प्रधानमंत्री के हाथों रणनीतिक नज़रिये से अहम ‘अटल टनेल’ का उद्घाटन

नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों आज विश्‍व के सबसे लंबे सुरंगी मार्ग ‘अटल टनेल’ का उद्घाटन किया गया। ‘अटल टनेल’ का उद्घाटन ऐतिहासिक क्षण है और यह सुरंगी मार्ग भारतीय अभियांत्रिकी आश्‍चर्य है, यह बयान प्रधानमंत्री मोदी ने किया। ‘अटल टनेल’ ने सरहदी क्षेत्र की बुनियादी सुविधाएं मज़बूत की हैं, यह बात प्रधानमंत्री ने रेखांकित की।

Atal-Tunnelइस सुरंगी मार्ग ने ना सिर्फ अटल बिहारी वाजपेई का सपना पूरा किया है, बल्कि हिमाचल प्रदेश के आम नागरिकों के सपनों की भी पूर्तता की है। इससे मनाली से लेह की दूरी चार घंटों से कम होगी। इस पर्वतीय क्षेत्र में चार घंटों की दूरी कितनी अहमियत रखती है, इस बात से यहां के स्थानीय निवासी को अच्छी तरह से परिचित हैं। अटल टनेल यहां के युवकों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएगी। इस सुरंगी मार्ग की वजह से लाहोल-स्पिती और पांगी के दुर्गम इलाकों के किसानों को अपना कृषि उत्पादन कम समय में बाज़ार तक पहुँचाना संभव होगा, यह विश्‍वास प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्त किया।

अटल टनेल ने सरहदी क्षेत्र की बुनियादी सुविधाओं को मज़बूती देने की बात कहकर प्रधानमंत्री मोदी ने यह बयान किया है कि, देश की सुरक्षा के लिए सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसके साथ ही सरहदी क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं से संबंधित प्रकल्पों के काम तेज़ गति से हो रहे हैं, ऐसा प्रधानमंत्री ने कहा। सिर्फ हिमाचल में ही नहीं बल्कि अन्य इलाकों में भी रास्ते और पुल निर्माण हो रहे हैं और इसका लाभ आम नागरिकों के साथ सैनिकों को भी प्राप्त हो रहा है, यह बात प्रधानमंत्री ने कही। अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने दौलत बेग ओल्डी में स्थित सामरिक नज़रिये से अहम रनवे ४० से ४५ वर्ष बंद थी यह रनवे अब शुरू की गई है, यह बात साझा की।

विश्‍व की सबसे ऊंचाई पर बना रनवे ‘डीबीओ’ में है और चीन ने इसी क्षेत्र में शुरू किए गए बुनियादी सुविधाओं के काम बंद करने के लिए घुसपैठ की है, यह दावे किए जा रहे हैं। युद्ध भड़कने पर इस रनवे का भारत को बड़ा लाभ होगा, ऐसा कहा जा रहा है। साथ ही ‘डीबीओ’ के १६ हज़ार फीट ऊंचाई पर निर्माण किया गया रास्ता सामरिक नज़रिये से बड़ा अहम है। ‘डीबीओ’ से चीन की नियंत्रण रेखा मात्र सात किलोमीटर दूरी पर है। इसी कारण ‘डीबीओ’ का ज़िक्र करके प्रधानमंत्री ने चीन को संदेश दिया है, ऐसा कहा जा रहा है।

इसी बीच, करीबन तीन हज़ार मीटर उंचाई पर निर्माण किया गया ‘अटल टनेल’ रणनीतिक नज़रिये से काफी अहम साबित होगा। ठंड़ के मौसम में इस क्षेत्र में बहुत हिमपात होता है और इससे यह क्षेत्र देश के अन्य हिस्सों से कट जाता है। लेकिन, यह सुरंग का मार्ग तैयार होने से वर्ष के बारहों महीने अब मनाली और लेह जुड़े रहेंगे। इससे लद्दाख में चीन की सीमा तक सैनिकों को तेज़ गति से सामान पहुँचाना भी संभव होगा। बख्तरबंद गाड़ियां और टैंक भी इस टनेल से आसानी से आवाजाही कर सकेंगे। इससे अटल टनेल के सुरंगी मार्ग की सामरिक अहमियत रेखांकित होती हैं। खास तौर पर लद्दाख की सीमा पर भारत और चीन के बीच संघर्ष भड़कने की स्थिति बनी है। ऐसे में ‘अटल टनेल’ से यातायात शुरू होना ध्यान आकर्षित करनेवाला साबित होता है।

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