भारत और दक्षिण कोरिया के बीच ११ सामंजस्य अनुबंध

नई दिल्ली – भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के दौरे पर आए दक्षिण कोरिया के राष्ट्राध्यक्ष ‘मून जे-इन’ के बीच द्विपक्षीय चर्चा के बाद दोनों देशों के बीच लगभग ११ सहकार्य अनुबंध संपन्न हुए हैं। इस दौरान बोलते समय प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और दक्षिण कोरिया की ‘न्यू सदर्न स्ट्रैटेजी’ लगभग एक जैसी है, ऐसा दावा किया है। वर्तमान में २० अरब डॉलर्स पर स्थित भारत और दक्षिण कोरिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार सन २०३० तक ढाई गुना बढाकर ५० अरब डॉलर्स तक ले जाने का ध्येय दोनों देशों ने अपने सामने रखा है।

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भारत और दक्षिण कोरिया के बीच हुए ११ सहकार्य अनुबंधों में व्यापार, विज्ञान, तकनीक, टेलीकम्यूनिकेशन, बायो टेक्नोलॉजी साथ ही उद्योग विश्व विषयक अन्य अनुबंधों का समावेश है। साथ ही दोनों देशों ने रक्षा, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस और व्यापारी सहकार्य अधिक व्यापक बनाने का निर्धार व्यक्त किया है। दक्षिण क्रिया के राष्ट्राध्यक्ष के साथ संयुक्त पत्रकार परिषद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों देशों का नजरिया एक सामान होने का दावा किया है। पूर्व में स्थित देशों के साथ सभी स्तरों पर संबंध अधिक दृढ और व्यापक करने के लिए भारत ने ‘लुक ईस्ट’ नीति अपनाई थी। लेकिन पिछले चार सालों में यह नीति अधिक आक्रामकता से लागू करके ‘एक्ट ईस्ट’ नीति में रूपांतरण किया गया है।

भारत ने अपनाई यह एक्ट ईस्ट नीति और दक्षिण कोरिया की ‘न्यू सदर्न स्ट्रैटेजी’ बिलकुल एक समान है और इसका आधार एक ही है, ऐसा दावा प्रधानमंत्री मोदी ने किया है। दक्षिण कोरिया के राष्ट्राध्यक्ष ‘मून जे-इन’ के साथ संयुक्त पत्रकार परिषद को संबोधित करते समय मोदी ने इस बात को रेखांकित किया है। साथ ही भारत के दक्षिण कोरिया के साथ संबंधों का आधार व्यापारी सहकार्य रहेगा, ऐसा भी मोदी ने कहा है। कोरियन क्षेत्र के घटनाक्रमों के बारे में भारत सजग है और इन दिनों अमरिका और उत्तर कोरिया के बीच चल रही शांति चर्चा के साथ भारत के हितसंबंध भी जुड़े हैं, इस बात को प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया है।

बार बार परमाणु परिक्षण करके पूरी दुनिया को परेशानी में डालने वाले उत्तर कोरिया और पाकिस्तान के बीच परमाणु सहकार्य होने की बात सामने आई थी। उसका प्रमाण देकर प्रधानमंत्री मोदी ने इन दोनों देशों के बीच के इस विघातक सहकार्य का भारत पर विपरीत परिणाम हुए हैं, ऐसे संकेत दिए हैं। इसीलिए वर्तमान में अमरिका और उत्तर कोरिया के बीच चल रही शांति चर्चा में भारत के भी हितसंबंध व्यस्त हैं, ऐसा कहकर इस चर्चा के लिए भारत ने भी योगदान दिया है, ऐसा दावा प्रधानमंत्री ने किया है।

उसीके साथ ही भारत में बड़े पैमाने पर निवेश करने वाली कोरियन कंपनियों की प्रधानमंत्री मोदी ने प्रशंसा की है। यह कंपनियां केवल निवेश करके नहीं रुकी हैं, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ उपक्रम के अंतर्गत भारत में रोजगार निर्माण कर रहीं हैं, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है।

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