युक्रेन के चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट में पुनः विस्फोट की संभावना – वैज्ञानिकों की चेतावनी

चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट

किव्ह – लगभग ३५ साल बाद युक्रेन के विवादास्पद चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट में फिर एक बार ‘न्यूक्लिअर ब्लास्ट’ हो सकता है, ऐसी गंभीर चेतावनी वैज्ञानिकों ने दी है। इस न्यूक्लियर प्लांट में एक बंद भाग में होनेवाली परमाणु ईंधन की राशि में अपने आप ‘न्यूक्लिअर रिऍक्शन’ शुरू हुए होकर, उसका परिणाम बड़े विस्फोट में हो सकता है, ऐसा ब्रिटिश वैज्ञानिक नील हयात ने जताया है। इससे पहले सन १९८६ में चेर्नोबिल में हुए हादसे में १० हज़ार से अधिक लोगों की जान गई थी ऐसा माना जाता है।

युक्रेन-बेलारुस सीमा से महज १६ किलोमीटर की दूरी पर होनेवाले और इन दिनों बंद अवस्था में होने वाले चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट में अभी भी हजारों टन परमाणु कचरा तथा परमाणु इंधन ऐसे ही पड़ा है । प्लांट में जमीन के नीचे होने वाले भागों में ‘३०५/२’ नाम से जाने जानेवाले एक बंद कमरे में बड़े पैमाने पर युरेनियम के रूप में परमाणु इंधन है । इस ईंधन के भंडार में न्यूट्रॉन्स की प्रक्रिया शुरू हुई होने की जानकारी, उस पर नजर रखे हुए संशोधकों ने दी।

न्यूट्रॉन्स की बढ़ती संख्या, परमाणु विस्फोट के लिए आवश्यक होनेवाली ‘न्यूक्लिअर फिशन’ प्रक्रिया के लिए कारणीभूत साबित होती है। इस कारण नजदीकी दौर में चेर्नोबिल में फिर से परमाणु विस्फोट होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता, ऐसा युक्रेनियन वैज्ञानिक मॅक्सिम सॅव्हेलिव ने कहा। शेफिल्ड युनिव्हर्सिटी के ब्रिटीश वैज्ञानिक नील हयात ने यह जताया है कि चेर्नोबिल के उस बंद कमरे में रखा परमाणु ईंधन, जलती लकड़ी की तरह झुलस रहा है।

सन १९८६ में हुई दुर्घटना के बाद चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट के चारों ओर ‘न्यू सेफ कन्फाईनमेंट’ नामक संरक्षित निर्माणकार्य बनाया गया है। इस रचना के कारण, प्लांट के रेडियोधर्मी पदार्थों का रिसाव बाहर के भाग में नहीं होगा, ऐसा बताया जा रहा है। यह निर्माणकार्य प्लांट के परमाणु ईंधन में होनेवाली ‘रिऍक्शन’ को भी रोक सकता है, ऐसा माना जाता है। लेकिन फिर भी ‘३०५/२’ में न्यूट्रॉन्स की संख्या बढ़ रही है, इस बात पर गौर फरमाया गया है।

२६ अप्रैल, १९८६ को तत्कालीन सोवियत रशिया का भाग होनेवाले चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट के ‘रिऍक्टर ४’ मैं बड़े पैमाने पर परमाणु रिसाव हुआ था। उसके बाद हुए विस्फोट में प्लांट में ५० लोगों ने जगह पर ही दम तोड़ा था। न्यूक्लियर प्लांट से हुए घातक विकिरणों के कारण हजारों लोगों की जान गई थी। हादसे के भयानक रिसाव के कारण हजारों किलोमीटर का परिसर खाली करना पढ़ा था। चेर्नोबिल की यह दुर्घटना, दुनिया के सबसे बड़े ‘न्यूक्लिअर डिझास्टर’ के रूप में जानी जाती है।

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