छत्तीसगढ़ में मुठभेड़ में १५ माओवादी ढेर

रायपुर – छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में पुलिस ने १५ माओवादियों को मुठभेड़ में ढेर किया। मारे गए माओवादियों में एक कमांडर का भी समावेश है। छत्तीसगढ़ पुलिस ने शुरू की माओवादियों के खिलाफ मुहीम को मिली यह बड़ी सफलता मानी जा रही है।

सुकमा में स्थित कोंटा, गोलापल्ली और भेजी इन इलाकों को जोड़ने वाले इलाकों में माओवादियों की गतिविधियाँ दिखाई देने की जानकारी छत्तीसगढ़ पुलिस को मिली थी। २५ माओवादियों का समूह यहाँ के जंगल में दिखाई देने की खबर मिलते ही दो पथक बनाकर उनको दक्षिण सुकमा में माओवादियों के कैंप की दिशा में रवाना किया गया। रविवार शाम से यह जाँच मुहीम जारी थी। इस पथक में माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए खास खास तैयार किए गए गरुड़ कमांडर के साथ विशेष कृति बल, सीआरपीएफ और ‘कमांडो बटालियन फॉर रिसोल्युट एक्शन’ (कोब्रा) के जवानों का समावेश था।

लगभग २०० जवानों ने यह इलाक छानने के बाद यहाँ के नलाटोंग गाँव में माओवादी और सुरक्षा बलों के जवानों बीच सामना हुआ। दोनों तरफ से गोलीबारी शुरू थी। आधे घंटे तक चली गोलीबारी के बाद सब तरफ शांति फ़ैल गई। कुछ देर बाद यहाँ पर जाँच शुरू की गई। इसमें १५ लाशें मिली और दो घायल माओवादियों को गिरफ्तार किया गया। मारे गए माओवादियों में ‘विन्जम होंगा’ यह माओवादी कमांडर भी था। इसके अलावा गिरफ्तार होने वालों में एक महिला माओवादी होने की जानकारी गडचिरोली पुलिस ने दी। इस इलाके से हथियारों का बड़ा भंडार भी जब्त किया गया है।

पिछले कुछ महीनों से छत्तीसगढ़ में माओवादियों के खिलाफ की मुहीम अधिक तीव्र की गई है। सुकमा, बस्तर, बीजापुर जैसे सर्वाधिक माओवादियों के प्रभाव वाले जिले माओवादियों के प्रभाव से मुक्त करने के दृष्टिकोण से यह मुहीम लागू की जा रही है। १९ जुलाई को भी आठ माओवादियों को बीजापुर में ढेर किया गया था। इस साल छत्तीसगढ़ में अब तक विविध मुठभेड़ों में ८६ माओवादियों की लाशें सुरक्षा बलों के हाथ लगी हैं।

इस आक्रामक मुहीम की वजह से और दूसरी तरफ किए जा रहे विकास कार्यों की वजह से माओवादियों के प्रभाव से कई इलाके मुक्त हो रहे हैं। दो महीनों पहले ही सरकार ने कहा था की, राज्य में माओवादियों के प्रभाव वाले इलाके कम होते जा रहे हैं।

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