अफगानिस्तान पर नियंत्रण रखने के लिए अमरिकी लष्करी अड्डे के प्रस्ताव से पाकिस्तान का इन्कार

इस्लामाबाद, दि. १३ (वृत्तसंस्था) – अमरीका की सेना हालांकि अफगानिस्तान से वापसी कर रही है, फिर भी जरूरत पड़ने पर अफगानी आतंकियों पर कार्रवाई करने की क्षमता अमरीका बरक़रार रखनेवाली है। इस मामले में समझौता नहीं किया जाएगा, ऐसा आश्वासन अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने दिया था। उसके लिए अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों में अड्डों का निर्माण किया जाएगा, ऐसे संकेत भी बायडेन ने दिए थे। उसके बाद अमरीका पाकिस्तान में अड्डों का निर्माण करके, अफगानिस्तान में तैनात अपनी सेना को वहाँ तैनात करेगी ऐसी चर्चा शुरू हुई थी। लेकिन पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने यह घोषित कर दिया कि अपना देश अमरीका को पाकिस्तान में लष्करी अड्डे बनाने नहीं देगा।

US-military-base-Pakistanपाकिस्तान अमरीका को लष्करी अड्डे नहीं देगा। अमरिकी सैनिकों को पाकिस्तान की भूमि पर कदम रखने नहीं देगा, ऐसा दावा पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी ने किया। अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए पाकिस्तान साझेदार बनेगा। लेकिन हिंसा को हमारा कभी भी समर्थन नहीं होगा, ऐसी उदात्त भूमिका ज़ाहिर कर विदेश मंत्री कुरेशी ने, अपना देश अमरीका को लष्करी अड्डे नहीं देगा, यह स्पष्ट किया। लेकिन दरअसल पाकिस्तान ने ही पालपोसकर बड़ा किए तालिबान पर अमरीका की कार्रवाई टालने के लिए पाकिस्तान यह इन्कार कर रहा होने के संकेत मिल रहे । क्योंकि इस अड्डे का इस्तेमाल करके अमरीका तालिबान पर हमले कर सकती है और उससे तालिबान का बचाव करने के लिए ही, पाकिस्तान अमरीका को अड्डा बनाने ना देने की बात दिख रही है।

फिलहाल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री होनेवाले इम्रान खान बहुत पहले से तालिबान का समर्थन करते आए हैं। अमरीका ने अफगानिस्तान में आतंकवाद विरोधी युद्ध का ऐलान कर बहुत बड़ी गलती की, ऐसा कहते हुए इम्रान खान तालिबान का समर्थन करते रहे। इसलिए इम्रान खान को ‘तालिबान खान’ कहा जाता था। इस कारण उनकी सरकार से, तालिबान के लिए अनुकूल रहनेवाला फैसला अपेक्षित ही था। लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ‘यु-टर्न’ अर्थात् दिए हुए आश्वासनों का पालन ना करने के लिए भी मशहूर हैं। इस कारण उनके विदेश मंत्री ने अमरीका से किये इन्कार से भी क्या इम्रान खान को ‘यू टर्न’ लेना पड़ेगा, यह नया सवाल इस उपलक्ष्य में पूछा जा सकता है।

इसी बीच, आतंकवाद और चरमपंथ का समर्थन इस मुद्दे पर बायडेन प्रशासन ने पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाया दिख रहा है। इतना ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान अमरीका को लष्करी अड्डा उपलब्ध करा दें, इसके लिए अमरीका ने पाकिस्तान पर दबाव डाला होकर, उसके परिणाम दिखाई देने लगे हैं। अफगानिस्तान के साथ लगभग २,६४० किमी इतनी सीमा शेअर करनेवाले पाकिस्तान के अड्डों का इस्तेमाल करके, अफगानिस्तान पर नियंत्रण रखना अमरीका के लिए आसान हो सकता है। इसी कारण, इसके लिए पाकिस्तान ने किए इन्कार का स्वीकार अमरीका आसानी से नहीं करेगी। पाकिस्तान को इस इन्कार की बहुत बड़ी कीमत चुकाने पर बायडेन प्रशासन मजबूर करेगा, ऐसे संकेत अभी से मिलने लगे हैं।

वहीं, अमरीका को अड्डा उपलब्ध करा देने के बदले में, एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से छुटकारा, आन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष का कर्ज और कश्मीर के मसले पर भारत के विरोध में सहायता आदि की माँग पाकिस्तान अमरीका के पास करने की संभावना है। 

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