जनतंत्र के समर्थन में जारी प्रदर्शन कुचलने के लिए म्यांमार की हुकूमत ने की ‘टैंक’ की तैनाती

नेप्यितौ – म्यांमार में सेना ने किए विद्रोह के विरोध में जनता सड़कों पर उतरी है और जनतंत्र के समर्थन में शुरू किए गए इन प्रदर्शनों का दायरा प्रतिदिन बढ़ता हुआ दिख रहा है। इस वजह से बेचैन हुई लष्करी हुकूमत ने अधिक आक्रामक भूमिक अपनाई है और यह प्रदर्शन कुचलने के लिए टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों की तैनाती की है। इसके साथ ही नया कानून पारित किया गया है और इसके तहत प्रदर्शनकारियों को २० वर्ष जेल की सज़ा का प्रावधान किया गया है।

जनतंत्र के समर्थन

म्यांमार की सेना ने १ फ़रवरी के दिन जनतांत्रिक नेता आँग सैन स्यू की की सरकार का तख्ता पलटकर देश का नियंत्रण अपने हाथों में लिया था। म्यांमार में हुए चुनावों में धांदली होने का दावा करके सेना ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया और स्यू की समेत म्यांमार के राष्ट्रपति को भी गिरफ्तार किया। यह कार्रवाई म्यांमार की सेना ने चीन के इशारों पर की है, ऐसे आरोप हो रहे हैं। इसकी गूँज पूरे विश्‍व में सुनाई दे रही है। अमरीका ने बीते हफ्ते में ही म्यांमार की लष्करी हुकूमत के खिलाफ प्रतिबंधों का ऐलान किया था।

जनतंत्र के समर्थन

इसके बावजूद म्यांमार की हुकूमत ने किसी भी रूप से पीछे हटने से इन्कार किया है और अब प्रदर्शनों को कुचलने के लिए जोरदार गतिविधियां शुरू की हैं। बीते कुछ दिनों में म्यांमार में इंटरनेट पर भी लगातार पाबंदी लगाई जा रही है और प्रसार माध्यमों को भी लक्ष्य किया जा रहा है। म्यांमार के प्रमुख शहरों में हो रहे प्रदर्शन कुचलने के लिए सुरक्षा बलों ने हवां में गोलिबारी करने के साथ आंसु गैस एवं ‘वॉटर कैनन’ का इस्तेमाल करने की बात भी सामने आयी थी।

लेकिन, अब लष्करी हुकूमत अधिक आक्रामक हुई है और देश के सबसे बड़े यांगून शहर के साथ अन्य कुछ क्षेत्रों में टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों की तैनाती की गई है। इससे पहले, वर्ष १९८८ और २००७ में जनतंत्र के समर्थन में हुए प्रदर्शनों के दौरान भी म्यांमार की लष्करी हुकूमत ने बल प्रयोग करके प्रदर्शनों को रोकने की कोशिश की थी। इस बार भी वही कार्रवाई दोहराई जाएगी, ऐसा ड़र व्यक्त किया जा रहा है।

इसी बीच, म्यांमार की हुकूमत ने जनतांत्रिक नेता स्यू की के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है और अगले एक-दो दिनों में ‘वीडियो लिंक’ के माध्यम से अदलात में मुकदमा शुरू होगा, ऐसे संकेत सूत्रों ने दिए हैं। म्यांमार में हो रहे प्रदर्शनों में लाखों की संख्या में नागरिक शामिल हुए हैं और लष्करी हुकूमत दुबारा नहीं चाहिये, ऐसी माँग यह प्रदर्शनकारी बड़ी आक्रामकता के साथ कर रहे हैं। इन प्रदर्शनों में शिक्षक, छात्र एवं सरकारी कर्मचारियों के साथ बौद्ध भिक्खूं के गुट भी शामिल हुए हैं। यह प्रदर्शन वर्ष २००७ के बाद हुए सबसे बड़े प्रदर्शन होने की बात कही जा रही है।

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