युद्धाभ्यास के ज़रिये चीन ने की भारत पर दबाव बनाने की कोशिश

बीजिंग – लद्दाख की सीमा पर भारत के साथ तनाव होने की स्थिति होते समय, चीन ने भारत पर दबाव बढ़ाने की और एक कोशिश की है। चीन के बीचोंबीच होनेवाले हुबेई प्रांत से, वायव्य सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिक और हथियार पहुँचाने का अभ्यास चीन की सेना ने किया है। चिनी सेना की इस युद्धाभ्यास की जानकारी ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने साझा की है। इस युद्धाभ्यास का वीडियो जारी करके, चीन ने इस युद्धाभ्यास के ज़रिये थोड़ी ही समय में अपनी सेना और रक्षा सामान सीमा तक पहुँचाने की क्षमता साबित की है, ऐसा बयान भी ग्लोबल टाईम्स ने किया है। इसी के साथ, वर्तमान समय में भारतीय सीमा पर तनाव बना है, इसका ज़िक्र भी चीन के इस सरकारी अख़बार ने किया है।

Chinese troopsसीमाविवाद का हल निकालने के लिए भारत और चीन के वरिष्ठ लष्करी अधिकारियों की चर्चा हुई। इसे एक दिन होने से पहले ही चीन ने इस लष्करी युद्धाभ्यास का आयोजन करके, भारत के साथ बनें सीमा विवाद का हल निकालने के लिए स्वयं गंभीर ना होने की बात दिखाई हैं। बल्कि भारत पर लष्करी दबाव बढ़ाकर, चीन इस क्षेत्र में वर्चस्व स्थापित कर सकता है, यह संदेश चीन दे रहा हैं। चीन अपनी सेना और लष्करी सामान चन्द कुछ घंटों में ही सीमा पर पहुँचा सकता है और यदि संघर्ष शुरू हुआ, तो इसका इस्तेमाल भी कर सकता है, यह साबित करने के पीछे चीन का और भी कोई उद्देश्‍य होने की बात दिख रही है। कुछ समय बाद चिनी सेना को लद्दाख से पीछे हटना होगा। लेकिन, यह वापसी करते समय भी शक्तिप्रदर्शन करके, चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत, भारत के साथ जारी विवाद में अपनी जीत होने का चित्र अपने देश की जनता को दिखाने की कोशिश करने में जुटी हुई दिख रही हैं।

भारतीय सेना के लेफ्टनंट जनरल हरिंदर सिंग और चीन की पीपल्स लिब्रेशन आर्मी के मेजर जनरल लीन लियु ने शनिवार के दिन चर्चा की। यह चर्चा सकारात्मक माहौल में होने की प्रतिक्रिया भारत ने दर्ज़ की है। चीन ने इस चर्चा को लेकर व्यक्त की हुई अधिकृत प्रतिक्रिया भी इसी स्वरूप की है। इस वज़ह से दोनों देश, यह विवाद और बिगड़ेगा नही, इसपर ध्यान देते दिखाई दे रहे हैं। हालाँकि राजनीतिक स्तर पर चीन ने यह सावधानी दिखाई है, फिर भी लष्करी दृष्टि से हम काफ़ी ताकतवर हैं, यह चित्र खड़ा करने की कोशिश चीन कर रहा है। इसी वज़ह से, यदि लद्दाख से सेना हटाने की नौबत आयी, तो भी हमने भारत को झुकाया, ऐसा भ्रामक चित्र चीन को खड़ा करना है। यह युद्धाभ्यास चीन के तैयारी का हिस्सा बनता है। 

कोरोना वायरस की महामारी का बड़ी गैरजिम्मेदाराना तरीके से हँडलिंग करने के कारण, विश्‍व के अधिकांश देश चीन पर बड़ा गुस्सा व्यक्त कर रहे हैं। अमरीका और ऑस्ट्रेलिया इन देशों ने चीन के विरोध में निर्णय करने की श्रृंखला शुरू की है। ऐसी स्थिति में साउथ और ईस्ट चायना सी में जारी चीन की गतिविधियाँ, इस क्षेत्र के देशों के साथ ही दुनियाभर के अन्य देशों की चिंता में भी बढ़ोतरी कर रही है। हाँगकाँग और तैवान के मसले पर चीन की भूमिका पर आंतर्राष्ट्रीय समुदाय कड़ी आलोचना कर रहा है। वहीं, अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने यात्री विमान सेवा के मुद्दे पर चीन पर की हुई कार्रवाई के बाद, इस मोरचे पर भी चीन पीछे हटने के लिए मज़बूर हुआ था।

ऐसी स्थिति में भारत के साथ जारी सीमा विवाद में आक्रामक भूमिका अपनाकर चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत अपना लौकिक बरकरार रखने की कोशिश कर रही है। लेकिन, एक मर्यादा के बाहर जाकर भारत को दुखाना संभव नहीं होगा, इसका पूरा एहसास चीन रखता है। इसमें प्रमुख बात यह है कि भारत का मार्केट खोने का ड़र और वर्तमान समय में आंतर्राष्ट्रीय जनमत भारत के पक्ष में खड़ा है, इसका एहसास चीन को भारत के विरोध में आक्रामक कदम उठाने नही देगा। लेकिन, भारत पर दबाव बनाने की और इसके लिए अलग अलग विकल्प स्वीकारने की कोशिश चीन आगे भी करता रहेगा, ऐसी चेतावनी भारतीय विश्‍लेषक दे रहे हैं।

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