बंदरगाह प्रशासन को निर्णय की स्वायत्तता देनेवाला ‘मेजर पोर्ट अथॉरिटी विधेयक’ संसद में पारित

नई दिल्ली – देश के प्रमुख सरकारी बंदरगाहों को नीजि बंदरगाहों से स्पर्धा के लिए सक्षम बनाने हेतु उन्हें निर्णय लेने की स्वायत्तता देनेवाले ‘मेजर पोर्ट अथॉरिटी विधेयक’ को संसद ने मंजूरी प्रदान की है। बुधवार के दिन यह विधेयक राज्यसभा में पारित हुआ। इससे पहले यह विधेयक लोकसभा में पारित हुआ था। इस विधेयक की वजह से देश के प्रमुख बंदरगाह नीजि क्षेत्र के हाथों में जाएँगे, यह आरोप किया जा रहा था। इस आरोप का बंदरगाह, नौकावहन और जलमार्गमंत्री मनसुख मांडविय ने खंड़न किया। यह विधेयक देश के प्रमुख बंदरगाहों के नीजिकरण के लिए नहीं है बल्कि बंदरगाहों को नीजि बंदरगाहों के साथ स्पर्धा करने के लिए सक्षम बनाने के लिए होने की बात मांडविय ने स्पष्ट की है।

‘मेजर पोर्ट अथॉरिटी विधेयक’

देश के सार्वजनिक क्षेत्र में १२ प्रमुख बंदरगाह हैं। भारत की आज़ादी के बाद वर्ष १९६३ में पहली बार ‘पोर्ट ट्रस्ट कानून’ तैयार किया गया। लेकिन, उस समय देश में कुछ प्रमुख बंदरगाह मौजूद थे। वर्तमान में छोटे कई बंदरगाहों का निर्माण हुआ है। नीजि कंपनियां इस क्षेत्र में उतरी हैं। इस वजह से स्पर्धा में बढ़ोतरी हुई है। इस स्पर्धा में सार्वजनिक क्षेत्र के इन बंदरगाहों को बने रहना है तो ‘पोर्ट ट्रस्ट कानून’ में बदलाव आवश्‍यक है। बंदरगाह प्रशासन की निर्णय क्षमता बढ़ानी होगी। उन्हें सभी निर्णयों के लिए दिल्ली पहुँचने के लिए मज़बूर ना होना पड़े, इस उद्देश्‍य से ‘मेजर पोर्ट अथॉरिटी विधेयक’ पेश किया गया है, यह जानकारी केंद्रीय मंत्री मांडविय ने साझा की।

भारत सरकार सरकारी-नीजि क्षेत्र की साझेदारी (पीपीपी) द्वारा बंदरगाहों का विकास कर रही है। नुकसान में फंसा कोलकाता और हल्दिया बंदरगाह सरकार ने ‘पीपीपी’ द्वारा ही विकसित किए हैं। इन बंदरगाहों के विकास के लिए बीते कुछ वर्षों में सरकार ने यह कदम उठाए थे। इस वजह से कुछ घाटे में गए बंदरगाह भी अब मुनाफा कमा रहे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र का एक भी बंदरगाह फिलहाल घाटे में नहीं है, यह बात मांडविय ने राज्यसभा में रेखांकित की।

भारत में जलमार्ग द्वारा होनेवाले व्यापार प्राचीन समय से संपन्न था। इसमें भारत ने प्रगति की थी। ब्रिटीश भारत पहुँचे और उन्हें भी भारत की इस संपन्नता का आकर्षण था। साथ ही उन्होंने भारत के जलमार्गों का पूरा इस्तेमाल किया। लेकिन, बीच के दौर में हमने बंदरगाह और जलमार्ग की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। लेकिन, अब सरकार बंदरगाह और जलमार्ग के विकास के लिए बड़ी मात्रा में प्राथमिकता दे रही है, ऐसा मांडविय ने कहा।

देश में चार हज़ार किलोमीटर के जलमार्ग विकसित करके उनका इस्तेमाल शुरू हुआ है। साथ ही तटीय क्षेत्र में सामान की यातायात बढ़ाने के लिए बंदरगाह विकास के ३०० प्रकल्पों पर काम शुरू किया गया है। बीते पांच वर्षों में इन बंदरगाहों के ज़रिये सामान की यातायात बढ़ी है और अब यह यातायात ७० करोड़ टन तक जा पहुँची है, इस ओर केंद्रीय मंत्री मांडविय ने राज्यसभा में हुई चर्चा के दौरान ध्यान आकर्षित किया।

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