खाड़ी क्षेत्र से अलग निकालें नहीं जा सकनेवाले इस्रायल के साथ इराक अब्राहम समझौता करें – इराक के तीनसौ से अधिक नेताओं की माँग

abraham-accords-israel-iraq-2इरबिल – ‘इराक इस्रायल के साथ पूरा राजनीतिक सहयोग स्थापित कर, आपसी विकास और समृद्धि की नई नीति अपनाएँ। अन्य अरब देशों की तरह इराक भी इस्रायल के साथ अब्राहम समझौते में सहभागी हों’, ऐसी माँग इराक के ३१२ प्रभावशाली नेता और कार्यकर्ताओं ने की। साथ ही, इस्रायल को खाड़ी क्षेत्र से अलग नहीं निकाला जा सकता, ऐसा गौरतलब बयान भी इन नेताओं ने किया। इनमें शिया और सुन्नी इन दोनों समुदायों के नेताओं का समावेश था। ईरान और हिजबुल्लाह के नेता इस्रायल को दुनिया के नक्शे से मिटा देने की घोषणाएँ कर रहे हैं, ऐसे में इराक से हो रही इस्रायल के साथ सहयोग स्थापित करने की माँग, यह बहुत बड़ी घटना साबित होती है।

abraham-accords-israel-iraq-3इराक के कुर्दिस्तान प्रांत की राजधानी इरबिल में शुक्रवार को विशेष परिषद का आयोजन किया गया था। अमेरिका स्थित ‘सेंटर फॉर पीस कम्युनिकेशन’ ने आयोजित की इस परिषद में इराक के शिया, सुन्नी गुटों तथा टोलियों के प्रमुख, वरिष्ठ नेता, कार्यकर्ता और युवाओं का समावेश था। इस परिषद में कुछ नेताओं ने इराक और इस्रायल के बीच आमने-सामने चर्चा करना आवश्यक होने का मत ज़ाहिर किया।

‘अगर खाड़ी क्षेत्र में संघर्ष खत्म करके स्थिरता स्थापित करनी हो, तो इस्रायल के साथ शांति आवश्यक है। इस्रायल को खाड़ी क्षेत्र से अलग नहीं किया जा सकता, इसी कारण इस क्षेत्र का भाग होनेवाले इस्रायल के साथ इराक सहयोग करें। इराक की सरकार अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इस्रायल के साथ अब्राहम समझौते में सहभागी हों’, ऐसा आवाहन ‘सन्स ऑफ इराक अवेक्निंग मुव्हमेंट’ के नेता विसाम अल-हरदान ने किया।

abraham-accords-israel-iraq-1इसके लिए हरदान ने खाड़ी क्षेत्र के अन्य देशों में बनी परिस्थिति पर इराकी नेताओं का गौर फ़रमाया। ‘सिरिया, लिबिया, लेबनान तथा येमन जैसे देश जब संघर्ष में डूबे हैं, तब अब्राहम समझौता इराक को शांति, आर्थिक विकास और बंधुता प्रदान करेगा। इसलिए इराकी सरकार जुलमी हुकूमत, अराजकता इनका चयन करेगी या सभ्यता, शांति और विकास, यह अब हमें ही तय करना है’, ऐसी फटकार हरदान ने लगाई। साथ ही, इराक स्थित ज्यूधर्मियों को देश के बाहर निकाल देने का वाकया बहुत ही निंदनीय था, ऐसी आलोचना हरदान ने की। इराक में आयोजित इस परिषद का इस्रायल ने स्वागत किया।

बता दें, इराक की ईरानपरस्त सरकार इस्रायल के खिलाफ होकर, पिछले कुछ दशकों से इराक की भूमिका इस्रायलविरोधी रही है। सन १९६७ से १९७३ तक चले इस्रायल-अरब युद्ध में इराक ने इस्रायल के विरोध में सबसे बड़ी लष्करी तैनाती की थी। वहीं, सन १९८१ में इराक के तत्कालीन तानाशाह सद्दाम हुसेन खुफिया तरीके से परमाणु अस्त्र का निर्माण कर रहे हैं, यह आरोप करके इस्रायल ने इराक के ओसिराक प्लांट पर हवाई हमले किए थे। वहीं, सन १९९१ खाड़ी क्षेत्र के युद्ध में सद्दाम ने इस्रायल पर स्कड क्षेपणास्त्रों के हमलें भी किए थे। लेकिन इराक के कुर्द नेता और गुट इस्रायल के साथ सहयोग करते हैं, ऐसा दावा किया जाता है।

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