कोरोना का संकट पीछे छोड़कर भारतीय अर्थव्यवस्था उछाल ले रही है – केंद्रीय अर्थराज्यमंत्री अनुराग ठाकूर

नई दिल्ली – कोरोना के कारण आए हुए संकट को पीछे छोड़कर भारतीय व्यवस्था उभरती हुई स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है, ऐसा केंद्रीय अर्थराज्य मंत्री अनुराग ठाकूर ने कहा है। फरवरी महीने में देश में होने वाला विदेशी संस्थागत निवेश लगभग २५ हज़ार ७८७ करोड़ रुपयों पर गया था। इसका हवाला देकर केंद्रीय अर्थराज्य मंत्री ने देश की अर्थव्यवस्था पहले जैसी हो रही है, ऐसा विश्वास व्यक्त किया।

देश की अर्थव्यवस्था ‘व्ही शेप’ यानी कोरोना का संकट पीछे छोड़कर, जोरदार उछाल लेने की तैयारी में होने के दावे किए जा रहे हैं। खासकर पिछले तीन महीनों से ‘जीएसटी’ से प्राप्त राजस्व, अर्थव्यवस्था में सुधार आने के संकेत दे रहा है। उसी समय, विदेशी निवेशकों ने भारत पर विश्वास दिखाया होकर, इसका बहुत बड़ा सकारात्मक परिणाम देश की अर्थव्यवस्था पर हो रहा है। फॉरेन रिज़र्व के मोरचे पर भारत ने रशिया को पिछड़ देने की खबर जारी हुई है।

फरवरी महीने में विदेशी संस्थागत निवेश लगभग २५ हज़ार ७८७ करोड़ रुपयों पर गया है। उसी समय देश के फॉरेन रिजर्व ५९० अरब डॉलर्स तक पहुंचे हैं। ये बातें यही दर्शा रहीं हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था उछाल ले रही है, ऐसा बताकर अनुराग ठाकुर ने उसपर संतोष ज़ाहिर किया। इसी बीच, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने भी जयपुर में एक कार्यक्रम में बात करते समय, देश संतोषजनक रफ्तार से आर्थिक प्रगति कर रहा है , ऐसा कहा है।

विकासदर ने में निरंतरता रखकर आर्थिक प्रगति का ग्राफ़ ऊंचाई पर ले जाने की चुनौती इसके आगे भारत के सामने होगी, ऐसा अमिताभ कांत ने आगे कहा। सन २०२० में जागतिक विकासदर ऋण ३.५ प्रतिशत इतनी थी। इस आर्थिक वर्ष में यह विकास दर ५.५ प्रतिशत पर जाएगी, ऐसी जानकारी कांत ने दी । लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था इससे दोगुने से अधिक रफ्तार से प्रगति करनेवाली है, ऐसा अनुमान अन्तर्राष्ट्रीय वित्तसंस्थाएं जता रहीं हैं। उसी समय, ‘दुनिया की फैक्ट्री’ ऐसी पहचान बने चीन से बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ बाहर निकल रहीं होकर, ये कंपनियाँ भारत की ओर आकृष्ट होने की बात सामने आ रही है। इसका बहुत बड़ा फायदा भारतीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा, ऐसे संकेत मिल रहे हैं।

चीन के साथ विवाद चरम सीमा तक पहुँचे हुए जापान और ऑस्ट्रेलिया इन देशों के साथ ही युरोपिय देशों को भी यह एहसास हुआ है कि जागतिक सप्लाई चैन के लिए अब चीन पर निर्भर नहीं रहा जा सकता। यह स्थान ग्रहण करने की क्षमता भारत के पास है और इसके लिए भारत को सहायता करने की तैयारी जापान और ऑस्ट्रेलिया ने की है। क्वाड के मंच का इस्तेमाल करके ये दोनों देश भारत के साथ इस मोरचे पर सहयोग करते दिख रहे हैं। आनेवाले समय में इसका बहुत बड़ा लाभ भारत को मिल सकता है।

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