भारत ने म्यानमार में निर्माण किया ‘सित्वे’ बंदरगाह जल्द ही कार्यरत होगा

नई दिल्ली – भारत ने विकसित किया हुआ और पूर्वी क्षेत्र के छाबहार के तौर पर पहचान प्राप्त हुआ म्यानमार स्थित ‘सित्वे’ बंदरगाह अगले वर्ष जनवरी से मार्च के दौरान कार्यरत होगा। कोरोना के संकट के बावजूद यह बंदरगाह भारत तय समय से पहले ही कार्यरत कर रहा है। साथ ही इस बंदरगाह का कारोबार भी भारत ही संभालेगा। भारत ने म्यानमार के ‘सित्वे’ बंदरगाह का किया हुआ विकास ‘कलादन मल्टी मॉडेल प्रोजेक्ट’ का हिस्सा है। इस बंदरगाह की वजह से भारत को ईशानकोण राज्यों में पहुँचने के लिए नया विकल्प उपलब्ध होगा। साथ ही सिलिगुड़ी कॉरिडॉर की निर्भरता भी इससे कम होगी। इसी पृष्ठभूमि पर समय से पहले कार्यरत हो रहे ‘सित्वे’ बंदरगाह की अहमियत बढ़ रही है।

गुरूवार के दिन भारत और म्यानमार के द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा हुई। वीडियो कान्फरन्सिंग के माध्यम से हुई इस चर्चा के दौरान भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने भारतीय मंडल का प्रतिनिधित्व किया। म्यानमार के शिष्टमंडल का नेतृत्व स्थायी सचिव यू सोई हान कर रहे थे। इस दौरान व्यापार, निवेश, ऊर्जा और स्वास्थ्य क्षेत्र के संबंधों पर चर्चा हुई। साथ ही ‘कलादन मल्टी मॉडेल प्रोजेक्ट’ के तहत निर्माण हो रहे प्रकल्पों का जायज़ा भी इस दौरान लिया गया। इस बैठक में भारतीय विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने ’नेबर फर्स्ट’ और ’ऐक्ट ईस्ट’ नीति के तहत म्यानमार में भारत के निवेश से संबंधित कुछ योजनाओं का ऐलान किया। इसमें सित्वे बंदरगाह के विकास कार्यों का भी समावेश है।

इस चर्चा के बाद सित्वे बंदरगाह अगले वर्ष की पहली तिमाही में कार्यरत करने का निर्णय किया गया। इस बंदरगाह का कारोबार भारत के हाथ में देने पर भी इस दौरान सहमति होने का समाचार है। भारत-म्यानमार-थायलैण्ड के त्रिपक्षीय राजमार्ग पर ६९ पुलों का निर्माण करने के लिए जल्द ही निविदा मंगवाने का निर्णय हुआ है। इस मुद्दे पर भी विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने जानकारी सार्वजनिक की। म्यानमार पर चीन के बने प्रभाव के बाद भी भारत इन देशों के साथ रणनीतिक स्तर पर संबंध दृढ़ करने में सफल होने की बात म्यानमार में निर्माण हो रहे इन प्रकल्पों से स्पष्ट हो रही है।

सित्वे बंदरगाह के विकास के लिए भारत ने म्यानमार को १.४ अरब डॉलर्स आर्थिक सहायता प्रदान की थी। सित्वे बंदरगाह की वजह से सिक्किम-पश्‍चिम बंगाल के बीच मौजूद सिलिगुडी कॉरिडॉर की निर्भरता कम करना संभव होगा। सिलिगुडी कॉरिडॉर ईशानकोण भारत को मुख्य हिस्से से जोड़नेवाला संकरित माग है। चीन के साथ संघर्ष शुरू होने पर यह मार्ग बंद होता है तो भारत को ईशानकोण स्थित राज्यों तक पहुँचने के लिए अन्य मार्ग का विकल्प उपलब्ध होगा। इससे सिलिगुडी कॉरिडॉर का इस्तेमाल किए बगैर ईशानकोण भारत से कोलकाता तक पहुँचना भी मुमकिन होगा।

फिलहाल मिज़ोरम से कोलकाता पहुँचने के लिए १,८८० किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। लेकिन, सित्वे बंदरगाह और मिज़ोरम के ‘एनएच-५४’ महामार्ग की दूरी महज १४० किलोमीटर है। ऐसे में कोलकाता से समुद्री मार्ग से सित्वे बंदरगाह और वहां से मिज़ोरम तक पहुँचने का अंतर आधे से भी कम होगा। इससे भारत ने म्यानमार में विकसित किए इस बंदरगाह की रणनीतिक अहमियत भी रेखांकित होती है।

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