भारत के प्रधानमंत्री और अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष की फोन पर चर्चा

वॉशिंग्टन – भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ, अमरीका के नये राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने फोन पर चर्चा की। कोरोना की महामारी का मुकाबला करके, जागतिक अर्थव्यवस्था को पहले जैसी बनाने के लिए सहयोग करने का निर्धार दोनों नेताओं ने इस चर्चा में व्यक्त किया। उसी समय खुले और स्वतंत्र इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का पुरस्कार करने के साथ ही, आतंकवाद के विरोध में ठोस भूमिका अपनाने पर भी दोनों देशों के नेताओं का एकमत हुआ, ऐसी जानकारी दी जा रही है।

फोन पर चर्चा

कनाडा, मेक्सिको, ब्रिटन, फ्रान्स, जर्मनी, रशिया, दक्षिण कोरिया तथा ऑस्ट्रेलिया इन देशों के नेताओं के साथ चर्चा होने के बाद, राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने भारत के प्रधानमंत्री के साथ फोन पर चर्चा की। भारत के प्रधानमंत्री से चर्चा करने में राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने की हुई देरी, अमरीका की विदेश नीति में हुए बदलाव के संकेत दे रही है, ऐसा सुर माध्यम अलाप रहे थे। राष्ट्राध्यक्षपद पर विराजमान होने के बाद राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने किए भाषण में भी भारत का जिक्र नहीं था। इतना ही नहीं, बल्कि राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का उल्लेख करना भी टाला था।

इस कारण ऐसा शक जताया जा रहा है कि बायडेन प्रशासन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को अनदेखा कर चीन को इस क्षेत्र में वर्चस्व स्थापित करने की ढ़ील देगा। उसी समय, भारत के साथ सहयोग को बायडेन खास महत्व नहीं देंगे, ऐसा कुछ विश्लेषक कहने लगे थे। साथ ही, चीन के विरोध में बायडेन का प्रशासन भारत का इस्तेमाल यकीनन करेगा, लेकिन भारत के विरोध में पाकिस्तान का इस्तेमाल करते समय बायडेन का प्रशासन नहीं हिचकिचायेगा, ऐसा कुछ विश्लेषकों का कहना है।

इस पृष्ठभूमि पर, राष्ट्राध्यक्ष बायडेन की प्रधानमंत्री मोदी के साथ फोन पर चर्चा संपन्न होने की जानकारी ‘व्हाईट हाऊस’ ने दी। लोकतंत्र के मूल्यों पर आधारित भारत और अमरीका के संबंध अधिक दृढ़ करने का निर्धार इस समय दोनों नेताओं ने जाहिर किया, ऐसा व्हाइट हाउस ने कहा है। उसी समय, म्यानमार में फिर से लोकतंत्र की स्थापना के प्रयास करने के लिए भी दोनों नेताओं ने मान्यता दी। साथ ही, अन्य जागतिक समस्या एवं चुनौतियों के संदर्भ में चर्चा करते रहने का फैसला भी दोनों नेताओं ने फोन पर की इस चर्चा के दौरान किया, ऐसा व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया।

अमरीका में नियुक्त भारत के राजदूत तरणजित सिंग संधू ने भी यह विश्वास व्यक्त किया है कि आने वाले समय में दोनों देशों के सहयोग में वृद्धि होगी। लेकिन राष्ट्राध्यक्ष बायडेन की नीतियों की ओर, भारत के राजनयिक बहुत ही सावधानी से देख रहे हैं। खासकर बायडेन अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष होने के बाद चीन की आक्रामकता में हुई बढ़ोतरी अलग ही संकेत दे रही है, इस पर गौर फरमाया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के साथ हुई चर्चा में, राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने ‘क्वाड’ संगठन मजबूत बनाने पर भी चर्चा की, ऐसा बताया जा रहा है। लेकिन दरअसल बायडेन प्रशासन इस बात पर खास ध्यान नहीं देगा, ऐसा शक सामरिक विश्‍लेषक व्यक्त कर रहे हैं।

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