अफ्रीका के ‘साहेल’ क्षेत्र में आतंकियों के विरोध में मुहीम का दायरा बढाने की जरूरत – संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रमुख की चेतावनी

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरनैरोबी: अफ्रीका महाद्विप में पश्‍चिमी दिशा में होनेवाले ‘साहेल’ क्षेत्र में फिलहाल आतंकवाद के विरोध में शुरू संघर्ष कमजोर है और इसका दायरा और प्रभाव बढाने की जरूरत है, यह इशारा संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव एंटोनिओ गुतेरस ने दिया है| पश्‍चिमी अफ्रीका के ‘साहेल’ क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में फिर एक बार आतंकवादी हमलों की तादाद बढी है और ‘अल कायदा’, ‘आईएस’ और उनसे जुडे आतंकी गुट आक्रामक हुए दिख रहे है| आतंकवाद के विरोध में गठित स्थानिय देशों के गठबंधन को ज्यादा सफलता प्राप्त नही हुई है| पिछले कुछ महीनों में हुई हिंसा से यही बात स्पष्ट दिख रही है|

पश्‍चिमी अफ्रिका के ‘साहेल’ क्षेत्र में माली, बुक्रिना फासो, नायजर, चाड, मॉरिशानिआ, नाइजेरिया, इरिट्रिया, सेनेगल जैसे देशों का समावेश है| इनमें से माली, नायजर, चाड, नाइजेरिया, बुर्किना फासो जैसे देशों में पिछले वर्ष से लगातार आतंकी हमलें हो रहे है| माली एवं नाइजेरिया में पिछले कई वर्षों से आंतकी गुट मौजूद है और इन गुटों ने कई हिस्सों पर कब्जा किया है| ‘बोको हराम’ एवं मांली में ‘अल कायदा’ से जुडी आतंकी गुट इनमें आगे है|

पिछले दशक तक दो देशों तक सीमित इन आतंकी गुटों ने अब पडोसी देशों में भी अपना प्रभाव बढाने की शुरूआत की है| नायजर, बुर्किना फासो, चाड जैसे देशों में हुए हमलें और घाना, टोगो, आयव्हरी कोस्ट जैसे देशों में दिखाई देने लगा आतंकियों का अस्तित्व इसी के संकेत समझे जा रहे है| पश्‍चिमी अफ्रीका के अन्य देशों से भी हमपर आतंकी हमलें हो सकते है, यह डर बढने से चिंता व्यक्त हो रही है, इन शब्दों में संयुक्त राष्ट्रसंगठन के गुतेरस ने बढते खतरों की ओर ध्यान केंद्रीत किया है|

पश्‍चिमी अफ्रीका के देशों ने फ्रान्स के सहयोग से ‘जी५ साहेल फोर्स’ इस आतंकविरोधी लष्करी दल का निर्माण किया है| लेकिन, फ्रान्स के साथ कुछ यूरोपिय देशों के अलावा अन्य देशों से इस दल को पर्याप्त सहायता प्राप्त नही हुई है| इस वजह से इस दल से हो रही कार्रवाई के बावजूद ‘साहेल’ क्षेत्र में आतंकी घटना बढ रही है, इसका एहसास संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रमुख ने कराया है| यह बढता खतरा रोकना है तो संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद ने ‘जी५ साहेल फोर्स’ को जरूरी और सही सहयोग करना होगा और अधिकार भी बहाल करने होंगे, यह इशारा गुतेरस ने दिया|

‘साहेल’ क्षेत्र के अन्य देश आतंकवाद के विरोधी संघर्ष में शामिल हुए है, फिर भी उन्हें प्राप्त हो रहा नीधि एवं अन्य स्रोत पर्याप्त नही है| इसमें बढोतरी करने की जरूरत है, यह दावा भी उन्होंने किया| ऐसा नही हुआ तो सिर्फ साहेल क्षेत्र ही नही, बल्कि अफ्रीका महाद्विप अस्थिर हो सकता है, यह चिंता संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रमुख ने व्यक्त की है|

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