म्यांमार में लष्करी विद्रोह के बाद आपातकाल का ऐलान – जनतांत्रिक नेता स्यू की समेत राष्ट्राध्यक्ष और सांसदों की हुई गिरफ्तारी

नेपित्यौ – म्यांमार में सेना ने फिर से बगावत करके सरकार का नियंत्रण अपने हाथों में लिया है। मात्र, २४ घंटे पहले जनतंत्र की प्रक्रिया का सम्मान करने का आश्‍वासन देनेवाली सेना ने की हुई इस कार्रवाई के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी सनसनी मची है। सोमवार भोर के समय सेना ने म्यांमार की प्रमुख जनतांत्रिक नेता और ‘नैशनल लीग फॉर डेमोक्रसी’ की अध्यक्षा ‘आँग सैन स्यू की’ को गिरफ्तार करके देश में आपातकाल का ऐलान किया। म्यांमार की सेना के इस विद्रोह पर अमरीका, भारत, ऑस्ट्रेलिया समेत संयुक्त राष्ट्रसंघ और ‘आसियान’ ने तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ की है।

myanmar-state-of-emergencyबीते वर्ष नवंबर महीने में म्यांमार में संसदिय चुनाव हुए। इस चुनाव में जनतांत्रिक नेता स्यू की के नेतृत्व में ‘नैशनल लीग फॉर डेमोक्रसी’ ने लगभग ६० प्रतिशत सीटों पर जीत हासिल की। लेकिन, इन नतीज़ों में बड़ी मात्रा में धांदली होने का आरोप करके म्यांमार की सेना और सेना समर्थक राजनीतिक दलों ने विरोध जताया। म्यांमार का चुनाव आयोग मतदान करनेवाले सभी मतदाताओं की सूचि प्रसिद्ध करे, यह माँग भी सेना ने की थी। लेकिन, सेना और सेना समर्थक गुटों के आरोप ठुकराकर चुनाव आयोग ने घोषित नतीजे बरकरार रखने का ऐलान किया।

ऐसे में सोमवार के दिन म्यांमार के नए संसद की बैठक तय हुई थी। इससे पहले बीते हफ्ते म्यांमार के सेनाप्रमुख ने वर्ष २००८ में बनाए गए संविधान में बदलाव करने के संकेत देनेवाला बयान किया था। इस बयान पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ हुई थी और इस वजह से सेनाप्रमुख जनरल मिन आँग हलैंग ने रविवार के दिन अपना बयान जारी किया। इसमें उन्होंने कहा था कि, म्यांमार की जनतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान किया जाएगा। लेकिन, इस बयान के २४ घंटे पूरे होने से पहले ही विद्रोह करके म्यांमार की सेना ने देश का पूरा नियंत्रण अपने हाथों में लिया है।

myanmar-state-of-emergencyम्यांमार की सेना ने सोमवार दिन शुरू होने से पहले की हुई कार्रवाई के दौरान स्यू की समेत राष्ट्राध्यक्ष विन मिंत और कई सांसदों को गिरफ्तार किया है। राजधानी नेपित्यौ समेत देश के प्रमुख शहरों में सेना के दल और हेलिकॉप्टर्स तैनात किए गए हैं। सरकारी समाचार चैनल, बैंक और कई अहम उपक्रम बंद किए गए हैं और देश का पूरा नियंत्रण सेनाप्रमुख जनरल हलैंग ने अपने हाथों में लिया है। म्यांमार में आपातकाल घोषित किया गया है। इसी बीच अगला एक वर्ष पूरा होने से पहले देश में चुनाव कराने का बयान भी सेना ने किया है।

गिरफ्तारी होने से पहले स्यू की ने एक निवेदन जारी किया है। सेना के विद्रोह के खिलाफ म्यांमार की जनता प्रदर्शन करे, यह आवाहन उन्होंने अपने निवेदन में किया है। साथ ही सेना अधिकारियों को देश में दुबारा तानाशाही स्थापित करनी है, यह इशारा भी स्यू की ने दिया। स्यू की को लगातार दूसरे चुनाव में बहुमत प्राप्त होने से म्यांमार की सेना बेचैन है और स्यू की का बढ़ता प्रभाव खत्म करके अपने हितसंबंध बरकरार रखने के लिए सेना ने विद्रोह किया होगा, ऐसा दावा विश्‍लेषक कर रहे हैं।

myanmar-state-of-emergencyम्यांमार की सेना ने किए इस विद्रोह पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ हुई है। अमरीका और ब्रिटेन ने इस विद्रोह के प्रत्युत्तर में कार्रवाई करने का इशारा भी दिया है। संयुक्त राष्ट्रसंघ, आसियान जैसे गुटों के साथ भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रान्स, जर्मनी, सिंगापुर एवं बांगलादेश ने म्यांमार में सेना की कार्रवाई का तीव्र शब्दों में निषेध किया है। म्यांमार की सेना स्यू की समेत अन्य सभी नेताओं को तुरंत रिहा करे और जनतंत्र का सम्मान करे, ऐसी माँग भी इन देशों ने की है।

म्यांमार में सेना ने विद्रोह करने की बीते सात दशकों में हुई तीसरी घटना है। इससे पहले वर्ष १९६२ और १९८८ में विद्रोह करके सेना ने म्यांमार का नियंत्रण अपने हाथों में लिया था। म्यांमार की सेना को चीन से बड़ा समर्थन प्राप्त हो रहा है और म्यांमार की सीमा पर चीन इन आतंकी गुटों को आर्थिक सहायता और हथियारों की आपूर्ति कर रहा है, यह बात भी स्पष्ट हुई है।

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