भारतीय वैक्सीन की २५ नए देशों को प्रतिक्षा – विदेशमंत्री एस.जयशंकर

अमरावती – भारत ने अब तक १५ देशों को कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति की है और २५ नए देश भारत ने तैयार की हुई वैक्सीन प्राप्त करने की प्रतिक्षा कर रहे हैं, ऐसा बयान विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने किया है। कोरोना वायरस के संकट काल में अपनी स्थानीय क्षमता का इस्तेमाल करके भारत विश्व स्तर पर उभरा है, यह बात जयशंकर ने रेखांकित की।

ब्रिटेन की ‘ऑक्सफर्ड-ऐस्ट्राजेनेका’ ने विकसित किए ‘कोविशील्ड’ वैक्सीन का उत्पादन भारत की ‘सिरम’ कंपनीद्वारा पुणे में किया जा रहा है। इसके अलावा ‘भारत बायोटेक’ और ‘इंडियन कौन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ (आयसीएमआर) ने मिलकर विकसित किए ‘कोवैक्सीन’ का इस्तेमाल करने के लिए भी पिछले महीने में अनुमति प्राप्त हुई थी। इसके बाद १६ ज़नवरी से देश में कोरोना का टीकाकरण शुरू हुआ है। अब तक देश में करीबन ५४ लाख स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लगाया गया है।

इसके साथ ही अन्य देशों को भी भारत वैक्सीन प्रदान कर रहा है। अपने पड़ोसी देशों को और कुछ मित्रदेशों को भारत ने सदिच्छा के तौर पर ५५ लाख वैक्सीन प्रदान किए हैं। इन देशों में श्रीलंका, बांगलादेश, नेपाल, मॉरिशस, सेशल्स, म्यांमार, मालदीव, बहरिन जैसे देशों का समावेश है। इसके साथ ही कई अन्य देश भारत से वैक्सीन खरीद रहे हैं। सौदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, ओमान, मंगोलिया, निकारागुआ, कनाड़ा जैसे देशों ने भारतीय वैक्सीन की माँग करने का बयान भारतीय विदेश मंत्रालय ने पहले ही किया था।

इस पृष्ठभूमि पर विदेशमंत्री ने कई अन्य देश भारतीय टीका प्राप्त करने की प्रतिक्षा में होने की बात एक कार्यक्रम के दौरान कही। आंध्र प्रदेश में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते समय जयशंकर ने कहा, अब तक १५ देशों को भारत ने वैक्सीन की आपूर्ति की है। इसके अलावा अन्य २५ देश भारत से कोरोना वैक्सनी प्राप्त करने की तैयारी में होने की बात भी उन्होंने साझा की।

भारत से टीका प्राप्त करने की प्रतिक्षा में होनेवाले देशों को तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है, ऐसा जयशंकर ने कहा। इनमें कुछ गरीब देश अनुदान के तौर पर भारतीय वैक्सीन प्राप्त होने की इच्छा रखते हैं। तो, कुछ देश कीमत कम होने के कारण भारतीय वैक्सीन प्राप्त करने के विचार में हैं। टीका तैयार करनेवाली भारतीय कंपनियों ने जिस दर से भारत सरकार को वैक्सीन प्रदान की उसी दर से इस वैक्सीन की आपूर्ति हो, ऐसी माँग यह देश कर रहे हैं। साथ ही कुछ देश सीधे भारतीय कंपनियों के साथ समझौता कर रहे हैं, यह बात जयशंकर ने कही। इस वजह से इससे संबंधित विश्व नक्शे पर भारत उभरा है।

भारत को विश्‍व की फार्मसी के तौर पर स्थापित करने का ध्येय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तय किया है। कोरोना के संकट का मुकाबला करने में भारत विश्‍व के नेतृत्व के तौर पर उभरा है। भारत ने स्थानीय क्षमताओं का इस्तेमाल करके इस मोर्चे पर बढ़त पाई। जीस समय कोरोना का संकट खड़ा हुआ उस समय विश्‍व का कोई भी देश इस संकट का मुकाबला करने के लिए तैयार नहीं था। भारत की स्थिति भी इससे अलग नहीं थी। मास्क, पीपीई किट्स जैसा ज़रूरी सामान भी चुनिंदा देशों के हाथों में ही था। आज भारत विश्‍व में ‘पीपीई किट्स’ का सबसे बड़ा उत्पादक है। साथ ही मास्क का सबसे अधिक उत्पादन भारत में ही हो रहा है। भारत में फिलहाल २५ कंपनियां वेंटिलेटर तैयार कर रही हैं। यह सबकुछ भारत अपने साथ ही विश्‍व के लिए निर्माण कर रहा है, यह बात विदेशमंत्री जयशंकर ने रेखांकित की।

भारत में फिलहाल कोरोना संक्रमितों की संख्या कम हुई है। कोरोना जैसे महाभयंकर संकट का मुकाबला हमने जिस तरह से किया उसी गुणवत्ता और क्षमताओं का इस्तेमाल हम देश को आकार देने के लिए कर सकेत हैं। ऐसा हुआ तो भारत को नई ऊँचाई प्राप्त हो सकती है, ऐसा जयशंकर ने कहा।

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