अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यानमार में प्रत्यर्पित करें – सर्वोच्च अदालत का आदेश

नई दिल्ली – अवैध शरणार्थियों को म्यांमार के हाथों में दोबारा ना दें, ऐसी माँग के लिए दाखिल की गई सभी याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय ने फटकार लगाई है। साथ ही सभी नियम और प्रक्रियाओं का पालन करके अवैध शरणार्थियों को उनके स्वदेश भेजा जाए, ऐसे आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने दिए हैं। जम्मू-कश्‍मीर में बीते महीने १६८ रोहिंग्या शरणार्थियों को हिरासत में लेकर ‘होल्डिंग सेंटर’ (डिटेंशन सेंटर) में रखा गया था और उन्हें प्रत्यर्पित करने की प्रक्रिया भी शुरू की गई थी। इन रोहिंग्याओं को ‘होल्डिंग सेंटर’ से मुक्त किया जाए, ऐसी माँग एक याचिका में की गई थी। इस पर, उन्हें मुक्त करने का आदेश देना संभव नहीं है, यह बात सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट की। इस वजह से अब देशभर के अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों की पहचान करके उन्हें म्यांमार वापस भेजने की प्रक्रिया को सरकार गति प्रदान करेगी, ऐसा समझा जा रहा है।

जम्मू-कश्‍मीर के ‘होल्डिंग सेंटर’ में रखे गए १६८ रोहिंग्यों को रिहा करें, उन्हें प्रत्यर्पित ना करे, इसी माँग की याचिका सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल हुई थी। इस याचिका पर मुख्य न्यायाधीश शरद बोबडे की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की अदालत ने तेज़ सुनवाई करने का निर्णय करके रोहिंग्या को प्रत्यर्पित करने के विरोध में दाखिल की गई सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। इन याचिकाओं की सुनवाई का युक्तिवाद २७ मार्च के दिन पुरा हुआ और अदालत ने अपनी सुनवाई का निर्णय आरक्षित रखा था।

म्यांमार में स्थिति बड़ी खराब है और वहां पर रोहिंग्यों पर बड़े अत्याचार होते हैं। इस वजह से वहां पर उनकी जान के लिए खतरा है और वहां पर उनका संहार होने की संभावना है। इस वजह से मानवता के नज़रिये से रोहिंग्यों को म्यांमार प्रत्यर्पित ना किया जाए। ऐसे आदेश सर्वोच्च न्यायालय केंद्र सरकार को दे’, ऐसा युक्तिवाद याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने किया था। तभी सरकार ने स्पष्ट शब्दों में भारत शरणार्थियों की राजधानी नहीं बन सकता, यह बात सर्वोच्च न्यायालय में कही थी। इससे पहले भी केंद्र सरकार ने ऐसी दाखिल हुई अन्य याचिकाओं पर यही भूमिका अपनाकर गुप्तचर यंत्रणाओं के दाखिले से रोहिंग्या शरणार्थी देश की सुरक्षा के लिए खतरा होने की बात अदालत में स्पष्ट की थी। कुछ रोहिंग्या शरणार्थियों के ताल्लुकात आतंकी संगठन और अपराधिक गिरोहों से होने की बात सरकार ने कही थी।

सर्वोच्च न्यायालय ने गुरूवार के दिन निर्णय में रोहिंग्यों को वापस उनके देश भेजने पर रोक लगाने से स्पष्ट इन्कार किया। लेकिन, रोहिंग्यों को प्रत्यर्पित करते समय कानून के अनुसार सभी प्रक्रियाएं पुरी की जाएं, यह बात न्यायालय ने स्पष्ट की।

इस निर्णय के बाद केंद्र सरकार अगले दिनों में देशभर के अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों की पहचान करके उन्हें उनके देश वापस भेजने की प्रक्रिया गतिमान करेगी, ऐसी संभावना जताई जा रही है। देशभर में मौजूद अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या ४० हज़ार है और इनमें से ६.५ हज़ार शरणार्थी जम्मू-कश्‍मीर में हैं। इसके अलावा हैद्राबाद, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर और राजस्थान में रोहिंग्या शरणार्थियों की बस्तियां हैं। उनकी बायोमेट्रिक पहचान करने के आदेश केंद्र सरकार ने पहले ही राज्यों को दिए हैं। जिससे रोहिंग्या शरणार्थियों को अन्य राज्यों में भागना मुमकिन ना हो। इसी दौरान रोहिंग्यों की बस्तियों से कुछ शरणार्थी केरल में दाखिल होने की खबरें प्राप्त हुई थीं।

इसी बीच संयुक्त राष्ट्रसंघ के स्पेशल ऑफिसर ने कुछ दिन पहले ही जम्मू-कश्‍मीर के ‘होल्डिंग सेंटर’ में रखे रोहिंग्यों को रिहा करें, यह माँग करके सर्वोच्च न्यायालय में ‘इंटर्वेशन आर्जी’ दाखिल की थी। लेकिन, सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर सुनवाई से स्पष्ट इन्कार कर दिया।

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