भारत की ‘ऑईल डिप्लोमसी’ ते़ज़; म्यानमार को जल्द ही इंधन की निर्यात शुरू की जायेगी

नई दिल्ली, दि. १६: नेपाल, बांग्लादेश को तेल और प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करने के लिए पाईपलाईन का निर्माण करने का निर्णय लेने के बाद, भारत अब म्यानमार को भी पेट्रोलियम उत्पादन की सप्लाई करनेवाला है| जल्द ही म्यानमार को, डिज़ल और अन्य पेट्रोलियम पदार्थों की निर्यात सड़को के ज़रिये की जायेगी| इसके साथ ही, माँग यदि बढ़ गयी, तो म्यानमार को पेट्रोलियम पदार्थों की सप्लाई करने के लिए पाईपलाईन बनाने पर विचार किया जायेगा| हाल ही में, चीन और म्यानमार के बीच ७७१ किलोमीटर लंबी इंधनवाहिनी का समझौता हुआ| इस पृष्ठभूमि पर, पड़ोसी देशों को इंधन की सप्लाई करने के लिए भारत द्वारा शुरू की गयी कोशिशों को, भारत की ‘ऑईल डिप्लोमसी’ के रूप में देखा जा रहा है|

गैस की आपूर्ति

फिलहाल म्यानमार को कुछ कंपनियों द्वारा तेल और प्राकृतिक गैस की सप्लाई की जाती है| लेकिन भारतीय कंपनियों ने अभी तक म्यानमार में इस क्षेत्र में कदम रखा नहीं था| अब जल्द ही भारतीय कंपनियाँ म्यानमार को पेट्रोलियम पदार्थों की निर्यात करनेवाली हैं। यह निर्यात सड़कमार्ग के ज़रिये होगी| भारत के ‘तेल और प्राकृतिक गैस मंत्रालय’ के ‘इंटरनॅशनल कॉर्पोरेशन विभाग’ के वरिष्ठ अधिकारी संजय सुधीर ने भी इस खबर की पुष्टि की है| जल्द ही भारत म्यानमार को इंधन निर्यात करेगा| आनेवाले समय में म्यानमार में इंधन की माँग बढ़ी, तो म्यानमार के साथ पाईपलाईन के लिए भारत बड़ा निवेश करेगा, ऐसा सुधीर ने स्पष्ट किया|

पिछले हफ्ते चीन और म्यानमार में १.५ अरब डॉलर का तेल पाईपलाईन का समझौता हुआ है| इसके तहत चीन-म्यानमार के दरमियान ७७१ किलोमीटर की पाईपलाईन डाली जायेगी| बंगाल उपसागर से होकर आनेवाला ईंधन म्यानमार में लाकर, वहाँ से पाईपलाईन से चीन तक पहुँचाना आसान होनेवाला है| इसके बदले में चीन म्यानमार को हर साल २.२ करोड़ टन कच्चा तेल देनेवाला है| इस पृष्ठभूमि पर, भारत ने म्यानमार को इंधन की सप्लाई करने के लिए दर्शायी तैयारी यानी भारत और चीन में कड़ी प्रतिस्पर्धा शुरू हुई है, ऐसा दावा किया जाता है|

पिछले साल नेपाल के मधेसी समुदाय ने किये आंदोलन की वजह से, भारत द्वारा नेपाल को होनेवाली इंधन सप्लाई रोकी गयी थी| इस कारण नेपाल में भीषण इंधन की कमी महसूस हुई थी| इसके बाद नेपाल ने, भारतीय कंपनियों का इंधन सप्लाई में रहनेवाला एकाधिकार ख़त्म करने के लिए कदम उठाये थे| चिनी कंपनियों ने भी नेपाल को ईंधन की सप्लाई करने के लिए उत्सुकता दिखाई थी| चीन का नेपाल में बढ़ता प्रभाव भारत के लिए चिंता की बात है| इस कारण, किसी भी हालत में नेपाल को होनेवाली इंधन सप्लाई रोकी ना जायें, इसलिए भारत-नेपाल के दरमियान ईंधन गैस पाईपलाईन बनाने का फ़ैसला लिया है| हाल ही में इस संदर्भ में घोषणा की गयी थी| भारत की इंडियन ऑईल कॉर्पोरेशन यह पाईपलाईन के निर्माण में सहायता करनेवाली है|

हाल ही में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसिना भारत यात्रा पर आई थीं| उस समय, भारत-बांग्लादेश में भी इसी प्रकार की ईंधन पाईपलाईन बनाने का फैसला किया गया और इस मामले में एक समझौता भी संपन्न हुआ| इसके तहत भारत-बांग्लादेश के दरमियान १३१ किलोमीटर लंबी डिझेल और ईंधनगैस पाईपलाईन बननेवाली है| पश्‍चिम बंगाल के दत्तापुलिया से बांग्लादेश के खुलना तक यह पाईपलाईन बनायी जायेगी| इससे पहले बांग्लादेश में एलएनजी टर्मिनस निर्माण करने के लिए समझौता हुआ है| अपने पड़ोसी देशों के साथ यह ‘ऑईल डिप्लोमसी’ भारत का इस क्षेत्र पर प्रभाव बढ़ानेवाली साबित होगी|

भारत विद्युतवहन यंत्रणा का निर्माण कर बांग्लादेश, नेपाल, भूतान और म्यानमार को बिजली निर्यात करनेवाला है| भारत इन देशों को पहले से ही बिजली की सप्लाई करता आ रहा है| लेकिन इन देशों के बीच बननेवाली विद्युतवहन यंत्रणा की वजह से भारत की बिजली निर्यात बढ़ेगी| इसके अलावा, दक्षिण एशिया के इन देशों के साथ अग्नेय एशिया के देशों को जोड़नेवाले महामार्गों का निर्माण भी भारत करनेवाला है| साथ ही, इन देशों को भारत के साथ रेल मार्ग से जोड़नेवाले प्रकल्प का काम भी शुरू है| साथ ही, दक्षिण एशिया के लिए ख़ास उपग्रह छोड़ने के लिए भी भारत ने इन देशों के साथ समझौता किया है| भारत की ये कोशिशें इन देशों पर के उसके प्रभाव को और ज़्यादा गहरा बना सकती हैं, ऐसा जानकारों का कहना है|

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