रक्षादलों के लिए संयुक्त नीति

नई दिल्ली, दि. २३ : देश की सुरक्षा को भविष्य में मिलनेवालीं चुनौतियों का विचार करते हुए तीनों रक्षादलों के लिए ‘संयुक्त नीति’ बनायी गयी है| अगले सप्ताह में इसकी घोषणा हो जायेगी| इस पृष्ठभूमि पर, रविवार के दिन नई दिल्ली में सेनाप्रमुख, नौसेनाप्रमुख और हवाईसेनाप्रमुख की मौजूदगी में तीनों रक्षादलों के वरिष्ठ अधिकारियों की महत्त्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई| देश को होनेवाले अंतर्गत और बाह्य खतरों एवं भविष्य में रक्षा संबंधित चुनौतियों पर इस समय गहराई से विचार किया गया| साथ ही, रक्षादलों के अद्ययावतीकरण की प्रक्रिया को अधिक गतिमान करने का फैसला भी किया गया|

पारंपरिक और अपारंपरिक जंग में दुश्मनों का बहुत प्रभावी तौर पर सामना करने के लिए, रक्षादलों में समन्वय बढाने के लिए, ८० पृष्ठों के रिपोर्ट के माध्यम से ‘संयुक्त नीति’ के संदर्भ में जानकारी घोषित की जायेगी, ऐसा सूत्रों ने कहा है| वैश्‍विक स्तर पर जंग के तंत्र में बहुत बड़े बदलाव हुए हैं| इस पृष्ठभूमि पर, किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए भारतीय रक्षा दलों को ‘संयुक्त नीति’ बनाने की जरूरत महसूस हो रही थी| इसके अनुसार, सिर्फ भूमि, समुद्री और हवाई जंग का ही नहीं, बल्कि सायबर हमले का भी ख़तरा बढ़ते समय, उन खतरों का सामना करने की तैयारी करनेवाली नीति बनायी गयी है, ऐसा सूत्रों ने कहा है|
इस नीति में, सेनाशक्ति का एकत्रित रूप में इस्तेमाल करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है| इससे तीनों दलों की कार्यक्षमता बढ़ेगी| साथ ही, आर्थिक प्रावधान कम होते हुए भी उपलब्ध संसाधनों के प्रभावी इस्तेमाल से, जंग के दौरान रक्षादल दुश्मनों को करारा जवाब दे सकता है| संयुक्त योजना बनाने की और उसे कार्यान्वित करने की नीति अगले सप्ताह में घोषित की जानेवाली है|

ऐसी ‘संयुक्त नीति’ हों, ऐसी माँग रक्षादलों द्वारा कई सालों से की जा रही थी| सन १९९९ के ‘कारगिल’ जंग के बाद ऐसा विचार पहली बार सामने आया था| अंतरिक्ष, सायबर और विशेष मुहिमों के लिए तीनों रक्षादलों ने मिलकर संयुक्त सेना पथक का निर्माण करने की यह योजना, सरकारी स्तर पर की उदासीनता के कारण आगे न जा सकी| लेकिन इस साल जनवरी महिने में देहरादून में हुई ‘कम्बाईन्ड कमांडर कॉन्फरन्स’ में प्रधानमंत्री की मौजूदगी में इसपर चर्चा हुई, ऐसे कहा जाता है|

भारत के सामने रक्षा संदर्भ की चुनौतियाँ तेज़ी से बढ़ रही हैं| चीन तेज़ गति से अपनी सेना की क्षमता बढा रहा है| चीन ने ‘मिलिट्री स्पेस प्रोग्राम’ और ‘स्पेशल सायबर युनिट’ की स्थापना की है| पिछले साल चीन ने अपने रक्षा दल के प्रभावी इस्तेमाल के लिए, सेना की कार्यप्रणाली में कई बदलाव करते हुए संयुक्त कमांड की स्थापना की थी| दूसरी ओर पाकिस्तान जैसे, आतंकवाद को पाल-पोसनेवाले पड़ोसी देश के वजह से भारत के रक्षासंदर्भ की चिंता बढ़ रही है| इसी में चीन और पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ़ मिलीभगत करते हुए सामरिक मोरचा शुरू किया दिखाई दे रहा है|

अपना ग्वादर बंदरगाह चीन के पास देते हुए पाकिस्तान भारत की सुरक्षा को चुनौती दे रहा है| इसी कारण, इस प्रकार की चुनौतियों का सामना करने के लिए भारतीय रक्षादलों को ‘संयुक्त नीति’ बनाने की ज़रूरत महसूस हो रही थी| रविवार के दिन संपन्न हुई, तीनों दलों के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में इसपर मुख्य तौर पर चर्चा हुई, ऐसे कहा जाता है| इस अवसर पर सेनाप्रमुख बिपीन रावत, नौसेनाप्रमुख सुनिल लान्बा, हवाईसेनाप्रमुख बी. एस धनोआ मौजूद थे| इस वक्त संयुक्त मुहिम और रक्षादल के समन्वय पर ज़ोर दिया गया| साथ ही, तीनों दलों को अत्याधुनिक बनाने की प्रक्रिया को गति देने के मुद्दे पर महत्त्वपूर्ण चर्चा संपन्न हुई, ऐसे कहा जाता है|

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