ईरान के राष्ट्राध्यक्षपद के चुनाव में हसन रोहानी की लगातार दूसरी जीत

तेहरान, दि. २० : ईरान में शुक्रवार के दिन हुए राष्ट्राध्यक्षपद के चुनाव में विद्यमान राष्ट्राध्यक्ष हसन रोहानी फिर से जीत गये| रोहानी ने, ईरान के चरमपंथी और आक्रामक गुट का चेहरा बनकर उनके खिलाफ़ खड़े हुए इब्राहिम रईसी को बड़े मार्जिन से हराया| रोहानी की जीत ईरान के उदारमतवादी गुट की जीत होकर, चरमपंथी गुट और ‘रिव्होल्युशनरी गार्डस्’ को बडा झटका लगा, ऐसे कहा जाता है| रोहानी की जीत पर पश्‍चिमी समुदाय से सकारात्मक प्रतिक्रिया आयी होकर, परमाणुकार्यक्रम पर के समझौते पर सही तरह से अमल किया जायेगा, ऐसी उम्मीद पश्चिमी देशों ने जतायी है|

हसन रोहानीशनिवार के दिन ईरान के अंतर्गत रक्षा मंत्री अब्दोलरेझा रहमानीफझली ने चुनाव के नतिजे की घोषणा की| उसके अनुसार, हसन रोहानी को २.३५ करोड़ और उनके प्रतिस्पर्धी रईसी को १.५७ करोड़ वोट्स मिले हैं| शुक्रवार के दिन हुए चुनाव में करीबन चार करोड़ से अधिक मतदाताओं ने अपना हक निभाया होकर, यह ईरान के इतिहास में विक्रम माना जाता है| रोहानी को संपूर्ण मतदान के ५७ प्रतिशत वोट्स मिले, ऐसी जानकारी सरकारी यंत्रणा ने दी|

नतीजा जाहीर होने के बाद रईसी ने, चुनाव में गैरव्यवहार होने का इल्ज़ाम लगाया है| रोहानी के समर्थकों ने वोटिंग बूथों पर प्रचार करने की कोशिश की, ऐसे इस इल्ज़ाम में कहा गया है| लेकिन ईरान के सर्वेसर्वा आयातुल्लाह खामेनी ने, ईरान के लोगों ने चुनाव में दिये बहुत बड़े प्रतिसाद पर उनका शुक्रिया अदा करते हुए रोहानी को बधाइयाँ दीं|

हसन रोहानीफिलहाल ईरान के राष्ट्राध्यक्षपद पर रहे रोहानी को मिली जीत, ईरान के उदारमतवादी गुट को दिलासा देनेवाली साबित हुई| चरमपंथी धर्मगुरु और न्यायाधीश के तौर पर काम करनेवाले इब्राहिम रईसी ने, चरमपंथी गुटों को इकट्ठा लाने की बहुत कोशिशें की थीं| रईसी खामेनी के नजदीकी लीडर के तौर पर पहचाने जाते होकर, ईरान के ताकतवर ‘रिव्होल्युशनरी गार्डस्’ ने भी उनके पीछे अपना समर्थन खडा किया था|

रईसी की यदि जीत हो जाती, तो वे आक्रामक भूमिका अपनाकर आंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ संघर्ष छेड़ेंगे; साथ ही, ईरान में मानवाधिकारों का गला दबायेंगे, ऐसा डर जताया जा रहा था| विद्यमान राष्ट्राध्यक्ष रोहानी ने, प्रचार के अंतिम चरण में मानवाधिकार समेत धर्म का गलत इस्तेमाल, इन जैसे मुद्दें पेश करते हुए रईसी के खिलाफ जनमत तैयार किया था| सन १९८० के दशक में हज़ारों राजनैतिक विरोधकों को जेल भेजने की मुहिम में शामिल रहे रईसी को, उनकी इन पृष्ठभूमि का भारी आघात सहना पड़ा, ऐसे कहा जाता है| रोहानी की सफलता से ईरान और पश्चिमी राष्ट्रों में के बीच के संबंध सुधार जायेंगे, ऐसी उम्मीद जतायी जाती है| इस दौरान कुछ विशेषज्ज्ञों ने, ईरान के पांरपरिक और चरमपंथी गुट, सेना के सहयोग से रोहानी के सामने नयीं दिक्कतें खडे करेंगे, ऐसी चेतावनी दी है|

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