भूमाता का प्रतिसाद!!

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जिस तरह ध्वनिलहरें दीवार से टकराने पर उनकी प्रतिध्वनि पुन: लौटकर हम तक आती है, बिलकुल उसी तरह मैंने धरती पर पृथ्वी से दूर वाले हिस्से पर विद्युत लहरें छोड़ दीं और दीवार के बजाय मुझे भूमाता ने ही प्रतिसाददिया। प्रतिध्वनि के स्थान पर अचल विद्युत लहरें (स्टॅड़िंग वेव्हज्) मुझ तक आती हैं, वायरलेस इलेक्ट्रिकल एनर्जी पर प्रयोग चल रहा था, उस समय डॉ. टेसला ने यह कहा था।

डॉ. टेसला के जीवन का प्रमुख उद्देश्य यही था कि सारी दुनिया को ‘वायरलेस इलेक्ट्रिसिटी’ की पूर्ति वे कर सके। दुनिया के हर एक जीव को जिस तरह सूर्यप्रकाश मुक्त में मिलता है और काफी प्रमाण में मिलता है, बिलकुल उसी तरह मानवजाति को मुक्त एवं अखंड रूप से बिजली की पूर्ति की जा सके। वांशिक, जातीय एवं वर्गभेद इन सब का विचार न करते हुए इस बिजली की अखंड एवं मुक्त आपूर्ति का लाभ हर एक को मिलता रहे, यही डॉ. टेसला की दिल से इच्छा थी। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए ही भूमाता ने उन्हें प्रतिसाद दिया, ऐसा डॉ. टेसला का मानना था।

इससे पहले हमने डॉ.टेसला द्वारा वायरलेस इलेक्ट्रिसिटी पर किये गए यशस्वी प्रयोग देखे ही हैं। अब इस महान संशोधक की सोच केवल वायरलेस इलेक्ट्रिसिटी की पूर्ति सारी दुनिया को कैसे की जायेगी यही तक नहीं थी बल्कि इसके लिए मशीन विकसित करने के लिए डॉ.टेसला का अविरत प्रयास चल रहा था।

डॉ.टेसला के कोलोरॅडो स्प्रिंग्ज के प्रयोगशाला को आग लगने से बचा सके उसे पिछे खींच लिया जा सके इस प्रकार का अद्भुत छत बना गया था। इसके अलावा उस में बिलकुल ८० फीट का लकड़ी का टॉवर, उस पर १४२ फीट का घात का दंड तथा उस पर एक बड़ा ताँबे का गोलक रखा गया था। यह गोलक अर्थात जमींन में ‘इलेक्ट्रिकल इंपल्स’ छोड़ने के लिए तैयार की गयी टेसला कॉईल थी। आकाश में बिजली चमकने पर जिस प्रमाण में उर्जा निर्माण होती है, उसी प्रमाण में उर्जा का मानवनिर्मित उत्सर्ग करने के लिए डॉ.टेसला ने १४२ फीट की  एँटिना का निर्माण किया था। इस प्रयोग के कारण उन्हें जमीन के साथ-साथ आकाश में भी बिजली का संवहन करने की शक्ति होती है, यह सिद्ध करना संभव हो सकता था।

जिस रात यह मानवजाति के इतिहास का सबसे महत्त्वपूर्ण लक्ष्य भेदक प्रयोग डॉ.टेसला करने वाले थे, उस समय उन्होंने अपने सहकारियों को इस डॉ.टेसला कॉईल में केवल एक सेकंड के लिए ही, लाखों के प्रमाण में व्होल्टस् की उर्जा भरने की सूचना की थी। यह प्रयोग शुरु होने पर दूसरी (सेकंडरी) कॉईल पूर्णत: चार्ज हो गई और उसके चारों ओर एक नीले रंग का तेजोवलय घुमने लगा। डॉ.टेसला के संकेत के अनुसार सर्किट कुल एक सेकंड के लिए बंद तो हो गया, परन्तु वह एक सेकंड की अवधि भी काफी थी। यह चौंका देने वाला परिणाम था। मध्यवर्ती होने वाली इस कॉईल में से नीले विद्युत स्फुलिंग कड़कड़ाते हुए पलक झपकते ही सैंकड़ों फीट से ज़मीन की दिशा में नीचे आ गए एवं पृथ्वी में समा गए।

