उइगरों पर हो रहे अत्याचार का मुद्दा उपस्थित करके फ्रान्स का चीन-युरोप निवेश समझौते को विरोध

पॅरिस/बीजिंग – चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट हुक़ूमत झिंजिआंगस्थित उइगरवंशियों का इस्तेमाल ग़ुलाम मज़दूरों जैसा कर रहे होने का दोषारोपण रखकर, फ्रान्स ने युरोपिय महासंघ और चीन के बीच होनेवाले निवेश समझौते का विरोध किया है। जिस देश में नागरिकों का ग़ुलाम मज़दूरों जैसा इस्तेमाल होता है, उसमें निवेश बढ़ाने के लिए फ्रान्स पहल नहीं करेगा, ऐसे आक्रामक शब्दों में फ्रेंच मंत्री ने चीन को खरी खरी सुनाई है। फ्रान्स की इस भूमिका के कारण, चीन और युरोप के बीच हो रहा महत्त्वाकांक्षी निवेश समझौता बिगड़ने के संकेत मिल रहे हैं।

पिछले कुछ साल चीन युरोप में लगातार निवेश बढ़ा रहा होकर, समझौते के माध्यम से उसमें होनेवालीं अड़चनें दूर करने की कोशिश कर रहा है। युरोपिय देश भी हालाँकि चीन में निवेश करने के लिए उत्सुक हैं, फिर भी उसमें कई दिक्कतें आ रहीं हैं। इस कारण चीन के साथ समझौता करने के लिए महासंघ ने भी पहल की है। लेकिन गत कुछ महीनों में युरोप और चीन के आपसी संबंध तेज़ी से बदलने की शुरुआत हुई है।

इससे पहले चीन के विरोध में भूमिका अपनाना टालनेवाले युरोप ने खुलेआम और आक्रामक शब्दों में चीन को लक्ष्य करने की शुरुआत की है। फ्रान्स सरकार द्वारा निवेश समझौते में उइगरवंशियों का मुद्दा उपस्थित करना, यह उसीका भाग है। इससे पहले सितम्बर महीने में फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमॅन्युएल मॅक्रॉन ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की बैठक में उइगरवंशियों का मुद्दा उपस्थित करके चीन के सत्ताधारियों को खरी खरी सुनाई थी। ‘मूलभूत अधिकार यह पश्चिमी संकल्पना न होकर संयुक्त राष्ट्रसंघ के संविधान में उसका उल्लेख है और सदस्य देशों को इसका एहसास है। चीन के झिंजिआंग प्रांत में संयुक्त राष्ट्रसंघ एक पथक भेजकर हालातों की सुयोग्य जानकारी सामने लायें’, इन शब्दों में मॅक्रॉन ने फटकार लगाई थे।

सन २०१८ में संयुक्त राष्ट्रसंघ की ही एक रिपोर्ट में, चीन ने लगभग ११ लाख उइगरवंशियों को काँन्सन्ट्रेशन कँप्स में क़ैद करके रखा होने का धक्कादायी गौप्यस्फोट किया गया था। उसके बाद पिछले दो सालों में इस्लामधर्मिय उइगरवंशियों पर होनेवाले अत्याचारों के विषय में कई रिपोर्ट्स जारी हुईं हैं। चीन की हुक़ूमत उइगरवंशियों का गुलाम मज़दूरों की तरह इस्तेमाल कर रही है, यह बात उन रिपोर्ट्स में उजागर की गयी है। इन रिपोर्ट्स की पृष्ठभूमि पर, पश्चिमी देशों ने उइगरों के मुद्दे पर चीन को लक्ष्य करने की शुरुआत की थी। अमरीका ने उसमें पहल की होकर, ब्रिटन और फ्रान्स ने भी उसका साथ देना शुरू किया है।

अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने, उइगरवंशियों के मुद्दे पर आक्रामक फ़ैसलें करके, चीन से होनेवाली आयात पर कड़े निर्बंध थोंपे हैं। अमरीका और अन्य देशों ने अपनाई आक्रामक भूमिका से चीन बौखला गया होकर, उसने साम्राज्यवाद और शीतयुद्धकालीन मानसिकता का दोषारोपण करने की शुरुआत की है।

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