आतंकी हमले की साज़िश के मामले में ईरानी अफसर को बेल्जियम में हुई सज़ा

france-iran-belgiumब्रुसेल्स – फ्रान्स की राजधानी पैरिस में आयोजित समारोह में विस्फोटक लगाकर बड़ा हमला करने की साज़िश करने में शामिल ऑस्ट्रिया स्थित ईरान के राजनीतिक अफसर को २० वर्ष की सज़ा सुनाई गई है। बेल्जियम की अदालत ने बुधवार के दिन इस सज़ा का ऐलान किया। लेकिन, हमारे राजनीतिक अफसर पर मुकदमा चलाने का अधिकार बेल्जियम को ना होने की आलोचना ईरान ने की है। साथ ही इस राजनीतिक अफसर को ईरान के हवाले करने की माँग की गई है।

ईरान की हुकूमत के कड़े विरोधी और यूरोपिय देशों में पनाह लेनेवाले ईरानी जनता के ‘नैशनल काऊन्सिल ऑफ रेज़िस्टन्स इन ईरान’ (एनसीआरआय) नामक संगठन फ्रान्स की राजधानी पैरिस में सालाना बड़ी सभा का आयोजन करता है। ‘एनसीआरआय’ की नेता मरियम रजावी इस सभा के माध्यम से ईरान के सर्वोच्च नेता आयातुल्ला खामेनी और रिवोल्युशनरी गार्ड्स को लक्ष्य करती हैं। इस सभा में अमरीका और यूरोप के नेता भी उपस्थित होते हैं। इस वजह से ‘एनसीआरआय’ की इस सभा को बड़ी अहमियत प्राप्त होती है।

वर्ष २०१८ में आयोजित इस सभा में बड़ा आतंकी हमला करने की साज़िश ऑस्ट्रिया स्थित ईरान के दूतावास के राजनीतिक अफसर अस्सादोल्ला अस्सादी ने रची थी। इसके लिए अस्सादी ने आधे किलो भार के विस्फोटक और डिटोनेटर भी उपलब्ध कराए थे। बेल्जियम के निवासी नसिमेह नामी और अमिर सादौनी एवं मेहरदाद अरेफानी के साथ इस साज़िश को अंजाम देकर हमला करने का प्लान अस्सादी ने बनाया था।

france-iran-belgiumयूरोप की अलग अलग गुप्तचर यंत्रणाओं ने इस साज़िश की जानकारी बेल्जियम की सुरक्षा यंत्रणा को प्रदान की थी। इस पर बेल्जियम की सुरक्षा यंत्रणाओं ने कार्रवाई करके एक गाड़ी से विस्फोटक बरामद किए थे और इसी दौरान जर्मनी से अस्सादी को हिरासत में लिया गया था। अस्सादी ने राजनीतिक अधिकारों का इस्तेमाल करके जर्मनी में आश्रय लेने की तैयारी भी की थी। लेकिन, जर्मनी ने उनकी यह माँग ठुकराई थी। अस्सादी के साथ उसके तीन साथियों को हिरासत में लिया गया। आगे बेल्जियम की सुरक्षा यंत्रणाओं ने पूछताछ करने के बाद अस्सादी ईरान की गुप्तचर यंत्रणा के एजंट होने की बात स्पष्ट हुई थी।

इसी बीच, बेल्जियम की अदालत ने सुनाई सज़ा अस्सादी ने स्वीकारी है। लेकिन, ब्रुसेल्स में स्थित ईरान के दूतावास ने अस्सादी की गिरफ्तारी और उसकी सज़ा की आलोचना की है। वियना समझौते के अनुसार राजनीतिक अफसरों पर मुकदमा चलाया नहीं जा सकता, ऐसा ईरान का कहना है।

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