चीन की ‘बेल्ट ऐण्ड रोड़’ समेत अन्य परियोजनाएं रोकने के लिए ऑस्ट्रेलिया की संसद में नया विधेयक पेश होगा

कॅनबेरा – ऑस्ट्रेलिया के हितसंबंध और विदेश नीति के खिलाफ़ जानेवाले समझौते और परियोजनाओं को रोकने के लिए प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने नया कदम उठाया है। इसके तहत अगले कुछ दिनों में ऑस्ट्रेलिया की संसद में नया विधेयक पेश किया जाएगा और इसमें ऑस्ट्रेलिया के अलग अलग प्रांत एवं शिक्षा संस्थाओं ने विदेशी हुकूमतों के साथ किए समझौतों पर पुनर्विचार करने का प्रावधान भी होगा। चीन के साथ किए गए ४०से अधिक समझौतों पर पुनर्विचार होने की संभावना है और ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया प्रांत ने किए ‘बेल्ट ऐण्ड रोड इनिशिएटिव’ समझौते का भी समावेश है। दो दिन पहले ही चीन के वरिष्ठ अधिकारी ने कोरोना वायरस के मुद्दे पर ऑस्ट्रेलिया पर विश्‍वासघात करने का आरोप लगाया था।

ऑस्ट्रेलिया के हितसंबंधों की सुरक्षा ही सरकार का सबसे अहम कर्तव्य है। देश की विदेश नीति और अन्य क्षेत्र के सहयोग भी इसी के अनुसार होने चाहिएं। यदि कोई विदेशी हुकूमत ऑस्ट्रेलिया की प्रांतिक सरकार के साथ समझौता करके संप्रभुता और विदेश नीति के प्रावधानों को झटका देती है तो इसके खिलाफ़ कार्रवाई होना अहम बनता है, इन शब्दों में प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने नए विधेयक का समर्थन किया। ऑस्ट्रेलिया के प्रांत, शहर और अन्य सरकारी उपक्रम विदेशी हुकूमतों के साथ किसी भी तरह के समझौते कर सकते हैं। इस बारे में कोई भी प्रावदान ऑस्ट्रेलिया के कानून में ना होने से यह नया विधेयक अहम साबित होता है, यह दावा ऑस्ट्रेलिया के विदेशमंत्री मारिस पेन ने किया।

विधेयक में विदेशी हुकूमत ऐसा ज़िक्र किया गया है, लेकिन इसका मुख्य लक्ष्य चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के साथ हुए समझौते ही होने के संकेत सरकारी सूत्रों ने एवं प्रसार माध्यमों ने दिए हैं। संसद में विधेयक पारित होने के बाद करीबन ३० देशों के साथ किए गए १०० से अधिक समझौतों पर दुबारा सोचा जाएगा, यह जानकारी प्रसार माध्यमों ने दी है। इसमें सिर्फ चीन के साथ किए गए करीबन ४८ समझौतों का समावेश है। दो वर्ष पहले ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया प्रांत ने चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के साथ किया हुआ ‘बेल्ट ऐण्ड रोड इनिशिएटिव’ के तहत बड़ा समझौता किया गया था। ऑस्ट्रेलिया के मौजूदा प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और उनकी सरकार ने आपत्ति जताने के बावजूद विक्योरिया प्रांत ने यह समझौता अब तक रद नहीं किया है। लेकिन, नए विधेयक का अमल शुरू होने पर पहला झटका इसी समझौते को लगेगा, यह कहा जा रहा है।

बीते कुछ वर्षों से ऑस्ट्रेलिया की गुप्तचर यंत्रणा एवं मुख्य अभ्यासगुट देश के विभिन्न क्षेत्रों में चीन का हस्तक्षेप काफी ज्यादा मात्रा में बढ़ने के इशारे दे रहे हैं। इसी मुद्दे पर सरकार पर आलोचनाएं शुरु होते ही चीन के खिलाफ कार्रवाई शुरु की गई है। बीते चार वर्षों में ऑस्ट्रेलिया की संसद में चीन के खिलाफ दो अहम समझौते पारित हुए हैं और अब यह पेश हो रहा तीसरा नया विधेयक साबित हुआ है। इससे पहले पारित हुए कानून के तहत विदेश से प्राप्त हो रहा सियासी दान एवं विदेशी निवेश रोकने की कोशिश हुई थी।

इन दोनों कानूनों के खिलाफ चीन की हुकूमत ने कड़ी आपत्ति जताई थी। ऑस्ट्रेलियन सरकार चीन के खिलाफ कार्रवाई ना करे इसके लिए ऑस्ट्रेलिया के व्यापार एवं पर्यटन क्षेत्र को झटका देने की कोशिश की गई थी। लेकिन, चीन के दबाव को हम गंभीरता से नहीं देखते, यही बात प्रधानमंत्री मॉरिसन ने अपने नए निर्णय से दिखाई है।

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