करने से प्रधानमंत्री के.पी.शर्मा ओली पर आलोचना हो रही है। इससे संबंधित विवाद बढ़ने पर नेपाल के प्रधानमंत्री के सलाहकार सूर्या थापा ने कहा कि, प्रधानमंत्री ने नए नक्शे का ही इस्तेमाल किया था। लेकिन, वह आकार में छोटा होने से इस नक्शे में कालापानी, लिपुलेक जैसे क्षेत्र स्पष्ट नहीं दिख रहे हैं। हालां कि, यह नक्शा बड़ा करके देखने पर यह क्षेत्र स्पष्ट दिखते हैं, यह खुलासा थापा ने किया है। लेकिन, प्रधानमंत्री ओली इसके ज़रिये चीन और भारत दोनों को संदेश दे रहे हैं, यह दावे किए जा रहे हैं।

बीते कुछ दिनों से नेपाल सरकार भारत के साथ संबंध सुधारने की कोशिश कर रही है। नेपाल ने विवादित नक्शा शामिल किए गए पाठ्यपुस्तक पर पाबंदी लगाई है। साथ ही नेपाल की सरकार ने भारत के साथ द्विपक्षीय चर्चा करने के लिए पहल भी की है। इसके पीछे नेपाल की भूमि पर चीन ने किए कब्ज़े का कारण होने की बात चर्चा में है। चीन ने नेपाल के क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के कारण ओली सरकार पर आलोचना हो रही है। इस वजह से पुराने नक्शे का इस्तेमाल करके नेपाल के प्रधानमंत्री ने चीन को संदेश दिया है, ऐसा कहा जा रहा है।

इसी बीच नेपाल के क्षेत्र पर चीन ने कब्जा करने के बाद भारतीय गुप्तचर संस्था भी हाय अलर्ट पर है। चीन अपनी विस्तारवादी नीति के तहत नेपाल के क्षेत्र पर कब्जा कर रहा है और नेपाल के माध्यम से चीन भारत पर नज़र रखने की कोशिश कर रहा है। नेपाल के सात ज़िलों के बड़े क्षेत्र पर चीन ने कब्ज़ा किया है। ड़ोखल ज़िले में स्थित अंतरराष्ट्रीय सीमा भी चीन ने १,५०० मीटर नेपाल के क्षेत्र में आगे बढ़ाई है।

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