भारत बांगलादेश का सच्चा मित्र है – बांगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना

नई दिल्ली – ‘बांगलादेश की आज़ादी के लिए तीस लाख लोगों ने बलिदान दिया। इसमें भारतीय सैनिकों का भी बलिदान है। भारत सच्चे मायने में बांगलादेश का सच्चा मित्रदेश है’, इन शब्दों में बांगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कृतज्ञता व्यक्त की। भारत ने पाकिस्तान को पराभूत करके वर्ष १९७१ की लड़ाई में जीत हासिल की और बांगलादेश का निर्माण हुआ। इसे अब ४९ वर्ष पूरे हुए हैं और इस अवसर पर आयोजित किए गए ‘वर्चुअल’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना शामिल थे। इस दौरान प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत के प्रति आभार व्यक्त करते समय अपना देश धार्मिक कट्टरतावाद को पनाह नहीं देगा, यह बात ड़टकर कही।

शेख हसीना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ४९ वें स्थापना दिवस के अवसर पर बांगलादेश का अभिनंदन किया। भारत के पड़ोसी देशों को प्राथमिकता देने की नीति का बांगलादेश अहम आधार होने का बयान प्रधानमंत्री मोदी ने किया। बांगलादेश की मुक्ति वाहिनी के साथ भारतीयों ने प्राप्त की हुई जीत का आनंद मनाने में हमें बड़ा गर्व महसूस हो रहा है। प्रधानमंत्री बनने के बाद पहले दिन से हमने बांगलादेश के साथ अपने संबंध अधिक मज़बूत करने हेतु प्राथमिकता दी है, यह बात प्रभानमंत्री ने स्पष्ट की। इस दौरान, वर्णित वर्चुअल कार्यक्रम में दोनों देशों ने सात समझौते किए।

इसमें वर्ष १९६५ में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के साथ ही बंद हुई चिलाहाटी-हल्दिबारी रेल सेवा दुबारा शुरू करने के निर्णय का समावेश है। इस वजह से असम एवं पश्‍चिम बंगाल राज्यों का बांगलादेश के साथ परिवहन अधिक बढ़ेगा, यह विश्‍वास व्यक्त किया जा रहा है। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री हसीना ने दोनों देशों में बहनेवाली नदियों के पानी का बटवारा करने की समस्या का समझदारी से हल निकालने का निर्धार व्यक्त किया है। इसके साथ ही दोनों देशों की सीमा पर बाड़ लगाने की प्रक्रिया शुरू हुई है और इस कार्य को गति प्रदान करने पर भी दोनों नेताओं की सहमति हुई।

इस दौरान बांगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत की सरकार, जनता और सेना ने बांगलादेश के निर्माण के लिए दिए योगदान का पूरे गौरव के साथ ज़िक्र किया और इस पर कृतज्ञता भी व्यक्त की। इसी बीच भारत के मेजर अशोक तारा ने पाकिस्तानी सेना के शिकंजे से अपने परिवार को रिहा किया था, यह याद भी उन्होंने ताज़ा की। वर्ष १९७१ की लड़ाई में पराभूत हुई शक्ति आज भी बांगलादेशी जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। इससे जनता सतर्क रहे, यह आवाहन प्रधानमंत्री शेख हसीना ने किया। साथ ही बांगलादेश के निर्माण के लिए इस्लामधर्मी, हिंदू, ईसाई और बौद्ध धर्मियों ने भी अपना खून बहाया है, इस बात की याद शेख हसीना ने दिलाई। बांगलादेश धार्मिक है लेकिन, इस देश में धार्मिक कट्टरता को स्थान नहीं दिया जाएगा, यह बात प्रधानमंत्री शेख हसीना ने ड़टकर कही।

भारत और बांगलादेश में बहनेवाली तिस्ता नदी के पानी का बटवारा, रोहिंग्या शरणार्थियों का मसला और सीमा विवाद जैसी समस्याओं के कारण भारत से बांगलादेश दूर रहा है, ऐसी गलतफहमी में पाकिस्तान रह रहा था। इस स्थिति का लाभ उठाकर पाकिस्तान अब बांगलादेश के साथ सहयोग बढ़ाए, यह सुझाव पाकिस्तान में मौजूद कुछ भारत का द्वेष करनेवाले विश्‍लेषक अपनी सरकार को दे रहे थे। लेकिन, कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री शेख हसीना ने ७१ की जंग में पाकिस्तानी सेना ने किए अत्याचार हमारा देश कभी नहीं भुला पाएगा, यह कहकर पाकिस्तान को तमाचा जड़ा था।

भारत के चीन के साथ संबंध बिगड़े है तभी बांगलादेश का भारत के विरोध में इस्तेमाल करने के लिए चीन भी कोशिश कर रहा है। भारत और चीन के व्यापारी एवं अन्य मोर्चों पर हो रही होड़ का अपने देश की उन्नती के लिए इस्तेमाल करनेवाली बांगलादेश की सरकार ने भारत के विरोध में भूमिका अपनाने से इन्कार किया। इस वजह से चीन के साथ भारत के संबंधों में तनाव निर्माण होने के बावजूद भारत का बांगलादेश के साथ बढ़ रहा सहयोग अहमियत रखता है।

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