भारत के विदेश मंत्री की चीन को चेतावनी

विदेश मंत्रीनई दिल्ली – भारत और चीन के संबंध निर्णायक पड़ाव पर आ पहुँचे हैं। सीमा पर शांति और सौहार्द स्थापित करने के लिए हुए द्विपक्षीय समझौतों का पालन करने के लिए क्या चीन तैयार है, इसपर दोनों देशों के संबंधों का भविष्य निर्धारित होगा, ऐसा विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा है। सीमा पर हिंसा और तनाव कायम रखकर दोनों देशों के संबंध अच्छे रहने की उम्मीद नहीं रखी जा सकती, इसका एहसास भारत के विदेश मंत्री ने चीन को फिर एक बार करा दिया है।

भारत ने हाल ही में 5जी ट्रायल के लिए कुछ कंपनियों को अनुमति दी थी। इनमें चीन की कंपनियों का समावेश नहीं था। उसके बाद, भारत में चीन को अवसर नकारा जा रहा है, ऐसा होहल्ला चीन ने मचाया था। सीमाविवाद पर चर्चा जारी रखकर भी, भारत चीन के साथ आर्थिक तथा अन्य स्तरों पर सहयोग कायम रख सकता है, ऐसा दावा चीन के नेता कर रहे हैं। लेकिन भारत ने चीन की यह माँग स्पष्ट रूप से ठुकराई दिख रही है।

एक कार्यक्रम में बात करते समय विदेश मंत्री जयशंकर ने, संबंधों पर अतिक्रमण होते समय भारत चीन के साथ संबंध सुचारू रूप से हैंडल नहीं कर सकेगा, ऐसा सुनाया है। भारत और चीन के संबंध एक निर्णायक पड़ाव पर हैं। इसके आगे इसका प्रवास किस दिशा में होता है, यह पूरी तरह चीन पर निर्भर है। सीमा पर शांति और भाईचारा कायम रखने के लिए १९८० और ९० के दशक में दोनों देशों के बीच समझौते हुए थे। अगर चीन इन समझौतों का पालन करने के लिए तैयार है, तो दोनों देशों का सहयोग फिर से शुरू हो सकता है, यह जयशंकर ने स्पष्ट किया।

सीमा पर तनाव रहते समय अन्य क्षेत्रों में सहयोग कायम नहीं रह सकता, यह भारत की भूमिका विदेश मंत्री ने फिर एक बार रखकर, चीन को करारी चेतावनी दी हुई दिख रही है। अभी भी लद्दाख की एलएसी के कुछ क्षेत्र से लष्कर वापस बुलाने के लिए चीन तैयार नहीं है। इस कारण एलएसी पर का तनाव हालाँकि कुछ मात्रा में कम हुआ है, फिर भी खतरा टला नहीं है, ऐसा भारत के लष्करप्रमुख ने कहा था। उसीमें, चीन एलएसी के नजदीकी क्षेत्र में अभ्यास करके भारत पर दबाव अधिक ही बढ़ाने के लिए गतिविधियाँ कर रहा है।

चीन की इन लष्करी गतिविधियों का भारत पर असर नहीं होगा, लेकिन उससे दोनों देशों के सहयोग पर निश्चित ही आघात होगा, यह संदेश भारत अलग-अलग मार्गों से चीन को दे रहा है।

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