अफ्रीका में चीन से बने खतरे को अमरीका नज़रअंदाज ना करें – अमरीका की अफ्रीका कमांड के प्रमुख की चेतावनी

africa-china-threat-usवॉशिंग्टन – चीन ने जिबौती स्थित अपने लष्करी अड्डे का विस्तार किया है। साथ ही, अफ्रीका में चीन का लष्करी तथा आर्थिक निवेश बढ़ने लगा है। ऐसी परिस्थिति में, अफ्रीका में चीन से बने बढ़ते खतरे को नज़रअंदाज करने का खतरा अमरीका नहीं मोल सकती, ऐसी चेतावनी अमरीका की अफ्रीका कमांड के प्रमुख जनरल स्टिफन टाऊनसेंड ने दी। साथ ही, अमरीका ने सोमालिया से सेनावापसी करने के कारण, इस देश में चल रही आतंकवाद विरोधी कार्रवाई पर असर हुआ है, ऐसी आलोचना जनरल टाऊनसेंड ने की।

अफ्रीका कमांड अथवा आफ्रिकॉम के प्रमुख जनरल टाऊनसेंड ने अमरिकी न्यूज़ चैनल के साथ वार्तालाप करते समय, इस महाद्वीप की ओर अमरीका नज़रअंदाजी ना करें, ऐसा आवाहन किया। ‘चीन और रशिया अफ्रीका को अनदेखा नहीं कर रहे हैं और यह एक ही बात इसकी अहमियत जताने के लिए पर्याप्त साबित होगी’, ऐसा जनरल टाऊनसेंड ने कहा है। आर्थिक दृष्टि से अफ्रीका में निवेश अमेरिका के लिए कितना महत्वपूर्ण साबित हो सकता है कामा इसके संदर्भ जनरल टाऊनसेंड ने इस इंटरव्यू में दिए।

africa-china-threat-usअफ्रीका में कुल ५४ देश है। दुनिया में तेजी से आर्थिक विकास करनेवाले २५ देशों में से १३ देश अफ्रीका खंड में है, इसकी याद जनरल टाऊनसेंड ने करा दी। इन दिनों पूरी दुनिया हवामान बदलाव का सामना कर रही है। ऐसे में दुनिया की कुल ६० प्रतिशत उपजाऊ जमीन अफ्रीका में है। उसी के साथ, कोबाल्ट, क्रोमियम, टँटलम और इन जैसे बहुत ही महत्वपूर्ण धातुओं का भंडार अफ्रीका में है। इस कारण अफ्रीकी देशों में निवेश अमरीका के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, ऐसी जानकारी जनरल टाऊनसेंड ने दी।

वहीं, व्यापारिक यातायात की दृष्टि से भी अफ्रीका का महत्व बढ़ा है। इसके लिए जनरल टाऊनसेंड ने कुछ हफ्ते पहले सुएज कैनाल में घटित घटना का हवाला दिया। सुएज कैनाल की तरह अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारी यातायात में बाधा उत्पन्न कर सकनेवाले और तीन महत्वपूर्ण सागरी क्षेत्र अफ़्रीका से जुड़े हैं। इनमें जिबौती और येमन के बीच की बाब अल-मन्देब की खाड़ी, इटली का सिसिली और लिबिया के बीच होनेवाला सागरी क्षेत्र और जिब्राल्टर की खाड़ी इनका समावेश होने की जानकारी आफ्रिकॉम की प्रमुख ने दी।

इसलिए सुरक्षित अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारिक यातायात के लिए अफ्रीका में अमरीका के लष्करी अड्डे होना आवश्यक है, ऐसा जनरल टाऊनसेंड ने कहा। पिछले साल तक अफ्रीका के केवल १५ देशों में अमरीका के २९ लष्करी अड्डे थे। इनमें अकेले सोमालिया के पाँच अड्डों का समावेश था। इसके अलावा ट्युनिशिया, नाइजर, माली, केनिया, कॅमेरून और लिबिया में भी अमरीका के लष्करी अड्डे हैं। लेकिन इस साल की शुरुआत में अमरीका ने सोमालिया से सेनावापसी की थी। इसका सबसे बड़ा असर सोमालिया में, अल शबाब इस आतंकवादी संगठन के विरोध में चल रही कार्रवाई पर हुआ होने का दावा जनरल टाऊनसेंड कर रहे हैं।

africa-china-threat-usउल्टे चीन ने अफ्रीका में अपनी लष्करी कमांड में भारी वृद्धि और उनका विस्तार किया है। जिबौती में चीन के लष्करी अड्डे का विस्तार होने की बात जनरल टाऊनसेंड ने नमूद की। इसके अलावा पूर्वीय अफ्रीकी देशों में भी चीन अपने लष्करी, नौसेना अड्डे बनाता चला है।

ये लष्करी, नौसेना अड्डे यानी अपनी ‘फिफ्थ आयलँड चेन’ होने का ऐलान चीन ने किया है, इसपर जनरल टाऊनसेंड ने गौर फरमाया। ऐसी परिस्थिति में, अफ्रीका को नजरअंदाज करना अमरीका के हित में नहीं होगा, ऐसा आफ्रिकॉम के प्रमुख ने डटकर कहा।

इसी बीच, पिछले हफ्ते अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने अफगानिस्तान से पूरी वापसी की घोषणा की। बायडेन प्रशासन अफ्रीका के संदर्भ में भी ऐसा ही फैसला करने की गहरी संभावना जताई जाती है। इस पृष्ठभूमि पर, आफ्रिकॉम के प्रमुख ने बायडेन प्रशासन को यह चेतावनी दी दिख रही है।

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