जर्मनी द्वारा ‘स्पेस कमांड’ की घोषणा

space-command-germany-1बर्लिन – अंतरिक्ष क्षेत्र यह देश की बुनियादी सुविधाओं में से संवेदनशील घटक होकर, उसकी सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है, इन शब्दों में जर्मनी की रक्षा मंत्री ऍनग्रेट क्रॅम्प-कॅरेनबॉअर ने, जर्मनी द्वारा स्वतंत्र ‘स्पेस कमांड’ की स्थापना की जाने की घोषणा की। रक्षा विभाग के तहत स्वतंत्र स्पेस कमांड की स्थापना करनेवाला जर्मनी यह युरोप का तीसरा देश बना है। पिछले ही महीने में नाटो ने भी ‘आर्टिकल ५’ में इसके आगे अंतरिक्ष क्षेत्र का भी समावेश होगा, ऐसी घोषणा की थी। ‘आर्टिकल ५’ के अनुसार नाटो के सदस्य देश पर हुआ किसी भी प्रकार का हमला, यह नाटो पर हुआ हमला समझकर नाटो के अन्य सदस्य देश उसे प्रत्युत्तर देंगे, ऐसा प्रावधान नाटो ने किया है।

जर्मनी के युडेम शहर में ‘सेंटर फॉर एअर ऑपरेशन्स’ यह ‘स्पेस कमांड’ के मुख्यालय के रूप में कार्यरत रहेगा। अंतरिक्ष क्षेत्र में खतरे लगातार बढ़ रहे हैं, इसलिए उसकी सुरक्षा का महत्व बढ़ा है, इन शब्दों में जर्मनी के रक्षा विभाग ने नई ‘स्पेस कमांड’ का समर्थन किया है। ‘जर्मनी की समृद्धि और सुरक्षा अंतरिक्ष क्षेत्र पर बड़े पैमाने पर निर्भर है। नागरीक तथा लष्कर के सेटेलाइट जर्मनी के कई क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण स्रोत हैं। स्रोत संवेदनशील होने के कारण उनकी सुरक्षा यह भी निर्णायक मुद्दा बनता है’, ऐसा कहकर जर्मनी की रक्षा मंत्री ऍनग्रेट क्रॅम्प-कॅरेनबॉअर ने स्पेस कमांड की स्थापना के पीछे होनेवाला उद्देश्य स्पष्ट किया।

space-command-germany-2-400x240जर्मनी की ‘स्पेस कमांड’, अंतरिक्ष के सैटेलाइट्स की निगरानी, सुरक्षा तथा अंतरिक्ष के कचरे पर नजर रखना इन जैसी बातों को पर ध्यान देगी, ऐसा रक्षा विभाग द्वारा बताया गया। फिलहाल जर्मनी के ३० से अधिक सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में कार्यरत हैं। उनमें से १० से अधिक सैटेलाइट्स दूरसंचार विभाग का भाग होकर, पाँच से अधिक लष्करी सैटेलाइट्स हैं। युरोप में सर्वाधिक सैटेलाइट्स होनेवाले देशों की सूची में जर्मनी तीसरे नंबर पर है।

space-command-germany-3पिछले कुछ सालों में अंतरिक्ष क्षेत्र में संघर्ष का खतरा बड़ा होकर, रशिया और चीन जैसे देश अंतरिक्ष में युद्ध की तैयारी कर रहे हैं, ऐसी चेतावनी या लगातार दी जा रही है। इन दोनों देशों ने, अंतरिक्ष में सैटेलाइट छेद सकनेवाले क्षेपणास्त्र तथा प्रगत तंत्रज्ञान विकसित किया होकर, उनके सफल परीक्षण भी किए होने की बात सामने आई है। रशिया और चीन के इस बढ़ते खतरे को रोकने के लिए अमरीका समेत पश्चिमी देश आगे आए हैं। अमरीका ने पिछले ही साल स्वतंत्र ‘स्पेस फोर्स’ का गठन करने की घोषणा की थी।

सन २०१९ में नाटो ने, अंतरिक्ष क्षेत्र यह पाँचवा ‘युद्धक्षेत्र’(डोमेन) होने का ऐलान किया था। उसके बाद युरोप में फ्रान्स ने सबसे पहले स्पेस कमांड की स्थापना की थी। वहीं, इस साल अप्रैल महीने में ब्रिटेन ने स्पेस कमांड का गठन करने का ऐलान किया था। उसके बाद अब जर्मनी यह स्पेस कमांड का गठन करनेवाला युरोप का तीसरा देश बना है।

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