भारतीय सेना के शौर्य की वजह से ही लद्दाख की ‘एलएसी’ से चीनी सेना पीछे हटने के लिए हुई मज़बूर – रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

नई दिल्ली – ‘भारतीय सैनिकों ने बड़ा शौर्य दिखाकर घुसपैठ करनेवाली चीन की सेना को लद्दाख की ‘एलएसी’ से पीछे हटने के लिए मज़बूर किया। इस वर्ष भारतीय सेना की इस वीरता का स्मरण आनेवाली पीढ़ियां गर्व से करती रहेंगी। लष्करी ताकत के मोर्चे पर भारत और चीन में से कौन हावी होता है, इस पर बातचीत हो सकती हैं। लेकिन, नई संकल्पनाओं के ज़रिये विश्‍व का नेतृत्व करने की क्षमता और सॉफ्ट पॉवर के मोर्चे पर चीन भारत से कई गुना पीछे है’, ऐसे कड़े शब्दों में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने चीन को फटकार लगाई। भारतीय नेता अब तक ‘एलएसी’ पर आक्रामकता दिखानेवाले चीन का सीधा ज़िक्र करने से बच रहे थे। लेकिन, अब भारत के विदेश एवं रक्षामंत्री चीन के विस्तारवाद पर सीधा प्रहार करते हुए दिखाई दे रहे हैं।

ladakh-china‘फेडरेशन ऑफ इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स ऐण्ड इंडस्ट्री’ (फिक्की) की परिषद को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह संबोधित कर रहे थे। इस दौरान रक्षामंत्री ने लद्दाख की ‘एलएसी’ पर चीन की सेना को पीछे हटने के लिए मज़बूर करनेवाले भारतीय सैनिकों के शौर्य एवं पराक्रम की दिल खोलकर सराहना की। भारतीय सेना चीन के सामने बड़े धैर्य से खड़ी हुई। इसके साथ ही चीन की सेना वहां से पीछे हटने के लिए मज़बूर हुई, यह भारतीय रक्षामंत्री ने किया ऐलान ध्यान आकर्षित करनेवाली काफी बड़ी बात साबित होती है। अब तक लद्दाख में हुए इस संघर्ष को लेकर भारत ने सुलह की नीति अपनाई थी। लेकिन, अगले दिनों में चीन को भारत की आक्रामक भूमिका का सामना करना पड़ेगा, इस बात का अहसास रक्षामंत्री ने दिलाया है।

हिमालय क्षेत्र में चीन बेवजह आक्रामकता दिखा रहा है। ‘एलएसी’ के साथ ही ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र में भी चीन का बर्ताव गैर ज़िम्मेदाराना है, इस ओर भी भारतीय रक्षामंत्री ने ध्यान आकर्षित किया। लेकिन, अपने अस्तित्व का सवाल खड़ा होते ही भारत ड़टकर संकट का मुकाबला करता है, यह बात समय-समय पर साबित हुई है, ऐसा बयान भी राजनाथ सिंह ने किया। ‘लष्करी ताकत के मोर्चे पर भारत और चीन में से कौनसा देश अधिक बेहतर है, यह चर्चा हो सकती है। इस चर्चा में हमें रूचि नहीं है लेकिन, जहां पर नई संकल्पनाओं के ज़रिये विश्‍व का नेतृत्व करने का सवाल उठता है या सॉफ्ट पॉवर का संबंध होता है वहां पर भारत चीन से कई गुना आगे दिखाई देता है। इस मोर्चे पर दोनों देशों में तुलना संभव नहीं है’, इन शब्दों में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दोनों देशों का फरक दिखाया।

म्यानमार, थायलैण्ड, इंडोनेशिया, मलेशिया से जापान एवं चीन पर भारत का सांस्कृतिक वर्चस्व रहा है। यह वर्चस्व सांस्कृतिक था, यह बात हमें फिरसे दर्ज़ करने की इच्छा हो रही है, यह बयान राजनाथ सिंह ने किया। चीन में क्रांती होने से करीबन दो हज़ार वर्ष पहले से भारत की संस्कृति का वर्चस्व रहा है। वर्ष १९४९ में क्रांती से पहले चीन की ८० प्रतिशत जनता बौद्धधर्मी थी और यह सभी भारत ने चीन की सीमा पर एक भी सैनिक रवाना किए बगैर किया और चीन पर सांस्कृतिक नियंत्रण रखा था, यह बयान चीन के ही तत्वज्ञ हू शी ने किया था, इस बात की याद भी रक्षामंत्री ने ताज़ा की।

रक्षामंत्री के इस बयान पर चीन की प्रतिक्रिया प्राप्त होने की कड़ी संभावना है। बीते कुछ दिनों से चीन ने लद्दाख की ‘एलएसी’ से पीछे हटने से स्पष्ट तौर पर इन्कार करने की खबरें सामने आ रही हैं। बल्कि भारतीय सेना ही वहां से पीछे हटे, चीन यह माँग करने लगा है। इस वजह से लद्दाख की ‘एलएसी’ पर समस्या का हल इतने में निकलने की संभावना ना होने की बात भारतीय सेना अधिकारी कह रहे हैं। साथ ही चीन इस क्षेत्र में फिरसे भारतीय सुरक्षा को चुनौती दे सकता है, ऐसे संकेत सेना के मौजूदा एवं पूर्व अधिकारी दे रहे हैं। इसी कारण भारत ने ‘एलएसी’ के साथ ही चीन से जुड़ी अन्य सीमाओं पर तैयारी बढ़ाई है। साथ ही भारत अपनी सुरक्षा के लिए आवश्‍यक कार्रवाई करने से थोड़ासा भी नहीं हिचकिचाएगा, यह संदेश अलग अलग तरिकों से चीन को दिया जा रहा है। रक्षामंत्री ने ‘फिक्की’ की परिषद में किया यह आक्रामक भाषण इसी बात की गवाही दे रहा है।

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