इसी प्रयोग में ‘एलपेसो इलेक्ट्रिक कंपनी’ का डायनैमो जलकर खाक हो गया इसके साथ ही पूरे शहर की बिजली खंडित हो गई थी। परन्तु इसी प्रयोग से डॉ.टेसला ने इस बात को अनुभव किया कि पृथ्वी भी विद्युत संवाहन शक्ति रखती है। उसी समय वातावरण के ऊपरी सतह में ‘आयनोस्फीयर’ में विद्युतभार संवाहन के गुणधर्म संबंधित होनेवाले संदेश का निरसन भी हो गया।

इसके पश्‍चात् परिक्षण करने पर डॉ.टेसला ने उर्जा के उत्सर्ग पर नियंत्रण पाने में सफलता प्राप्त कर ली और अपने अ‍ॅन्टीना से बिलकुल ४२ किलो मिटर दूर तक होने वाले २०० दीप वगैर किसी वायर का उपयोग किए ही सफलता  पूर्वक प्रकाशित कर दिख लाया। इस प्रयोग से डॉ.टेसला को पूरा विश्‍वास हो गया कि सारी दुनिया में वायरलेस इलेक्ट्रिसिटी की पूर्ति करने का अपना सपना पूरा हो सकता है।

इस प्रयोग के दौरान डॉ.टेसला ने पूरी दुनिया को आसानी से विद्युतभार संवाहन करवाया जा सकता है, इस प्रकार के एक अद्भूतपूर्व घटना की खोज भी की थी। डॉ.टेसला ने संपूर्ण पृथ्वी का उपयोग उर्जा संवहक के रूप में कर दिखलाया था। इसके साथ ही वातावरण में होनेवाला सबसे ऊपरी स्तर ‘आयनोस्फीयर ’ भी बिजली का भारसंवाहन उत्कृष्ट रूप में कर सकता है तथा पृथ्वी को वायरलेस इलेक्ट्रिसिटी पूरा करने के लिए सहायक सिद्ध हो सकता है, यह भी डॉ.टेसला ने सिद्ध कर दिखलाया।

‘‘मैंने हाईफ्रीक्वेंसी वायरलेस इलेक्ट्रिसिटी के कंपन्नों को आकाश में भेजा और यह कंपन्ने संपूर्ण विश्‍व में घुमकर उसी सामर्थ्य के साथ वापस लौट आयी हैं। उनकी क्षमता भी बिलकुल उतनी ही होगी यह नतीजा तो बिलकुल अविश्‍वनीय था और कुछ समय के लिए स्वयं मैं भी भौंचक्का रह गया था।’’ ऐसा डॉ.टेसला ने कहा था।

pg12_TESLA 19 - 142foot towerडॉ.टेसला ने इस घटना को ‘अचल’ अथवा ‘स्थिरलहरी’ (standing waves) इस प्रकार का नाम दिया था। इस निरीक्षण को दुनिया के सामने प्रस्तुत करने वाले डॉ.टेसला दुनिया के प्रथम शास्त्रज्ञ थे।

डॉ.टेसला ने अपने लेख में लिखा है कि, ‘‘इलेक्ट्रिकल एनर्जी वायर्स का उपयोग किए बगैर ही कितनी भी दूरी के अंतर पर बिलकुल कम खर्च में विद्युतभार संवाहन किया जा सकता हैं; मैंने अनेक प्रकार से प्रयोग करके निरीक्षण एवं प्रमाणों का मापन करके इसे निर्विवाद रुप में सिद्ध किया है। इससे एक बात तो स्पष्ट रुप में दिखायी देती हैं कि एक मध्यवर्ती प्रकल्पद्वारा, दुनिया के दोनों छोर पर बिलकुल १२ हजार मिल की दूरी तक ऊर्जा का अमर्यादित रुप में संवहन करना सहज ही संभव एवं स्वाभाविक भी है। इस उर्जा की पूर्ति करते समय बहुत हुआ तो ऐसे ही कुछ प्रतिशत उर्जा व्यर्थ जाने की संभावना हो सकती है।’’

कोलोरॅडो स्प्रिंग्ज का अपना प्रयोग पूरा करके लौटने पर १९०० में डॉ. टेसला ने कहा कि, ‘‘हम यदि उर्जा के लिए इंधन का उपयोग करते हैं तो हमें स्वयं अपने ही भांडवल पर जीना पड़ेगा और वह जल्द ही खत्म भी हो जायेगा। आने वाली पीढ़ी के हित के लिए इस प्रकार की उधलपट्टी करने वाली एवं अपरिहारकारक पद्धति को रोकना आवश्यक है।’’

