दस नये परमाणु रिऍक्टरों को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंज़ुरी

नयी दिल्ली, दि. १८ : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नये दस परमाणु रिऍक्टरों के निर्माण को मंज़ुरी दी है| सात हज़ार मेगावॅट क्षमतावाले इन रिएक्टरों की वजह से भारत के घरेलू परमाणुऊर्जानिर्माण में बड़ी मात्रा में बढ़ोतरी होगी| सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ के कार्यक्रम के तहत इन रिऍक्टरों का निर्माण भारत में ही करने का निर्णय लिया है| इस वजह से, स्थानीय परमाणुऊर्जा उद्योग के स्वरूप में बदलाव होनेवाले हैं और ३३ हज़ार नयीं नौकरियों का निर्माण होगा| साथ ही, स्थानीय उद्योगों को ७० हज़ार करोड़ रुपयों का कारोबार मिलेगा, ऐसे दावे किए जा रहे हैं|

केंद्रीय मंत्रिमंडलप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक बुधवार को संपन्न हुई| इस बैठक में इस निर्णय पर मुहर लगाई गई| एक ही समय दस रिऍक्टर को मंज़ुरी देने का यह पहला मौका है और आनेवाले समय में, भारत के परमाणुऊर्जा क्षेत्र का विस्तार बड़े पैमाने पर होनेवाला है, यह इस बात से स्पष्ट होता है| सन २०३२ तक भारत का परमाणुऊर्जा निर्माण ६३ हज़ार मेगावॅट तक ले जाने का और सन २०५० तक देश की २५ प्रतिशत ऊर्जा की सप्लाई इस परमाणुऊर्जा परियोजना से हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है| इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए नये और अधिक क्षमता के रिऍक्टरों का निर्माण करने का निर्णय लिया गया है|

फिलहाल देश में २२ रिएक्टर हैं और उनके माध्यम से ६ हज़ार ७८० मेगावॅट इतनी नाभिकीय ऊर्जा का निर्माण होता है| इसके अलावा ६ हज़ार ७०० मेगावॅट क्षमता के रिऍक्टर का निर्माण करने का काम जारी है| नये १० रिऍक्टरों की वजह से भारत की परमाणुऊर्जा क्षमता २० हजार मेगावॅट तक बढ़ेगी|

देश के २२ रिएक्टरों में से १८ रिऍक्टर ‘हेवी वॉटर’ प्राद्योगिक पर आधारित हैं| यह प्राद्योगिक परमाणुऊर्जा निर्माण के लिए सबसे ज़्यादा सुरक्षित मानी जाती है| इस ‘प्रेशराइज्ड हेवी वॉटर’ (पीडब्ल्यूआर) प्राद्योगिक का इस्तेमाल करके ये नये दस रिऍक्टर बनाए जायेंगे| लेकिन फिलहाल जो कार्यरत हैं और जिनका निर्माण किया जा रहा है, उन रिएक्टरो से नये रिऍक्टरों की क्षमता अधिक होगी| भारत में २५० मेगावॅट से लेकर ५०० मेगावॅट क्षमता तक के रिएक्टर है| लेकिन नये रिएक्टरों की क्षमता ७०० मेगावॅट होगी|

इन रिऍक्टरो का निर्माण राजस्थान के माही बनसावरा, मध्य प्रदेशा के चुटका, कर्नाटक के कैगा और हरयाणा के गोरखपूर में किया जायेगा| ‘पीएचडब्लूआर’ प्राद्योगिक पर आधारित यह रिऍक्टर भारत ने कॅनडा से मँगवाये थे| लेकिन सन १९७४ में भारत ने किए परमाणु परीक्षण के बाद कॅनडा ने भारत को यह तंत्रज्ञान देने से इन्कार किया था| इसके बाद भारतीय वैज्ञानिकों ने स्वयं इस प्राद्योगिक को विकसित किया था|

‘मेक इन इंडिया’ के तहत इन रिएक्टरों का निर्माण भारत में ही किया जानेवाला है| इस वजह से स्थानिक उद्योंगो को व्यवसाय मिलेगा, इसके अलावा आंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मानकों के अनुसार रिऍक्टरों का निर्माण करने की भारत की क्षमता इससे साबित होगी, ऐसा विश्‍वास केंद्रीय ऊर्जामंत्री पियुष गोयल ने जताया| साथ ही, कोयले पर आधारित बिजली परियोजनाएँ पूरी क्षमता के साथ शुरू रहें, उन्हें कोयले की कमी ना महसूस हों, इसके लिए केंद्र सरकार ने नयी नीति बनाई है, ऐसी जानकारी गोयल ने दी|

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