‘आयएस’ से संबंधित ‘निओ-जेएमबी’ के आतंकियों का असम में नेटवर्क

दिसपूर – बांगलादेशी आतंकी संगठन ‘निओ जमात उल मुजाहिद्दीन बांगलादेश’ (निओ-जेएमबी) ने असम में अपने हाथ-पैर फैलाने लगा है। इस संगठन के बांगलादेश से भागे आए आतंकी असम और पश्‍चिम बंगाल में ब्रह्मपुत्रा नदी के उत्तरी तट पर स्थित बनी अवैध शरणार्थियों के शिविरों में छुपे होने की जानकारी असम पुलिस को प्राप्त हुई है। असम पुलिस इसे नए खतरे की तौर पर देख रही है। ‘निओ-जेएमबी’ संगठन ‘आयएस’ से जुड़ी होने से सुरक्षा यंत्रणा अधिक चौकन्ना हुई है।

is-assamबांगलादेश में बीते चार-पांच वर्षों से आतंकियों के खिलाफ जोरदार मुहिम चलाई जा रही है। इस वजह से कई आतंकी भारतीय सीमा में घुसपैठ करके छुप रहे हैं। बांगलादेश में कार्यरत अलग अलग आतंकी संगठनों के आतंकी अवैध मार्ग से भारत में घुसपैठ करके इन शिविरों में छुपकर रह रहे हैं। इनमें ‘निओ-जेएमबी’ के आतंकियों की संख्या असम में अधिक होने की जानकारी प्राप्त हुई है। असम के पुलिस महासंचालक भास्कर ज्योती महंता ने भी ‘निओ-जेएमबी’ संगठन असम में अपना नेटवर्क बनाने की कोशिश में होने की खबर की पुष्टी की। साथ ही इस नए खतरे का मुकाबला करने के लिए पुलिस तैयार है, यह बयान भी महंता ने किया है।

बांगलादेश में कई आतंकी हमले करनेवाली ‘जमात उल मुजाहिद्दीन बांगलादेश’ (जेएमबी) से अलग हुए कुछ चरमपंथी आतंकियों ने ‘निओ-जेएमबी’ का गठन किया है। ‘निओ-जेएमबी’ ने बांगलादेश में पहले ही कई बड़े हमले किए हैं। वर्ष २०१६ में ढ़ाका में हुए आतंकी हमले में २० लोगों के मारे जाने के बाद पहली बार इस आतंकी संगठन की ओर सबका ध्यान आकर्षित हुआ था।

आतंकी ‘निओ-जेएमबी’ संगठन ‘जेएमबी’ संगठन से अलग स्थापित की गई है, फिर भी वह ‘जेएमबी’ से भी अधिक घातक है, यह दावा किया जा रहा है। इस संगठन के कई आतंकी उच्चशिक्षित एवं धनवान परिवार के सदस्य होने की बात बताई जा रही है। इसके साथ ही इस संगठन में महिला सदस्यों की भी बड़ी संख्या में भर्ती होती है। बांगलादेश में वहां की सुरक्षा यंत्रणाओं ने चलाई मु्हिम में इस संगठन के कुछ महिला आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था। भारत में भी वर्ष २०१८ में बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा के बोध गया दौरे के दौरान कम क्षमता के विस्फोट हुए थे। इसके पीछे ‘निओ-जेएमबी’ के आतंकियों का हाथ था। यह विस्फोट करवाने वाले दो आतंकियों की पश्‍चिम बंगाल में गिरफ्तारी हुई थी।

इस वजह से असम की सुरक्षा यंत्रणा के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हुई है। लॉकडाउन के दौर में इस संगठन ने ब्रह्मपुत्रा के उत्तरी तटीय क्षेत्र में अपना नेटवर्क निर्माण किया है और इसके लिए ‘जेएमबी’ के पुराने नेटवर्क का इस्तेमाल किया जा रहा है, यह दावा भी हो रहा है। साथ ही जाली पहचानपत्रों का इस्तेमाल करके ‘निओ-जेएमबी’ के आतंकी अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचकर अपना विस्तार बढ़ाने की कोशिश में जुटे हैं। अवैध शरणार्थियों के रिहायसी इलाकों में ‘निओ-जेएमबी’ के सदस्यों की मौजुदगी होने की बात कही जा रही है। साथ ही इस क्षेत्र के महिलाओं को भी संगठन में भर्ती करने पर जोर दिया जा रहा है, ऐसा समाचार सुरक्षा यंत्रणा के दाखिले से सामने आ रहा है।

इससे पहले ‘जेएमबी’ के कई आतंकियों को देशभर से गिरफ्तार किया गया है। वर्ष २०१४ में पश्‍चिम बंगाल के बर्दवान में हुए विस्फोट में ‘जेएमबी’ का नाम सामने आया था। इसके बाद जाँच यंत्रणा की पूछताछ से ‘जेएमबी’ ने भारत में अपना जाल बड़ी मात्रा फैलाने की बात पर ध्यान केंद्रित हुआ। भारत में बीते पांच वर्षों में ‘जेएमबी’ के १२० आतंकी पकड़े गए हैं। इनमें से ५९ आतंकियों की असम में गिरफ्तारी होने की जानकारी केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी.कीशन रेड्डी ने बीते वर्ष संसद में बयान की थी। अब असम में ‘निओ-जेएमबी’ का खतरा बढ़ा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.