ईरान के छाबहार बंदरगाह का विकास करके भारत का चीन के ‘बीआरआय’ के लिए विकल्प

नई दिल्ली – ईरान में ४०० अरब डॉलर्स के निवेश की घोषणा करके चीन ने खलबली मचायी थी। ईरान का छाबहार बंदरगाह विकसित करके मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापारी सहयोग स्थापित करने की भारत की योजना इससे मिट्टी में मिल जायेगी, ऐसी चिंता व्यक्त की जा रही थी। लेकिन अब इससे चीन के ‘बेल्ट अँड रोड इनिशिएटीव्ह’ (बीआरआय) के लिए भारत ने ईरान और मध्य एशियाई देशों के सामने विकल्प रखा होने की चर्चा शुरू हुई है। इसके द्वारा भारत ने एक ही समय चीन और पाकिस्तान का महत्त्व कम कर दिया होने के दावे भी सामने आने लगे हैं।

छाबहार बंदरगाह

ईरान ने अपनी छाबहार बंदरगाह विकास परियोजना से भारत को हटा दिया, ऐसी ख़बरें कुछ समय पहले जारी हुईं थीं। लेकिन भारत ने इस बंदरगाह का इस्तेमाल करके अफगानिस्तान के ज़रिये मध्य एशियाई देशों के लिए वैकल्पिक व्यापारी मार्ग का निर्माण करा देने के लिए पहल की दिखायी दे रही है। कुछ दिन पहले भारत-ईरान और उज़बेकिस्तान के बीच संपन्न हुई चर्चा इस मामले में ही थी। इसके आगे इसी प्रकार की त्रिपक्षीय चर्चा भारत आयोजित करनेवाला होकर, इसमें ईरानसमेत अफ़गानिस्तान का भी समावेश होगा, ऐसा भारत के विदेश मंत्रालय ने घोषित किया है।

नज़दीकी समय में अन्य मध्य एशियाई देशों के साथ भी ईरान समेत त्रिपक्षीय चर्चा आयोजित की जा सकती है, इसके लिए भारत तैयार है, ऐसा विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने स्पष्ट किया। इससे यही बात सामने आ रही है कि भारत छाबहार बंदर की विकास परियोजना से दूर नहीं गया है, बल्कि इसका इस्तेमाल करके भारत मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापारी संबंध स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। सितम्बर महीने में भारत ने छाबहार बंदरगाह के लिए लगनेवाली यंत्रसामग्री के लिए चिनी कंपनी को दिया काँट्रॅक्ट रद कर दिया था। इससे इस बंदरगाह के विकास पर असर होगा और भारत मुश्किल में फ़ँसेगा, ऐसी संभावना जतायी जा रही थी। लेकिन भारत ने महज़ तीन महीने में यह काँट्रॅक्ट पश्चिमी देश की कंपनी को देकर यह काम आगी बढ़ाया दिख रहा है।

छाबहार बंदरगाह से आगे जानेवालीं रेल लाईन्स के लिए सहायता कीजिए, ऐसा आवाहन ईरान ने भारत से किया है। साथ ही, ट्रम्प का कार्यकाल ख़त्म होने के बाद भारत ईरान से पहले की तरह ईंधन की ख़रीद शुरू करनेवाला है। इसका सुपरिणाम दोनों देशों के संबंधों पर होगा। साथ ही, छाबहार बंदरगाह के कारण भारत का अफगानिस्तान समेत मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापार सुलभता से हो सकता है। चीन की अर्थव्यवस्था ख़तरे में पड़ी होकर, मध्य एशियाई देश भारत के ओर अधिक उम्मीद से देख रहे हैं। इसी कारण, इस मामले में भारत ने की हुई पहल बहुत महत्त्वपूर्ण साबित होती है।

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