इस विधान से ही हमें डॉ. टेसला के समान दूरदृष्टि रखने वाले शास्त्रज्ञ ने एक सदी पहले ही जिसे पारंपारिक इंधन माना जाता है, उससे होने वाले धोखे पर ध्यान केन्द्रित कर दिया था, यह भी हमें जानना चाहिए। मुख्य तौर पर उन्होंने इस इंधन की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी, इस प्रकार की यंत्रणा बनाकर उसी प्रकार उसका उपयोग भी कर दिखलाया था।

डॉ.टेसला की वायरलेस यंत्रणा अनोखी पद्धति से कार्य करती थी – ‘‘यदि रिसिव्हर नहीं होगा, तो उर्जा का उपयोग होगा ही नहीं। जब रिसिवर चलेगा, तभी वह उर्जा खींच पायेगा। यह पद्धति विद्युतभार संवाहन के पारंपारिक पद्धति के बिलकुल विरुद्ध थी। पारंपारिक पद्धति में, एक हजार हॉर्स पॉवर का (७५० किलो वॅट) यदि कोई प्रकल्प चल रहा होगा, तब ऊर्जा का उस में उपयोग हो रहा हो अथवा नहीं, फिर  भी उसमें से उत्सर्जन होता ही रहता था। परन्तु मेरी यंत्रणा में ऊर्जा के बेवजह खर्च होने का सवाल ही नहीं उठता। यदि रिसिवर्स नहीं होगा, तब वह प्रकल्प यदि कंपन्न चालू रहने के लिए आवश्यकता होगी, तो वह ज़रूरत इतना उर्जा का ही उपयोग करता है।’’

आज के समय में उपयोग में लाये जाने वाले डीटीएच सेवाओं की तरह ही, डॉ.टेसला के वायरलेस इलेक्ट्रिसिटी का स्वीकार करने के लिए घरों के छतों पर केवल सिंगल वायर इलेक्ट्रिसिटी रिसिवर लगाने की आवश्यकता पड़ती थी। यह वायर डॉ.टेसला के टॉवर से वायरलेस एनर्जी खींचने में सक्षम थी और घर की हर चीजें इस वायर में से आनेवाले बिजली से चल सकती थीं। इसके लिए किसी भी प्रकार के पॉवर कॉर्ड की ज़रूरत नहीं थी!

जरा सोचिए, पॉवर केबल्स, हर महीने में आने वाले बिजली का बिल, उच्च क्षमता के बिजली के कारण होने वाले घातक परिणाम, विद्युत संवाहन करने के लिए ग्रिड, शहरों में विद्युतभार संवाहन के लिए लगने वाले टावर्स का जाल, जमीन से निकाले जाने वाले इंधन के जोर पर चलने वाले विद्युत प्रकल्प ऐसा कुछ भी नहीं। केवल हम सब के लिए स्वच्छ एवं पर्यावरण के लिए हितकारक साबित होने वाली उर्जा! बस इतना ही कुछ था, डॉ.टेसला के ‘डायरेक्ट टू होम’ समान ही होने वाली ‘वायरलेस इलेक्ट्रिसिटी’ की अनोखी संकल्पना।

मात्र डॉ.टेसला वायरलेस इलेक्ट्रिसिटी से ही संतुष्ट नहीं थे। उनके मन में और भी एक युक्ति इसके साथ ही साथ घुल रही थी। डॉ.टेसला के मस्तिष्क में हर पल यही विचार चलते रहता था कि एक ही कार्य से अनेक लाभ हो । यह बात तो हम भली-भाँति जानते हैं उनके इस जोड़-बटोरवाले जुगाड़ का इससे अच्छा उदाहरण और भला क्या हो सकता हैं?

अपने प्रयोग के माध्यम से एक ही समय में अपनी सीम के परे जाकर भी अनेक संकल्पनाओं को प्रत्यक्ष में लाने की आदत सी ही डाल रखी थी डॉ.टेसला ने अपने आप की। उनके पास नयी-नयी यंत्रणाओं को अमल में कैसे लाना है इस बात की योजनायें भी तैयार रहती थी। मात्र इसके लिए डॉ.टेसला को अधिक बड़े एवं उच्च क्षमता रखनेवाले टॉवर की आवश्यकता थी। इस संकल्पना से ही डॉ.टेसला के सबसे प्रसिद्ध प्रकल्प का जन्म हुआ और वह था ‘वार्डनक्लिफ  टॉवर’ (wardenclyffe tower)।

(क्रमश:)

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