पाकिस्तान के ग्वादर में चीन बना रहा है बड़ा नौसेना अड्डा – अमरीका के लष्करी अभ्यासक का दावा

वॉशिंग्टन – हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी पकड़ मज़बूत करने के लिए चीन पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह में सबसे बड़ा नौसेना अड्डा बना रहा है। अमरीका के शीर्ष लष्करी अभ्यासक ने सॅटेलाइट फोटोग्राफ प्रकाशित कर यह जानकारी उजागर की है। लद्दाख के सीमाभाग में बड़े पैमाने पर सेनातैनाती करके भारत को चुनौती देनेवाले चीन ने, पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह में नौसेना अड्डा बनाने के लिए शुरू की हुईं गतिविधियाँ भारत की सुरक्षा के लिए चुनौती साबित हो सकती हैं, ऐसी चेतावनी इस अभ्यासक ने दी है।

pakistan china‘चायना पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडॉर’ (सीपीईसी) के तहत चीन पाकिस्तान के ग्वादर में व्यापारी बंदरगाह के साथ नौसेना अड्डा विकसित कर रहा होने की ख़बरें इससे पहले प्रकाशित हुईं थीं। पाकिस्तान के कराची बंदरगाह के विकल्प के रूप में चीन ग्वादर में इस नौसेना अड्डे का निर्माण कर रहा है, ऐसे दावें उस समय किये गए थे। लेकिन, वह ग्वादर बंदरगाह का विकास कर रहा है, ऐसा कहकर चीन ने यहाँ के नौसेना अड्डे की ख़बरों को ठुकरा दिया था। लेकिन लष्करी अभ्यासक ‘एच. आय. सटन’ ने अमरिकी अख़बार में लिखे लेख में, चीन ग्वादर बंदरगाह में बना रहे सबसे बड़े नौसेना अड्डे का जानकारी उजागर की है।

पिछले कुछ सालों में चीन ने ग्वादर बंदरगाह में अपने जवानों के लिए संकुल, साथ ही संरक्षित क्षेत्र का निर्माण किया होने की जानकारी सटन ने सॅटेलाइट फोटोग्राफ जारी करके दी। यह संरक्षित क्षेत्र बड़ीं बड़ीं दीवारें, सुरक्षा चौक़ियाँ, काँटेदार बाड़, लष्करी मीनार तथा नौसेना अड्डे के लिए आवश्यक होनेवालीं सुविधाओं से लैस किया गया है। दुनिया के किसी भी व्यापारी बंदरगाह में इस प्रकार का संरक्षित क्षेत्र और लष्करी संकुलों का निर्माण नहीं किया जाता, इसपर सटन ने ग़ौर फ़रमाया। इस कारण, अपनी विनाशिकाओं की तैनाती के लिए चीन ग्वादर में सबसे बड़ा नौसेना अड्डा विकसित कर रहा होने का दावा सटन ने किया है।

इससे पहले भारतीय लष्करी विश्लेषकों ने भी ग्वादर में शुरू हुईं चीन की नयीं गतिविधियों की दखल ली थी। अफ़्रीका के जिबौती की तरह, चीन पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह में अड्डा विकसित कर रहा होने का आरोप भारतीय विश्लेषकों ने किया था। ग्वादरस्थित चीन का यह नौसेनाअड्डा हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के समुद्री सामर्थ्य को चुनौती देनेवाला साबित होगा, ऐसी चेतावनी भी इन विश्लेषकों ने दी थी। वहीं, चीन के सामर्थ्य का इस्तेमाल करके पाकिस्तान भारत को चुनौती देने की कोशिश कर रहा है और इसके लिए अपने ग्वादर बंदरगाह को छोड़ने की भी तैयारी पाकिस्तान ने की होने की ख़बरें उससे पहले जारी हुईं थीं।

Pakistan China naval baseचीन और पाकिस्तान के बीच विकसित हो रही ‘सीपीईसी’ परियोजना यह सिर्फ़ बुनियादी सुविधाओं के विकास तक ही सीमित न होकर, इसके पीछे चीन की व्यूहरचनात्मक चाल है, यह पाकिस्तान विश्लेषकों ने मान्य किया था। इस कारण इस परियोजना की ओर पाकिस्तान, भारत से रक्षा करनेवाले कवच के रूप में देख रहा है। इसके लिए अपना ग्वादर बंदरगाह चीन के हवाले करने की तैयारी पाकिस्तान ने बहुत पहले से ही की थी। इसीलिए, यह बंदरगाह का इस्तेमाल पाकिस्तान द्वारा नहीं, बल्कि चीन द्वारा किया जा रहा है, ऐसे आरोप खुद पाकिस्तान में से भी हुए थे। उस पृष्ठभूमि पर, चीन ग्वादर बंदरगाह में अपनी नौसेना का अड्डा बना रहा है, यह बात ‘ओपन सिक्रेट’ है, ऐसा कहा जाता है।

अपना ग्वादर बंदरगाह चीन के हाथों में सौंपकर, पाकिस्तान भारत की सुरक्षा को चुनौती दे रहा होते समय, भारत ने ईरान का छाबहार बंदरगाह विकसित करने के लिए पहल की थी। इसके ज़रिये भारत पाकिस्तान और चीन के दाँवपेंचों को प्रत्युत्तर दे रहा है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है।

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