ईरान ने सन २००३ में ही परमाणु बम परीक्षण की तैयारी की थी – अमरीका के विख्यात विश्लेषकों का दावा

परमाणु बम परीक्षणवॉशिंग्टन – ‘ सन २००३ के अंत तक ईरान ने परमाणु बम के मुख्य घटकों का ‘कोल्ड टेस्ट’ करने की तैयारी की थी। अब ईरान सिर्फ संवर्धित युरेनियम की पर्याप्त मात्रा अथवा प्लुटोनियम को हासिल करने की प्रतीक्षा कर रहा है। अगर इसे हासिल करने में ईरान सफल हुआ, तो यह देश तेज़ी से परमाणु बम का निर्माण करेगा। अगर ऐसा हुआ, तो ईरान विध्वंसक से भी परमाणु बम प्रक्षेपित कर सकता है’, ऐसी चेतावनी अमरीका के विख्यात अभ्यासगुट के संस्थापक डेव्हिड अल्ब्राईट और संशोधिका साराह बर्कहार्ड ने दी।

अमरीका का बायडेन प्रशासन ईरान के साथ परमाणु समझौता करने के लिए तेज़ी से गतिविधियाँ कर रहा है। ऐसी परिस्थिति में, अमरिकी विश्लेषक ने दी हुई चेतावनी बायडेन प्रशासन पर दबाव डालनेवाली साबित हो सकती है, ऐसा दावा अमरिकी माध्यम कर रहे हैं। ‘इन्स्टिट्युट फॉर सायन्स अँड इंटरनॅशनल सिक्युरिटी’ (आयएसआयएस) इस अमरिकी अभ्यास गुट के अध्यक्ष डेव्हिड अल्ब्राईट और संशोधिका रासाह बर्कहार्ड की पुस्तक जल्द ही प्रकाशित हो रही है। ‘इरान्स पेरिलस पर्स्यू ऑफ न्यूक्लिअर वेपन्स’ यानी ‘ईरान का परमाणु अस्त्रों का खतरनाक लक्ष्य’ ऐसा इस पुस्तक का नाम है।

सन २०१८ में इस्रायली गुप्तचर यंत्रणा मोसाद के प्रमुख ने ईरान में घुसकर इस देश के परमाणु कार्यक्रम से संबंधित हजारों कागजात, दस्तावेज़, वीडियो हस्तगत किए। उसके बाद इस्रायल के प्रधानमंत्री ने यह सारी जानकारी माध्यमों के सामने सार्वजनिक की थी। पिछले महीने मोसाद के प्रमुख ने अमरीका का दौरा करके राष्ट्राध्यक्ष बायडेन से मुलाकात की और ये सबूत उनके हवाले किए थे। इन्हीं दस्तावेज़ों के आधार पर अल्ब्राईट और बर्कहार्ड ने अपनी पुस्तक में ईरान के परमाणु कार्यक्रम से होनेवाला खतरा प्रस्तुत किया है ।

ईरान हालाँकि दावा कर रहा है, फिर भी इस देश ने परमाणु बम के निर्माण के लिए आवश्यक तंत्रज्ञान और अन्य सामग्री सन २००३ में ही हासिल की थी, ऐसा अमरिकी विश्लेषकों ने कहा है। १७ वर्ष पहले ही ईरान ने परमाणु बम में होनेवाले घटकों का ‘कोल्ड टेस्ट’ अर्थात् परमाणु ईंधन के बगैर परीक्षण करने की तैयारी की थी। दरअसल ईरान परमाणु परीक्षण में सफल भी साबित हो जाता। क्योंकि ईरान की वैज्ञानिकों ने परमाणु बम के निर्माण के लिए आवश्यक तंत्रज्ञान विषयक कुशलता संपादन की थी। लेकिन इसके लिए ईरान को आवश्यक परमाणु ईंधन अर्थात संवर्धित युरेनियम और प्लुटोनियम की आवश्यकता थी, ऐसा अल्ब्राईट और बर्कहार्ड ने लिखा था।

परमाणु बम परीक्षणईरान अगर संवर्धित युरेनियम अथवा प्लुटोनियम को आवश्यक मात्रा में हासिल करने में सफल हो जाता है, तो परमाणु बम का निर्माण करने के लिए ईरान को अधिक अवधि नहीं लगेगी, ऐसा दावा अमरिकी विश्लेषकों ने अपनी पुस्तक में किया है। यदि ऐसा हुआ, तो इस परमाणु बम के इस्तेमाल के लिए ईरान मोबाईल लॉंचर्स यानी जमीन से दागे जानेवाले बैलिस्टिक क्षेपणास्त्रों पर निर्भर नहीं रहेगा। बल्कि विध्वंसक से क्रूज़ क्षेपणास्त्रों की सहायता से भी परमाणु बम के हमले कर सकता है, ऐसा अल्ब्राईट और बर्कहार्ड ने जताया है।

ऐसी परिस्थिति में, ईरान के बैलिस्टिक क्षेपणास्त्रों का निर्माण रोकना व्यर्थ है। क्योंकि परमाणु बम प्रक्षेपित करने के लिए ईरान के पास अन्य भी कई विकल्प उपलब्ध हैं। इस कारण अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग, ईरान परमाणु बम का निर्माण कर ही नहीं सकेगा, इस पर अधिक ध्यान केंद्रित करें। ऐसी सलाह अमरिकी विश्लेषकों ने दी है। साथ ही, पिछले कुछ सालों में पश्चिमी देशों ने, ईरान के परमाणु कार्यक्रम के संदर्भ में दिखाए ढीलेपन की भी अल्ब्राईट और बर्कहार्ड ने आलोचना की।

पिछले महीने भर से अमरीका का बायडेन प्रशासन और ईरान के बीच वियना में परमाणु समझौते पर बातचीत शुरू है। सन २०१५ के परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए बायडेन प्रशासन ईरान को प्रतिबंधों से छूट देने के लिए तैयार होने की खबर आई है। इसकी पूरी तैयारी बायडेन प्रशासन ने की है। लेकिन ईरान पर लगाए प्रतिबंध पूरी तरह हटाए बगैर ईरान परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत करने के लिए तैयार नहीं है।

राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने ईरान के संदर्भ में अपनाई इस नर्म भूमिका पर अमरिकी लोकप्रतिनिधी और इस्रायल तथा सऊदी जैसे देश भी नाराज़ हैं। ऐसे समय में अमरिकी विश्लेषकों ने अपनी पुस्तक द्वारा दी चेतावनी कोमा बायडेन प्रशासन पर दबाव बढ़ानेवाली साबित होगी, ऐसा अमरीका के अग्रसर अखबार का कहना है।

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