छत्तीसगड़ की पुलिस ने माओवादियों के खिलाफ़ बस्तर में शुरू की नई मुहिम

बस्तर – बीते ३० वर्षों से अधिक समय से माओवादियों के प्रभाव वाले छत्तीसगड़ स्थित बस्तर में पुलिस ने माओवादियों के खिलाफ़ प्रचार मुहिम शुरू की है। स्थानीय भाषा गोंड़ी में ‘बस्तर था माटा’ और हल्बी में ‘बस्तर चो आवाज़’ नाम से जनजागरूकता की मुहिम शुरू की गई है।

Chhatisgarhबस्तर में कुछ महीने पहले से सुरक्षा बलों की माओवादियों के खिलाफ़ जारी मुहिम अहम चरण पर पहुँची है। बस्तर के माओवादियों की बुनयादी जड़ें उखाड़ने के उद्देश्‍य से बस्तर पुलिस ने स्थानीय लोगों में जागरूकता लाने के लिए मुहिम शुरू की है। इसके लिए उन्होंने ‘बस्तर था माता’ और ‘बस्तर चो आवाज़’ नामक मुहिम की शुरूआत की है। इस माध्यम से माओवादियों के विकास और आदिवासियों के खिलाफ़ होनेवाली मानसिकता उजागर की जाएगी।

अब माओवादियों की जड़ें उखाड़ना बस्तर पुलिस की प्राथमिकता है। इसके लिए प्रभावी कार्रवाई करना आवश्‍यक है। इसी कारण ‘बस्तर था माटा’ और ‘बस्तर चो आवाज़’ नाम से प्रचार युद्ध शुरू किया गया है, यह जानकारी बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदराज ने साझा की।

माओवादियों ने बीते तीस वर्षों से बस्तर में आतंक मचाया हुआ है। इसी कारण राज्य सरकार की त्रिवेणी योजना का प्रचार करने के साथ ही राज्य में विकास कितने अहम हैं, इसकी अहमियत समझाई जा रही है। साथ ही बीते तीन दशकों से राज्य में माओवादियों ने विकास कार्यों को कितना नुकसान पहुँचाया है, इसकी जानकारी इस माध्यम से प्रदान की जाएगी, ऐसा सुंदरराज ने कहा।

माओवादियों के खिलाफ़ शुरू की गई मुहिम में बैनर्स, पोस्टर्स, वीडियोज़, चित्र, ऑड़ियो क्लिप्स, नृत्य-गाना-संगीत और सोशल मीडिया का काफी प्रभावी इस्तेमाल किया जाएगा। इसके ज़रिए माओवादियों की हरकतों का पर्दाफाश किया जाएगा। इस माध्यम से बस्तर निवासियों के विचार दुनिया के सामने रखे जाएंगे। इस मुहिम के ज़रिए स्थानीय माओवादियों को हिंसा छोड़ने और समाज की मुख्य धारा में शामिल होने के लिए, शरणागती के लिए मज़बूर किया जाएगा। इस मुहिम की शुरूआत करते समय पुलिस ने कुछ माओवादियों के फोटो जारी किए हैं। इन माओवादियों को पुलिस ने माफिया और लुटेरे कहा है।

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