छत्तीसगढ़ में माओवादियों ने की अपने ही पांच सहयोगियों की हत्या

रायपूर – छत्तीसगढ़ के विजापुर ज़िले में पांच माओवादियों की उनके ही सहयोगियों ने हत्या की है। बीते सप्ताह से यह ऐसी दूसरी घटना है। बेकसूर ग्रामस्थों की हत्या करने के मुद्दे पर माओवादियों के बीच मतभेद निर्माण हुआ और अपना प्रभाव कम होने से माओवादी बेचैन होने के दावे किए जा रहे हैं। अपने ही सहयोगियों के साथ हुए विवाद के बाद हुए संघर्ष में ये माओवादी मारे गए। इन माओवादियों के सिर पर तीन से पांच लाख रुपयों का ईनाम रखा गया था।

chhattisgarh-terroristमारे गए माओवादियों के नाम संदीप उर्फ बुधराम, लखू हेमला, संतोष, दासरू मांडवी, कमलु पुनीम बताए गए हैं। इनमें से चार माओवादी गंगलूर क्षेत्र समिती के सक्रिय सदस्य थे। तो संतोष पामेड क्षेत्र समिती में कार्यरत था। इनकी हत्या की अधिक जानकारी प्राप्त की जा रही है, ऐसा बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने कहा है।

लेकिन, प्राथमिक जाँच के अनुसार इस क्षेत्र के माओवादियों ने कुछ बेकसूर गांववालों की हत्या की थी। पुलिस के मुखबीर होने के आरोप लगाकर इनकी हत्या की गई थी। लेकिन, इनकी हत्या के बाद माओवादियों में आपसी विवाद शुरू हुआ। माओवादियों के विवाद का यह नतीजा होने की बात पुलिस अधिकारी ने कही है।

इससे पहले बीते सप्ताह में माओवादियों ने उनके ही विभागीय समिती सदस्य मोदीम विज्जा की हत्या की थी। गंगलूर क्षेत्र समिती का सचिव दिनेश मोदीम और गंगलूर क्षेत्र समिती विभागीय समिती सदस्य मोदी विज्जा के बीच इटवार गांव के जंगल में चार से पांच दिन पहले विवाद होने की जानकारी विश्‍वस्नीय सूत्रों से बस्तर पुलिस को प्राप्त हुई थी। इस दौरान दिनेश और विज्जा ने एक दूसरे पर हमला किया। इस घटना में मोदीम विज्जा मारा गया।

chhattisgarh-terroristइसके बाद विज्जा के नेतृत्व में काम करनेवाले पांच माओवादियों की उनके ही सहयोगियों ने हत्या कर दी। बेकसूर गांववालों की हत्या के मुद्दे पर मतभेद होने से विजापुर ज़िले में कुल छह माओवादियों की उनके ही सहयोगियों ने हत्या करने की जानकारी पुलिस ने साझा की है।

इस वर्ष छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में माओवादियों ने ४३ गांववालों की हत्या की है। इन ४३ में से ११ गांववालों की हत्या सितंबर में हुई है। बेकसूर गांववालों की माओवादी हत्या कर रहे हैं। इससे गांववालों में असंतोष फैला है। सुरक्षाबलों की जोरदार कार्रवाई और उसी समय शुरू हुए विकास कार्यों की वजह से बीते कुछ समय से माओवादियों का प्रभाव कम हो रहा है। इससे बेचैन हुए माओवादी आतंक फैलाने के लिए यह हत्याएं कर रहे हैं, यह बात भी सामने आयी है। इससे माओवादियों में मतभेद बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति पर नज़र रखी जा रही है, यह बात संबंधित अधिकारी ने स्पष्ट की।

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