असम के तीनसुखिया में ‘ओआयएल’ को प्राप्त हुआ नैसर्गिक वायु का भंड़ार

नई दिल्ली – असम के तीनसुखिया जिले में ‘ऑईल इंडिया लिमिटेड’ (ओआयएल) को नैसर्गिक वायु का बड़ा भंड़ार प्राप्त हुआ है। ‘दिंजन-१’ के क्षेत्र में जारी खनन के दौरान ‘ओआयएल’ ने यह भंड़ार प्राप्त किया। यहां पर प्रतिदिन १.१५ लाख क्युबिक मीटर नैसर्गिक वायु की प्राप्ति हो सकती है, यह बात प्राथमिक परीक्षण के दौरान सामने आने का ऐलान ‘ओआयएल’ ने किया है।

ब्रह्मपुत्रा एवं उससे जुड़ी नदियों के मैदानी इलाकों में स्थित अप्पर असम में बड़ी मात्रा में नैसर्गिक वायु के भंड़ार मौजूद हैं। भारत में सबसे अधिक नैसर्गिक वायु के भंड़ार इसी क्षेत्र में प्राप्त होते हैं। भारत का आयात र्इंधन पर निर्भरता कम करके नैसर्गिक वायु का इस्तेमाल बढ़ाने की दिशा में सरकार की कोशिश जारी है। इस पृष्ठभूमि पर देश में र्इंधन और वायु के भंड़ारों की मौजूदगी वाले क्षेत्रों में खोजकार्य एवं खनन को गति प्रदान की गई है।

तीनसुखिया पेट्रोलियम मायनिंग लीज (पीएमएल) के क्षेत्र में स्थित ‘दिंजन-१’ के इलाके में हायड्रोकार्बन संमिश्रीत रेत पाई गई है। इसकी जाँच करने पर इस क्षेत्र में हायड्रोकार्बन वायु का बड़ा भंड़ार होने की बात स्पष्ट हुई। इस जगह पर परीक्षण किया गया और इस दौरान यहां पर प्रतिदिन १.१५ लाख क्युबिक मीटर गैस का खनन करना संभव होने की बात स्पष्ट हुई। तीनसुखिया में नैसर्गिक वायु के भंड़ार प्राप्त होने से असम में र्इंधन एवं वायु खनन के लिए नए क्षेत्र खुलेंगे। इस ठिकाने पर प्राप्त वायु के भंड़ार की वजह से नज़दिकी क्षेत्र में वायु के भंड़ार प्राप्त होने के आसार बढ़ गए हैं।

असम को र्इंधन-नैसर्गिक वायू केंद्र के तौर पर आगे लाएंगे, यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते वर्ष किया था। देश में प्राप्त हो रहें र्इंधन भंड़ारों में से १५ प्रतिशत नैसर्गिक वायू असम में प्राप्त हो रहा हैं। तेल और नैसर्गिक वायू प्राप्त करने के लिए खुदाई करने की कोशिश ‘ओएनजीसी’ भी कर रही हैं। ‘ओएनजीसी’ ने पिछले वर्ष ही असम में १३ हज़ार करोड़ रुपयों की निवेश करने का ऐलान किया था।

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