भारत के सेनाप्रमुख और विदेश सचिव कर रहे हैं म्यानमार की यात्रा

नई दिल्ली – भारत के सेनाप्रमुख जनरल मुकुंद नरवणे और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला म्यानमार की यात्रा कर रहे हैं। भारत ने ‘नेबरहुड फर्स्ट’ और ‘ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के तहत म्यानमार के संबंधों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात भारतीय विदेशमंत्री ने पहले ही स्पष्ट की थी। लद्दाख में भारत और चीन के बीच संघर्ष जारी होते हुए और म्यानमार में चुनाव करीब होने के दौरान भारतीय सेनाप्रमुख और विदेश सचिव ने म्यानमार की यात्रा करना बड़ी अहमियत रखता है।

india-myanmarम्यानमार की इस यात्रा में सेनाप्रमुख जनरल नरवणे और विदेश सचिव श्रृंगला म्यानमार की ‘स्टेट कौन्सिलर आँग सॅन स्यू की और म्यानमार के सेनाप्रमुख जनरल मिंग ऑन हिलिंग से मुलाकात करेंगे। इस दौरान रक्षा, व्यापार, ऊर्जा, विकास प्रकल्प और बुनियादि सुविधाओं के मुद्दे पर बातचीत होगी। साथ ही दोनों देशों के बीच जल परिवहन शुरू करने से संबंधित समझौता होगा, यह समाचार भी प्राप्त हुआ है। तथा कलादन मल्टी प्रोजेक्ट पर भी चर्चा होने की उम्मीद है।

म्यानमार की सीमा ईशान कोण के राज्यों से जुड़ी होने से म्यानमार के सरहदी क्षेत्र में कुछ आतंकी संगठनों ने ड़ेरा जमाया है। लेकिन, बीते कुछ वर्षों में म्यानमार की सेना की सहायता से भारत ने इन आतंकी संगठनों की कमर तोड़ दी है। साथ ही म्यानमार ने भी यह वादा किया है कि, अपनी भूमि का इस्तेमाल किसी भी आतंकी संगठन को करने नहीं देंगे।

भारत में आतंकी हरकतें करने के लिए म्यानमार स्थित आतंकी संगठनों को चीन हथियारों की आपूर्ति कर रहा है, यह बात दो महीने पहले थायलैण्ड में बरामद किए गए हथियारों के भांड़ार के बाद सामने आयी थी। भारत ने इसका ब्यौरा थायलैण्ड और म्यानमार से माँगा है, यह ख़बर भी सामने आयी थी। आतंकियों का यह मुद्दा भी इस यात्रा के दौरान चर्चा में रहेगा, यह समाचार है। इसके अलावा इस यात्रा में भारत और म्यानमार में रोहिंग्यों के मुद्दे पर चर्चा होगी। इस पृष्ठभूमि पर सेनाप्रमुख की म्यानमार यात्रा ध्यान आकर्षित करता है। साथ ही बीते वर्ष सेनाप्रमुख पद की ज़िम्मेदारी स्वीकारने के बाद जनरल नरवणे की यह पहली विदेश यात्रा होगी।

इसी बीच बीते सप्ताह में भारत और म्यानमार के बीच वीडियो कान्फरन्स के माध्यम से द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा हुई थी। इस दौरान भारत ने म्यानमार में निर्माण किया हुआ सित्वे बंदरगाह जल्द ही कार्यरत होगा, यह ऐलान भारत ने किया था। सित्वे बंदरगाह का विकास कलादन मल्टी मॉडेल प्रोजेक्ट का हिस्सा है और इससे भारत को ईशान कोण स्थित राज्यों में पहुँचने के लिए नए मार्ग का विकल्प उपलब्ध होगा।

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