भारत को ‘आरसीईपी’ का हिस्सा करने के लिए चीन बना रहा है दबाव – जवाब देने के लिए भारत तैयार

नई दिल्ली – रिजनल कॉंप्रिहेन्सिव्ह इकॉनॉमिक पार्टनरशिप’ (आरसीईपी) समझौते पर हस्ताक्षर करने से भारत ने डटकर इन्कार किया| इसके बाद भी चीन ने यदि अन्य देशों के साथ सहयोग बढाकर भारत इस समझौते पर हस्ताक्षर करें, इस उद्देश्य से चीन ने कोशिश शुरू की है| चीन यह कोशिश कर रहा है, तभी भारत ने अमरिका के साथ व्यापारी बातचीत शुरू करके अमरिका से जनरलाईज्ड सिस्टिम ऑफ प्रेफरन्सेस’ (जीएसपी) का दर्जा फिर से प्राप्त करने के लिए कदम बढाया दिख रहा है| ऐसे में जल्द ही भारत कामयाब होगा और जीएसपी पूरी तरह से कार्यरत होगा, यह संकेत अमरिका से प्राप्त हो रहे है|

भारत के बाजार का चीन पूरा लाभ उठा रहा है और दोनों देशों में सालाना व्यापार में भारत को लगभग ५० अरब डॉलर्स का नुकसान उठाना पड रहा है| पर, इसपर चीन को संतोष नही है| चीन को भारत के पूरे बाजार पर कब्जा करने की उम्मीद है| खास तौर पर अमरिका के साथ व्यापारयुद्ध शुरू होने के बाद चीन ने भारत का बाजार अपने उत्पादों से भरने की आक्रामक कोशिश की है| इसके लिए आरसीईपीसमझौते का इस्तेमाल करने की बडी तैयारी चीन ने की थी| ‘आरसीईपीके १६ देश सदस्य है और अन्य १४ देशों का दबाव बनाकर चीन इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए भारत को विवश करने की कोशिश कर रहा था|

थायलैंड में हुई आरसीईपीकी बातचीत के दौरान यह बात स्पष्ट हुई थी| पर, इस बार भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से डटकर इन्कार किया| यह समझौता न्याय्य और संतुलित ना होने की बात कहकर प्रधानमंत्री मोदी ने इस समझौते का विरोध किया| फिर भी चीन ने भारत पर दबाव बनाने की कोशिश अभी बंद नही की है| अन्य देशों का इस्तेमाल करके यह समझौता करवाने की कोशिश करता चीन दिखाई दे रहा है| इस समझौते पर भारत ने रखी चिंताओं में सच्चाई है, फिर भी इसके लिए पूरा समझौता रद्द करना सही नही होगा, यह चीन का कहना है| इसी लिए अन्य सभी देश आरसीईपीके लिए भारत से बातचीत करें, यह भूमिका चीन बडी आक्रामकता के साथ अपना रहा है|

चीन की इस आक्रामक कोशिश को भारत का जवाब मिलने की जरा भी संभावना नही है| बल्कि यह समझौता पीछे छोडकर भारत ने अमरिका के साथ व्यापारी बातचीत आगे बढाने के लिए प्राथमिकता देने के संकेत दिए है| कुछ महीने पहले अमरिका ने भारत का जनरलाईज्ड सिस्टिम ऑफ प्रेफरन्सेस’ (जीएसपी) का दर्जा हटाया था| अमरिका को व्यापारी सहुलियत देने की तैयारी भारत नही दिखा रहा है, यह कहकर अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने यह कार्रवाई की थी| पर, अभी भी अंशतः जीएसपी कार्यरत है| पर, अगले समय में जीएसपी पूरी तरह से कार्यरत हो और भारत-अमरिका व्यापारी सहयोग और भी व्यापक हो, इस लिए भारत ने कदम उठाना शुरू किया है|

इस विषय पर भारत और अमरिका की बातचीत होगी और इस बातचीत में भारत को कामयाबी मिलने की कडी संभावना व्यक्त हो रही है| भारत और अमरिका के बीच व्यापारी सहयोग पर कुछ मात्रा में नकारात्मक असर हुआ है, फिर भी दोनों देश विवाद पीछे छोडकर नए से व्यापारी सहयोग मजबूत करने की कोशिश की है

खास तौर पर चीन और यूरोपिय देशों के साथ हो रहे व्यापारयुद्ध की पृष्ठभूमि पर अमरिका को भी भारत के साथ व्यापारी सहयोग बढाने की जरूरत महसूस हो रही है| पिछले कुछ महीनों में भारत को सबसे अधिक ईंधन प्रदान करनेवाला देश होेन में अमरिका कामयाब हुई है| अन्य क्षेत्रों में भी भारत के साथ अमरिका सहयोग विकसित कर रही है|

ऐसी स्थिति में चीन के हितसंबंधों की चिंता करनेवाले आरसीईपीसमझौते के बजाए अमरिका के साथ व्यापारी सहयोग बढाकर चीन को जवाब देने की तैयारी भारत कर रहा है| अगले समय में चीन ने भारत को उम्मीद के अनुसार व्यापारी सहुलियत प्रदान नही की तो चीन के उत्पादों पर लगाए कर बढाने के संकेत भारत दे रहा है| इस वजह से चीन और भी बेचैन हुआ है और अलग अलग रास्तों से भारत पर दबाव बनाने की कोशिश करता चीन दिख रहा है|

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