ईरान के परमाणु समझौते के मुद्दे पर अमरीका और मित्रदेशों के बीच मतभेद

वॉशिंग्टन/तेहरान – ईरान के परमाणु समझौते के मुद्दे पर अमरीका और फ्रान्स के बीच मतभेद होने की बात सामने आने लगी है। परमाणु अस्त्र का निर्माण करने की ओर कदम बडा रहे ईरान के परमाणु समझौते के मुद्दे पर भविष्य में अधिक सख्त भूमिका अपनाएँ, ऐसी माँग फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन कर रहे हैं। लेकिन, अमरीका के नए राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ईरान के साथ परमाणु समझौता करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। वर्ष २०१५ में किए गए परमाणु समझौते में बदलाव किए बगैर आगे जाने का विकल्प भी खुला रखने के संकेत बायडेन प्रशासन से प्राप्त होने की बात अमरीका के प्रमुख अख़बार ने कही है।

iran-usबीते दो सप्ताहों में ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम की गति बढ़ाई है। वर्ष २०१५ के परमाणु समझौते का उल्लंघन करके ईरान ने युरेनिम संवर्धन बढ़ाकर २० प्रतिशत करने का ऐलान किया। साथ ही फोर्दो परमाणु केंद्र भी कार्यान्वित किया एवं जल्द ही सेंट्रिफ्युजेस भी कार्यान्वित करने का ऐलान ईरान ने किया है। यह गतिविधियां ईरान को परमाणु अस्त्र के निर्माण के करीब पहुँचानेवाली होने का दावा अंतरराष्ट्रीय संगठन एवं विश्‍लेषक कर रहे हैं।

दो दिन पहले फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने माध्यमों के साथ बातचीत करते समय इस मुद्दे पर चेतावनी दी थी। ‘ईरान का परमाणु कार्यक्रम खतरनाक तरीके से आगे बढ़ रहा है। इसे समय पर रोका नहीं गया तो ईरान परमाणु अस्त्र से सज्जित होने के करीब पहुँचेगा, इस बात का अहसास मैक्रॉन ने कराया था। साथ ही वर्ष २०१५ में हुई गलती सुधारकर ईरान के साथ परमाणु समझौते की चर्चा करते समय इस चर्चा में खाड़ी क्षेत्र के सौदी अरब एवं अन्य अरब मित्रदेशों को भी शामिल करने का प्रस्ताव मैक्रॉन ने रखा था।

लेकिन, अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ईरान के साथ परमाणु समझौता करने की गतिविधिया अधिक तेज़ कर सकते हैं, ऐसा दावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुलिवन ने किया है। ‘खाड़ी क्षेत्र में जारी ईरान की हरकतों का मुद्दा बाजू में रखकर सिर्फ परमाणु समझौता करने के लिए प्राथमिकता दी जाएगी। क्योंकि, ईरान परमाणु बम बनाने के अधिकाधिक करीब पहुँच रहा है’, ऐसा बयान सुलिवैन ने किया है।

iran-usईरान को परमाणु अस्त्र के निर्माण से दूर रखने के लिए नई शर्तों के साथ परमाणु समझौता करने के लिए अमरीका कोशिश करेगी। इसके साथ ही असल समझौता दुबारा तैयार करने का विकल्प भी खुला रखने के संकेत सुलिवैन ने दिए हैं, ऐसी जानकारी अमरिकी अखबार ने साझा की है। इस वजह से इस्रायल एवं सौदी अरब और खाड़ी क्षेत्र के अन्य देशों ने अमरीका के नए प्रशासन को लेकर जताई आशंका सच साबित होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

अमरीका ने ईरान के साथ फिरसे परमाणु समजौता किया तो इसके ड़रावने परिणाम सामने आएंगे। इस्रायल अपने बलबूते पर ईरान पर हमला करेगा, ऐसी धमकी इस्रायल ने दी है। तभी, सौदी अरब ने भी ईरान के साथ परमाणु समझौते करते समय हमें भरोसे में लेना होगा, यह माँग अमरीका से की थी। फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष ने भी इस माँग का समर्थन किया हुआ दिख रहा है।

सिर्फ फ्रान्स ही नहीं बल्कि, ब्रिटेन और जर्मनी ने भी ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर चिंता जताकर यह देश वर्ष २०१५ के परमाणु समझौते का उल्लंघन कर रहा है, यह आरोप लगाया था। ऐसी स्थिति में राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने ईरान के साथ किया परमाणु समझौता पुनर्जिवित करने की कोशिश की तो खाड़ी क्षेत्र में इसकी गूँज सुनाई दे सकती है। साथ ही अमरीका का विपक्ष भी इस मुद्दे पर तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ करने की संभावना है।

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