‘सिटिझनशिप एक्ट’ के सुधार का रपट संसद में रखा जाएगा

नई दिल्ली: पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांगलादेश इन पडोसी देशों में अल्पसंख्यक बने हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ख्रिस्ती और पारशी धर्मिय नागरिकों को भारत की नागरिकता बहाल करने के विषय में सुधार किया हुआ विधेयक लोकसभा में रखा जाएगा| इस संबंधी संसद के संयुक्त समिती का रपट लोकसभा में सोमवार को रखा जाना था| इस विधेयक का देश में काफी जगहों पर स्वागत हो रहा है, लेकिन फिर भी कुछ लोग इस विधेयक को विरोध करते दिखाई दे रहे है|

सिटिझनशिप एक्ट, सुधार, रपट, संसद, रखा जाएगा, भारत, पाकिस्तानबटवारे के बाद पाकिस्तान में रहे हिंदू, सिख और बौद्धधर्मियों को धार्मिक असहिष्णुता के साथ अत्याचारों का भी सामना करना पड रहा था| वही अफगानिस्तान जैसे देश में तालिबान की हुकूमत स्थापित होने के बाद वहां के हिंदू और सिखधर्मिय बडी संख्या में भारत पहुंचे थे| तालिबान जब अफगानिस्तान पर कब्जा कर रहा था तब भडके गृहयुद्ध के दौरान वहां के लगभग २५ हजार हिंदू और सिख जान बचाकर भारत पहुंचे थे| बांगलादेश में चरमपंथी हिंदूओं पर अत्याचार कर रहे थे| इस वजह से बांगलादेश में रहनेवाले हिंदू भागकर भारत पहुंचे थे|

इस तरह पडोसी देशों में अल्पसंख्यांक बने हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ख्रिस्ती और पारशीयों ने जान जाने के डर से भारत में शरण ली थी| इन्हें नागरिकता देना भारत का कर्तव्य बनता है, यह दावा काफी लोग कर रहे थे| लेकिन भारत जैसे ‘सेक्युलर’ देश में धार्मिक आधार पर नागरिकत्व बहाल कर नही सकते, यह कहकर कई लोगों ने इस प्रस्ताव का डटकर विरोध किया है| ईशान्य के राज्यों में इस प्रस्ताव को बडी मात्रा में विरोध हो रहा है| इस से स्थानिय लोगों के हित के लिए खतरा बनेगा, यह चिंता व्यक्त की जा रही है| लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन्होंने अन्य लोगों को नागरिकत्व देते समय स्थानियों के हित का विचार होगा, यह गवाही दी है|

इस पृष्ठभुमि पर सोमवार के दिन संयुक्त संसदीय समिती से १९५५ के ‘सिटिझनशिप एक्ट’ में सुधार करने संबंधी रपट लोकसभा में रखा जाना था| इसके अनुसार पिछले छह वर्षों से भारत की शरण में रह रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ख्रिस्ती और पारशी धर्म के शरणार्थियों को नागरिकत्व देने की सिफारिश की गई है| यह अवधी पहले १२ वर्ष का था| साथ ही इसके लिए कई कागजों की भी जरूरत थी| पर, नए सुधार की वजह से यह शर्थे हटाई जा रही है|

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