काकरापार में ‘मेक इन इंडिया’ के तहत रिअ‍ॅक्टर ऊर्जा निर्माण के लिए तैयार – प्रधानमंत्री द्वारा वैज्ञानिकों का अभिनंदन

श्रीनगर – गुजरात के काकरापार की परमाणु ऊर्जा परियोजना में से तीसरा रिऍक्टर ऊर्जा निर्माण के लिए तैयार हुआ है। स्वदेशी परमाणु उर्जा तंत्रज्ञान का उपयोग करके बनाया गया रिएक्टर ‘क्रिटिकल’ चरण तक पहुँचना एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती जा रही है। इससे भारत को परमाणु ऊर्जा तंत्रज्ञानवाले कुछ देशों में से एक बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कामयाबी के लिए भारतीय वैज्ञानिकों को बधाई दी है। गृहमंत्री अमित शहा ने कहा है कि यह भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक दिन है।

ऊर्जा निर्माण

काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र-३ (केएपीपी-३) काम करने की स्थिति में पहुंच गया है। इसे ‘महत्वपूर्ण’ चरण (गंभीर अवस्था) के रूप में जाना जाता है। ७०० मेगावाट की क्षमता होने वाला, यह रिएक्टर भारत का स्वदेशी तकनीक पर आधारित सबसे बड़ा रिएक्टर है। यह रिएक्टर मतलब ‘मेक इन इंडिया‘ का एक प्रमुख उदाहरण है ऐसा प्रधानमंत्री मोदी इन्होंने कहा। भविष्य की सफलता की ओर भारत के कदम बढ़ने लगे हैं, यह भी प्रधानमंत्रीजी ने रेखांकित किया।

काकरापार परमाणु ऊर्जा परियोजना में २२० मेगावाट के दो संयंत्र क्रमशः १९९३ और १९९५ में शुरू हो गए थे। अब तीसरा और चौथा रिएक्टर यहाँ पर स्थापित किया जा रहा है। ‘केएपीपी-३’ रिएक्टर स्वदेशी परमाणु ऊर्जा तकनीक पर आधारित है। ‘न्यूक्लियर पावर कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया’ (एनपीसीआईएल) ने इस परमाणु ऊर्जा तंत्रज्ञान का विकास किया है। ‘केएपीपी-३’ यह क्लोज्ड फ्यूल साइकिल पर आधारित तीन-स्तरीय तकनीक है। जल्द ही इस प्रोजेक्ट से उर्जा का निर्माण शुरू होगा। इसके बाद ‘केएपीपी-४’ भी जल्द ही शुरू होने की संभावना है। यह ‘प्रेशराइज्ड हेवी वॉटर रिएक्टर’ होगा।

भारत ने १७५ गिगावॅट अपरंपरागत ऊर्जा का लक्ष्य रखा है। सौर, पवन और परमाणु ऊर्जा के माध्यम से वह हासिल किया जाएगा। भारत में कुल ९००० मेगावॅट की क्षमता के लगभग १२ रिएक्टर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। ६७०० मेगावॅट के ९ रिएक्टरों कें निर्माण का काम शुरू है। महाराष्ट्र के जैतापुर, आंध्रप्रदेश के कोवाड़ा, गुजरात में मिठी विरदी, पश्चिम बंगाल में हरिपुर और मध्यप्रदेश में भीमपुर में परमाणु परियोजनाओं को सरकार से सैद्धांतिक मंज़ुरी मिल गई है।

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